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राज्य के तापमान में आयी गिरावट
अमरावती प्रतिनिधि/दि.29 – इस समय देश के उत्तरी हिस्से में स्थित सभी राज्यों में शीतलहर का प्रकोप जारी है. साथ ही आगामी दो दिनों के दौरान उत्तरी राज्यों में कडाके की ठंड पड सकती है. जिसका सीधा असर राज्य के तापमान पर दिखाई पड सकता है और इस बार नववर्ष का स्वागत कडाके की ठंड के बीच करना पड सकता है. इस आशय की संभावना मौसम विशेषज्ञों द्वारा व्यक्ति की गई है. साथ ही बताया गया है कि, ठंडी की यह तीव्रता बेहद कम समय के लिए रहेगी.
बता दें कि, राज्य में 21 से 24 दिसंबर की कालावधी के दौरान कडाके की ठंड महसूस की गई. साथ ही 22 व 23 दिसंबर को कई इलाकों में न्यूनतम तापमान अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गया था. लेकिन इसके बाद उत्तरी दिशा से ठंडी हवाओें का प्रवाह क्षीण होने के बाद अधिकतम तापमान में वृध्दि दर्ज की गई और ठंडी की तीव्रता कुछ कम हुई. इस समय मध्य महाराष्ट्र व मराठवाडा में रात के वक्त न्यूनतम तापमान औसत से कुछ अधिक है. जिसकी वजह से रात के समय बेहद हल्की ठंड महसूस होती है. वहीं कोंकण विभाग के रत्नागिरी व मुंबई सहित अन्य स्थानों के तापमान में भी औसत की तुलना में किंचित कमी आने से कुछ प्रमाण में ठंड महसूस हो रही है. यहीं स्थिति विदर्भ क्षेत्र में भी है. जहां पर तापमान इस समय अपने औसत स्तर से नीचे चल रहा है.
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दो-तीन दिन में पड सकती है कडाके की ठंड
मौसम विभाग द्वारा व्यक्ति किये गये अनुमान के मुताबिक अगले दो से तीन दिनों में उत्तर भारत के सभी राज्यों में जबर्दस्त शीतलहर आने की संभावना है. जिसकी वजह से गुजरात व मध्यप्रदेश में भी शीतलहर की स्थिति बन जायेगी. जिसका सीधा परिणाम महाराष्ट्र के मौसम पर पडेगा और यहां पर तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की कमी आ सकती है. हालांकि इसके दो-तीन दिन बाद तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस की वृध्दि भी होना संभावित है.
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ला निना की वजह से बढी ठंड
मौसम विभाग के मुताबिक ला निना की वजह से देश के मौसम पर सीधा प्रभाव पडा है. लगातार दूसरे वर्ष औसत से अधिक बारिश हुई और शीतकाल में भी तापमान काफी नीचे रहा. जिसकी वजह से विगत ग्रीष्मकाल काफी हद तक सहनीय रहा. जारी वर्ष 2020 में देश के पूर्वी व पश्चिमी हिस्से से पांच तूफान टकराये. जिसमें से चार तूफान तो तीव्र स्वरूप के चक्रावात थे. ऐसे में इस बार देश में मान्सून काफी अच्छा रहा. साथ ही उत्तर भारत में कडाके की ठंड पडने के पीछे भी इसी ला निना चक्रावात को मुख्य वजह माना जा रहा है.
ला निना वस्तुत: प्रशांत महासागर की ठंडी हवाओं का बहाव है, जो एल नीनो से बिल्कूल उलट है. जिस समय ला निना सक्रिय होता है, तो उस वर्ष बारिश काफी बेहतरीन होती है और शीतकाल में तापमान भी औसत से कम रहता है. यहीं वजह है कि, इस वर्ष औसत से अधिक वर्षा हुई. साथ ही अब कडाके की ठंड पड रही है.