शून्य से शिखर तक का सफर तय किया नितीन कदम ने
ब्रेड और अंडे बेचने से लेकर सफल होटल व्यवसायी बनने तक की यात्रा तय की
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१५ – कहा जाता है कि, यदि मन में लगन और आत्मविश्वास रहने के साथ ही भविष्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण भी हो, तो कोई भी व्यक्ति सफलता की राह पर आगे बढ सकता है और यदि सफलता की राह पर आगे बढते समय दूसरों के दु:ख-दर्द और तकलीफ को बांटने भी भावना भी मन में हो, तब इस सफलता में चार चांद लग जाते है. कुछ ऐसी ही कहानी गरीबी के घनघोर अंधेरे से निकलकर सफल युवा उद्यमी व होटल व्यवसायी बननेवाले नितीन कदम की भी है, जिन्होंने कभी अमरावती की गलियों में सुबह-सुबह ब्रेड बेची और शाम के वक्त सडक किनारे हाथठेला लगाकर अंडे बेचने का काम किया. वहीं आज वे शहर के प्रतिष्ठित होटल लैण्डमार्क के संचालक है. साथ ही लैण्डमार्क इन्फ्रा के जरिये भवन निर्माण व लैण्ड डेवलपींग के क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक काम कर रहे है.
दैनिक अमरावती मंडल ने शहर के उभरते युवा उद्यमी नितीन कदम के साथ उनके जीवन और संघर्षों को लेकर विस्तृत तौर पर बातचीत की. जिसमें नितीन कदम ने अपने जीवन के कई अनछुए पहलुओं को हमारे साथ साझा किया.
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मूलत: वर्धा जिले से है वास्ता
इस बातचीत में नितीन कदम ने बताया कि, उनका जन्म वर्धा जिले की देवली तहसील अंतर्गत येसगांव-मुरसगांव निवासी प्रमोदिनी तथा बाबाराव यादवराव कदम की सातवीं संतान के तौर पर 16 जून 1970 को हुआ था. उनकी माता प्रमोदिनी कदम मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक पंजाबराव सदापुरे की बेटी थी और उस समय उनके पिताजी व दो चाचा के संयुक्त परिवार के पास 600 एकड भूमि थी. उनकी प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गांव की ही जिला परिषद शाला में हुई और पश्चात उन्होंने पांचवी व छठवीं की पढाई देवली की स्कुल में पूरी की. इस समय तक उनकी बडी बहन करूणा कदम को अमरावती के शिक्षक बैंक में नौकरी लग चुकी थी. ऐसे में वे आगे की पढाई के लिए अमरावती अपनी बहन के पास आ गये और साईबाबा विद्यालय में एडमिशन लेकर आगे की पढाई करने लगे. किंतु वे कक्षा 10 वीं की परीक्षा में फेल हो गये. जिसके बाद उनका मन पढाई से उब गया और उन्होंने पढाई छोड दी. यह वर्ष 1985 का साल था और यहीं से उन्होंने पढाई छोडकर ब्रेड और अंडे बेचने का काम शुरू किया.
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नौकरी की बजाय अपना व्यवसाय करने में थी रूची
नितीन कदम के मुताबिक वर्ष 1987 में उन्हें शिक्षक बैंक में चपरासी की नौकरी मिली, जो उन्होंने एक दिन भी नहीं की. उनका शुरू से यह मानना था कि, वे नौकरी करने की बजाय अपना खुद का कोई व्यवसाय करना चाहते है और एक दिन व्यवसाय के क्षेत्र में एक ऐसा मकाम हासिल करना चाहते है, जिसके जरिये वे दूसरों को नौकरी दे सके. जिसके बाद उन्होंने रूख्मिनी नगर परिसर में अंडे की दूकान सहित पानठेला लगाया. साथ ही फर्निचर का भी काम शुरू किया, जो वर्ष 1994 तक चला. इसके साथ ही रूख्मिनी नगर परिसर में मनपा द्वारा बनाये गये मार्केट में एक दुकान खरीदकर उन्होंने गायत्री स्वीटमार्ट नामक प्रतिष्ठान शुरू किया. किंतु वर्ष 2000 में कुछ वजहों के चलते मनपा ने अपने ही द्वारा बनाये गये इस मार्केट को तोड दिया. ऐसे में गायत्री स्वीट मार्ट का बना-बनाया व्यवसाय खत्म हो गया. ऐसे समय कोई दूसरा व्यक्ति होता, तो हिम्मत हार जाता. किंतु नितीन कदम ने हिम्मत हारने की बजाय सडक की दूसरी ओर स्थित मार्केट में दो दुकाने खरीदी और वहां पर गायत्री होटल के नाम से अपना कामकाज शुरू किया.
