अमरावती

ग्रामीण क्षेत्रों में रापनि के वाहक-चालक हेतु नहीं कोई व्यवस्था

नाईट हॉल्ट ड्यूटी के समय बस में ही सोना पडता है

  • पूरी रात मच्छर करते है परेशान

अमरावती/दि.16 – हर एक गांव-खेडे तक यात्री बसों का नेटवर्क उपलब्ध करानेवाले राज्य परिवहन महामंडल की वजह से अब भी ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था टीकी हुई है, लेकिन गांव-गांव तक बस लेकर पहुंचनेवाले रापनि चालकों व वाहकों को अब भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पडता है. खासकर गांवों में नाईट हॉल्ट ड्यूटी पर जानेवाले चालकोें व वाहकों को बस में ही अपने सोने की व्यवस्था करनी पडती है. जहां पर वे पूरी रात गरमी और मच्छरों की समस्या से जूझते है. क्योंकि बस में पंखे की कोई व्यवस्था नहीं होती.

गांवों में सार्वजनिक शौचालय नहीं

कई गांवों में सार्वजनिक शौचालय नहीं है और जहां पर है, वहां पानी की व्यवस्था नहीं है. साथ ही कई स्थानों पर शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है. ऐसे में गांवों में नाईट हॉल्ट करनेवाले चालक व वाहक को शौच हेतु खुले में जाना पडता है.

रहने व विश्राम की व्यवस्था नहीं

गांवों से रोजाना सुबह पहली फेरी चलाने हेतु रात में ही रापनि बस को संबंधित गांव में नाईट हॉल्ट पर भेजा जाता है. जहां पर यह बस गांव के किसी चौक या गांव के बाहर सुनसान स्थान पर खडी रहती है. यह बस ले जानेवाले चालक व वाहक की रातभर रहने व विश्राम करने के लिए गांव में कोई व्यवस्था अब तक उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. जिसकी वजह से रापनि कर्मियों को बस में ही रात्री विश्राम करना पडता है.

हैण्डपंप से लाना पडता है पानी

नाईट हॉल्टवाली बस के चालक व वाहक को सुबह जल्दी उठकर अपनी प्रात: विधी व हाथ-पांव धोने या नहाने के लिए गांव के किसी हैण्डपंप से पानी लाना पडता है. क्योेंकि उन्हेें सुबह जल्द ही बस का पहला टाईमिंग लेकर रवाना होना पडता है.

कोरोना की वजह से कम हुई फेरियां

लॉकडाउन से पहले परिवहन महामंडल द्वारा करीब 1 हजार 500 से अधिक फेरियां चलायी जाती थी. वहीं इन दिनों करीब 600 फेरियां चल रही है. जिसमें से शहरी क्षेत्रों में लंबी दूरीवाले स्थानों पर 51 तथा जिले के 14 ग्रामीण क्षेत्रों में 65 बसें ही नाईट हॉल्ट पर भेजी जाती है. हालांकि अब भी नाईट हॉल्ट ड्यूटी पर जानेवाले चालकों व वाहकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना ही पड रहा है.

Related Articles

Back to top button