डम्पींग ग्राउंड मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को
सुप्रीम कोर्ट में मनपा ने जनवरी और फरवरी माह में बताया बारिश का कारण
* नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्बारा मनपा पर लगाये गये 47 करोड के जुर्माने का मामला
अमरावती/ दि. 23 – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्बारा मनपा पर लगाये गये 47 करोड के जुर्माने के मामले में सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर निरी द्बारा जायजा लेकर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर आज शुक्रवार 23 फरवरी को फिर से हुई सुनवाई में मनपा की तरफ से उनके वकील द्बारा जनवरी और फरवरी माह में बारिश के कारण कंपोस्ट डिपो के बायोमायनिंग का काम पूर्ण न होने का कारण बताने पर अब इस प्रकरण की आगामी सुनवाई आगामी 22 अप्रैल 2024 को रखी गई है. न्यायालय ने इस दो माह में बायोमायनिंग का काम पूर्ण करने की भी हिदायत दी है.
बता दे कि अमरावती मनपा के सुकली कंपोस्ट डिपो के प्रदूषण को लेकर केंद्रीय हरित लवाद ने 47 करोड रूपए का जुर्माना लगाया है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अकोली, सुकली और दुर्गापुर के बायो मेडिकल डिपो से निकलनेवाले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 और बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स का मनपा द्बारा कितना पालन किया जा रहा है. इस बाबत पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्बारा निरी को नियुक्त करने के आदेश दिए थे. निरी के दल ने इन तीनों डिपो का विविध चरणाेंं में अमरावती दौरा कर जायजा किया. सुुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निरी के दल को 30 नवंबर तक अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी थी. उसके मुताबिक निरी ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की और उस पर गत 8 दिसंबर को पहली सुनवाई हुई. न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति पंकज मिथाल ने रिपोर्ट प्र्रस्तुत होने के बाद प्रतिवादी गणेश अनासाने से इस रिपोर्ट के संदर्भ में आपत्ति पूछी थी. तब उन्होंने जवाब दिया था कि निरी की रिपोर्ट में एसएलएफ, जैविक अपशिष्ट निपटान के लिए बायोमेथेनेशन संयत्र और एनिमल इंसीनरेटर परियोजना, सुकली एमएसडब्ल्यू साइड पर जगह की कमी के कारण काम लंबित रहने की बात कही है. इस पर गणेश अनासाने ने कहा था कि यदि बायोमायनिंग के पहले चरण में 1.84 लाख क्यूबिक मीटर विरासती कचरे को साफ किया गया और जिसे मेसर्स बागडे बाबा इंटरप्राइजेस पुणे में 4.5 करोड में पूर्ण किया तो फिर अमरावती मनपा को जगह की समस्या का सामना क्यों करना पड रहा है. एसएलएफ यह एमएसडब्ल्यू का अभिन्न अंग है. यदि एसएलएफ का कार्य लंबित है तो इसका उल्लेख निरी की रिपोर्ट में क्यों किया गया है कि प्रोसेसिंग कार्य एसडब्ल्यूएम नियम 2016 के मुताबिक किया जा रहा है. यह पूर्ण परियोजना नहीं है और एमएसडब्ल्यू प्रोसेसिंग का कार्य भी अधूरा है. प्रतिवादी ने सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान इस तथ्य पर केंद्रीत कर दिया कि एनजीटी द्बारा लगाया गया 47 करोड रूपए का पर्यावरण मुआवजा वर्ष 2009 से 2019 की अवधि के लिए है और इस दौरान पर्यावरण को हुए नुकसान और अमरावती मनपा द्बारा किए गये कार्यो से इसका कोई संबंध नहीं है. तब सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती मनपा को सभी रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा था. बायोमायनिंग का काम पूर्ण करने का आश्वासन देने के बावजूद न हो पाने बाबत आज सुप्रीम कोर्ट में मनपा की तरफ से उनके वकील ने कहा कि जनवरी और फरवरी माह में बारिश होने के कारण इस दो माह में काम नहीं हो पाया है. दिसंबर 2023 तक मनपा प्रति माह 5 लाख का जुर्माना केन्द्रीय हरित लवाद के पास जमा कर चुकी है और जनवरी व फरवरी माह के 10 लाख रूपए भी भर दिए गये है. युक्तिवाद सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब 22 अप्रैल को आगे की सुनवाई रखी है.