* प्रदीप चांडक द्बारा पैरवी सफल
अमरावती/ दि. 11– श्रीनाथ इंडस्ट्रीज के संचालक रमणीकलाल मेहता द्बारा नीलेश गोवर्धन दम्माणी के विरूध्द दर्ज चेक अनादरण संबंधी याचिका का निपटारा करते हुए द्बितीय न्याय दंडाधिकारी कलस्कार ने नीलेश दम्माणी को बरी करने का फैसला सुनाया. कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को मान्य किया कि शैलेश मेहता द्बारा दर्ज मामला बराबर नहीं है. क्योंकि आस्थापना ने किसी को भी मुखत्यार पत्र ही नहीं दिया. बचाव पक्ष के वकील एड. प्रदीप चांडक और उनके सहयोगी एड. शैलेश राजेश पुरवार, एड. सुमित कनोजिया, एड. वैभव पुकले ने नीलेश दम्माणी का पक्ष मजबूती से रखा.
श्रीनाथ इंडस्ट्रीज द्बारा तथा उनके तथाकथित प्रोप्रायटर रमनीकलाल मेहता के मुखत्यापत्र के आधार पर शैलेश रमनीकलाल मेहता निगोशिएबल इन्स्टुमेंट अॅक्ट नुसार फौजदारी प्रकरण दाखल किया गया था. किंंतु आस्थापना ने किसी भी तरह का मुखत्यार पत्र दिया नहीं और रमनीकलाल मेहता ये उस आस्थापना के प्रोप्रायटर नहीं है, ऐसा बचाव पक्ष की ओर से किया गया युक्तीवाद न्यायालय ने मंजूर किया. उसी प्रकार श्रीनाथ इंडस्ट्रीज द्बारा सदर केस में के धनादेश अनादरण तारीख को उतनी रकम बाकी नही थी. ऐसा भी आरोपी के तरफ से गवाह देकर सिध्द किया.
इतना ही नहीं, आरोपी नीलेश गोवर्धनदास दम्मााी इनकी प्लास्टीक इंडस्ट्री महाराष्ट्र सरकार ने सन 2018 साली अध्यादेश निकालकर बंद की गई. उस कारण दिवाणी दावे दाखल कर रकम वसूल करन शक्य ना रहने के कारण उस व्यवसाय के लिए ली हुई रकम के सेक्युरिटी हेतु दिए हुए धनादेश आरोपी की कोई भी सहमति न रहते हुए उस धनादेशों पर शिकायतकर्ता की तरफ से खुद ही तारीख डालकर धनादेश का गैरवापर किया. आरोपी की सहमति बिना शिकायतकर्ता के कृत्य से उस धनादेश को अवैध बनाते हैं, ऐसा युक्तीवाद आरोपी के अधिवक्ता एड. प्रदीप आर चांडक ने किया. जिसे अदालत ने मान्य किया.