अगले साल फगवा महोत्सव को बड़े स्वरूप में आयोजित करेंगे : मंत्री लोढा
महोत्सव में ऑनलाइन उपस्थिति, आदिवासी संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले फगवा उत्सव का समापन
* प्रदेश भर से ४ हजार नागरिकों ने महोत्सव को दी भेंट
अमरावती / दि.१३– मेलघाट की आदिम जीवनसंस्कृति का दर्शन कराने वाले फगवा महोत्सव का समापन रविवार को हुआ. पर्यटन संचालनालय व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में कोठा के ग्रामज्ञानपीठ संपूर्ण बांबू केंद्र में आयोजित इस दो दिवसीय महोत्सव में प्रदेश भर से चार हजार नागरिकों ने भेंट दी. समापन सत्र में पर्यटन मंत्री मंगलप्रभात लोढा ने ऑनलाइन उपस्थित रहकर नागरिकों को संबोंधित किया. उन्होंने कहा कि, मेलघाट की आदिवासी संस्कृति, वहां की पारंपरिक कला, परंपरा का जतन और संवर्धन करने के लिए फगवा महोत्सव का आयोजन महत्वपूर्ण रहा है. प्रकृति संपन्न मेलघाट की आदिवासी संस्कृति, आदिवासी बंध्ाुओं की कला का प्रदर्शन और उनकी हस्तकला वस्तुओं की अन्य स्थानों पर मांग बढ़े, इसके लिए अगले साल फगवा महोत्सव और भी व्यापक स्वरूप में मनाएंगे, यह आश्वासन दिया. दिसंबर में अमरावती दौरे के समय फगवा पर्यटन महोत्सव की घोषणा पर्यटनमंत्री ने की थी. इसके अनुसार इस दो दिवसीय महोत्सव में आदिवासी संस्कृति के गीत, नृत्य, कला के साथ ही विविध वस्तु, बांस से तैयार विविध कलाकृति, मेलघाट में उत्पादित अनाज आदि स्टॉल का समावेश फगवा महोत्सव में किया गया था. धारणी के गटविकास अधिकारी महेश पाटील, धारणी के नायब तहसीलदार शिरीष वसावे, पूर्व जिप परिषद सदस्य सदाशिव खडसे, कोठा की सरपंच रुखमा कासदेकर, केंद्र की अध्यक्ष निरूपमा देशपांडे तथा पर्यटन उपसंचालक प्रशांत सवाई उपस्थित थे. प्रकृति पूजक आदिवासी संस्कृति में होली और घुंगरु बाजार महत्वपूर्ण उत्सव है. मेलघाट का यह पहला महोत्सव होकर इसे अच्छा प्रतिसाद मिला. आगे भी और स्टॉल का समावेश कर भव्य स्वरूप में महोत्सव आयोजित करेंगे, यह बात सवाई ने कही. महोत्सव में कोरकू, गोंड, गवली, भिलाला आदि विविध संस्कृति के पारंपरिक लोकनृत्य व लोकगीत पेश किए गए. समापन कार्यक्रम में जंगल सफारी, भ्रमण के साथ परिसंवाद भी आयोजित किया गया. तथा आदिवासी कलाकारों का सम्मान समारोह भी इस समय आयोजित किया गया था. जिसमें आदिवासी बंध्ाुओं व महिलाओं को मान्यवरों के हाथों धोती, साड़ी व सम्मान चिह्न देकर नवाजा गया.