अमरावती/ दि. 9- कृषि विद्यापीठ आखिर किसानों के लिए करते क्या है यह सवाल उपस्थित कर केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कृषि विद्यापीठ का आधारवड बनना चाहिए, ऐसी अपेक्षा पूर्व सांसद अनंतराव गुढे ने व्यक्त की. अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ का दीक्षांत समारोह हाल ही में राज्यपाल भगतसिंग कोश्यारी, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कुलगुरू विलास भाले की उपस्थिति में संपन्न हुआ. कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी को डॉक्टर ऑफ सायंस पदवी से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर नितीन गडकरी ने किसानों को लेकर कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला. दर्जेदार उत्पादन के लिए विद्यापीठों द्बारा नये-नये संशोधन कर उसका लाभ किसानों को देना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन उन्होंने किया. जिस पर पूर्व सांसद अनंत गुढे ने कृषि विद्यापीठ के कार्यप्रणाली पर सवाल उपस्थित कर कृषि विद्यापीठ किसानों के लिए क्या करते है. यह सवाल पूछा है.
कृषि विद्यापीठों द्बारा कभी भी किसानों के लिए मार्गदर्शन शिविरों का आयोजन नहीं करते. विदर्भ में संतरा उत्पादन अधिक है. यहां का संतरा देश-विदेश में जाता है. पहले कपास का मुख्य बाजार भी विदर्भ में था. लेकिन अकोला में कृषि विद्यापीठ बनने के बाद भी विदर्भ का संतरा उत्पादन घट गया. संतरे के बगीचे खत्म होने लगे फिर भी कृषि विद्यापीठ ने संतरा व कपास फसल का उत्पादन बढाने व इन फसलों पर मंडराने वाले रोगों को खत्म करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाये. नैनों टेक्नॉलॉजी व ड्रोन का इस्तेमाल किसान करें. यह ठीक है. लेकिन कर्ज के बोझ में दबकर आत्महत्या करनेवाले किसानों के लिए कृषि विद्यापीठ कुछ भी नहीं करते है. विगत 30 वर्ष में प्रति एकड 20 क्विंटल सोयाबीन व 28 क्विंटल कपास का उत्पादन बढाने के लिए विद्यापीठों ने कोई संशोधन नहीं किए. बीज, खाद को लेकर संशोधन व नई फसल उत्पादन को लेकर ही विद्यापीठों ने किसानों को प्रोत्साहित नहीं किया. जिस पर कृषि विद्यापीठों पर अकार्यक्षम रहने का आरोप अनंत गुढे ने लगाया है.
नितीन गडकरी मोदी सरकार के एक अजब रसायन है. वे केवल बोलते नहीं तो विभिन्न योजनाओं को प्रत्यक्ष साकारते है. उनका विजन विशाल है. वहीं इस देश के प्रधानमंत्री हो, ऐसा सभी को लगता है. इसलिए नितीन गडकरी ने कृषि विद्यापीठों का आधारवड बनकर कृषि विद्यापीठ को वैश्विक दर्जे का संशोधन केन्द्र बनाने की अपेक्षा अनंत गुढे ने व्यक्त की है.