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हर मुश्किल के साथ खुद निखारते चले गये
नितीन कदम के मुताबिक हर व्यक्ति के जीवन में कई तरह के उतार-चढाव आते रहते है. उससे वे खुद भी अछूते नहीं रहे. किंतु उन्होंने शुरूआत से ही यह तय कर लिया था कि, चाहे हालात कितने ही मुश्किलों से भरे क्यों न हो, वे हिम्मत नहीं हारेंगे. यहीं वजह रही कि, हर मुश्किल के बाद उन्होंने दोगुनी हिम्मत के साथ काम करना शुरू किया और वे हर मुश्किल के बाद पहले से ज्यादा निखरते चले गये. गायत्री स्वीटमार्ट के अचानक बंद होने के बाद उन्होंने गायत्री होटल इसी सोच के तहत शुरू किया था और यह होटल भी बडे शानदार ढंग से चला और इसी होटल की सफलता ने नितीन कदम को होटल लैण्डमार्क शुरू करने का सपना दिखाया.
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एक ही व्यवसाय पर आश्रित नहीं रहे
इस बातचीत में नितीन कदम ने बताया कि, अमूमन लोगबाग किसी एक व्यवसाय में सफल होने के बाद अपनी पूरी जिंदगी और ताकत उसी व्यवसाय में लगा देते है. किंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि एक व्यवसाय में सफल होने के बाद उसे अपने भरोसेमंद लोगोें को सौंपकर दूसरे व्यवसाय में हाथ आजमाया. वहां सफल होने पर जब तीसरा और चौथा व्यवसाय क्षेत्र भी चुना. उनका मानना है कि, यह जीवन में आगे बढने का सबसे सुरक्षित तरीका है, क्योंकि यदि किसी एक व्यवसाय में किसी कारणवश कोई नुकसान होता है या मंदी आती है, तो खुद को संभालने के लिए दूसरा व्यवसाय काम में आ सकता है. यहीं वजह रही कि, जीवन के शुरूआती दौर में उन्होंने अंडे की दुकान और पानठेला एकसाथ शुरू किया था और यहीं तरीका उन्होंने आगे भी जारी रखा.
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बेहद कम समय में होटल लैण्डमार्क ने हासिल की पहचान और सफलता
बडनेरा से कुछ आगे अकोला रोड पर नितीन कदम द्वारा शुरू किया गया होटल लैण्डमार्क अपने बेहतरीन भोजन व शानदार व्यवस्था के लिए बेहद अल्पावधी में ही विख्यात हो गया. इस होटल के बारे में बताते हुए नितीन कदम ने बताया कि, यूं तो यह होटल अमरावती शहर से करीब 13 किमी दूर हाईवे पर स्थित है. किंतु बावजूद इसके शहर के कई अच्छे-अच्छे परिवार उनके होटल में खाना खाने और वक्त बिताने पहुंचते है. इसके अलावा हाईवे से गुजरनेवाले अन्य शहरों के लोग भी उनके होटल पर खाना खाने के लिए रूकते है और एक बार जो व्यक्ति उनके होटल में आता है, वह यांह के भोजन और सेवा का कायल हो जाता है. साथ ही अपने शहर जाकर अपने अन्य रिश्तेदारों व परिचितों से इस होटल की तारीफ जरूर करता है और उन्हें यह सलाह भी देता है कि, अगर कभी अमरावती होकर गुजरे, तो अमरावती के पास होटल लैण्डमार्क पर जरूर रूकना. इस माऊथ कैम्पेनिंग के जरिये भी होटल लैण्डमार्क आज राज्य सहित देश के कई शहरों में पहचान हासिल कर चुका है.
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गरीबों व मध्यमवर्गीयों के लिए भी होटल के दरवाजे खुले
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, होटल लैण्डमार्क के लॉन पर शहर की कई संभ्रांत व अमीर परिवारों द्वारा अपने बच्चों के विवाह समारोह या जन्मदिन समारोह आयोजीत किये जाते है. जिसमें काफी सारा तामझाम होता है. लेकिन किसी जमाने में गरीबी को बेहद नजदिक से देख चुके नितीन कदम आज भी अपने पुराने दिनों को भुले नहीं है. यहीं वजह है कि, यदि उनके पास कोई मध्यमवर्गीय या गरीब व्यक्ति पहुंचकर यह इच्छा जताता है कि, वह अपने बेटे या बेटी की शादी या जन्मदिन का समारोह होटल लैण्डमार्क में आयोजीत करना चाहता है, तो होटल के टेरिफ रेट को बाजू रखते हुए नितीन कदम संबंधीत व्यक्ति के बजट में पूरे तामझाम के साथ अपने होटल का लॉन उस आयोजन के लिए उपलब्ध कराते है. इसमें कई बार उन्हें अपनी जेब से भी पैसा खर्च करना पडता है. जिसकी नितीन कदम कभी फिक्र नहीं करते.
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कोरोना काल के दौरान होटल में शुरू किया था लंगर
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, गत वर्ष जिस समय कोविड संक्रमण के खतरे की वजह से समूचे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था और कई परप्रांतिय मजदूर सैंकडों किलोमीटर की यात्रा करने के लिए पैदल ही निकल पडे थे और अकोला रोड भी ऐसे लोगों के जत्थे के जत्थे गुजर रहे थे, तब ऐसे लोगों की तकलीफों को समझते हुए नितीन कदम ने अपने होटल को इन मजदूरों के भोजन व निवास के लिए खोल दिया था. यहां पर चौबीसों घंटे लंगर चला करता था और होटल का स्टाफ सडक पर खडे रहकर यहां से गुजरनेवाले मजदूरों को भोजन तथा विश्राम करने के लिए होटल में आमंत्रित करता था. यह व्यवस्था पूरी तरह से नि:शुल्क थी. उस समय होटल के रेस्टॉरेंट में बैठकर हजारों मजदूरों ने भोजन किया. साथ ही होटल के लॉन में बाकायदा मजदूरों के रूकने और विश्राम करने के लिए तमाम आवश्यक व्यवस्थाएं की गई थी.
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कांग्रेस के समर्थक, पर राजनीति से वास्ता नहीं
नितीन कदम के मुताबिक वे कांग्रेसी विचारधारा के कट्टर समर्थक है, लेकिन उनका राजनीति से कोई सीधा वास्ता नहीं है. हालांकि उन्होंने एक समय में अपने गॉडफादर डॉ. सुनील देशमुख के कहने पर वर्ष 2007 में मनपा का चुनाव लडा था. जिसमें वे हार गये थे. उनका मानना है कि, यह बहुत अच्छा रहा की वे चुनाव हार गये. यदि वे चुनाव जीत जाते, तो शायद फिर उसके बाद व्यवसाय में आज जितने सफल है, उतने सफल नहीं हो पाते.
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इस समय हालात बेहद बिकट
नितीन कदम के मुताबिक उन्होंने वर्ष 2016 में अपने जीवनभर की पूंजी को लगाकर होटल लैण्डमार्क शुरू किया. इसके बाद नोट बंदी, जीएसटी, कोविड संक्रमण, लॉकडाउन जैसी एक के बाद एक विपत्तियां आने लगी. जिसकी वजह से कामकाज की गाडी डगमगाती रही. साथ ही विगत सवा साल से व्यवसाय के लिए होटल लगभग बंद ही रहा. इस दौरान स्टाफ का वेतन और बैंक का ब्याज अपनी जेब से भरना पडा. इसी वजह के चलते शहर सहित समूचे राज्य व देश में कई बडे होटल बिक्री पर निकाले गये है. इसी तरह लोगोें के पास इस समय पैसों की किल्लत है, तो प्रॉपर्टी के व्यवसाय में भी कोई खास काम नहीं है. ऐसे में हालात काफी बिकट है. किंतु उम्मीद है कि, आनेवाला वक्त काफी अच्छा रहेगा. नितीन कदम के मुताबिक वे बीते 35 वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहे है. अत: मौजूदा तकलीफों की वजह से उन पर कोई असर नहीं हो रहा. जीएसटी को व्यापारियों के लिए तकलीफदेह माननेवाले नितीन कदम का मानना है कि, सभी व्यापारियों व व्यवसायियों ने पूरी इमानदारी के साथ अपना टैक्स अदा करना चाहिए, क्योंकि टैक्स का यह पैसा सरकार द्वारा हमारे ही लिए खर्च किया जाता है.