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पश्चिम विदर्भ का कोई लाभ नहीं

विकास का संतुलन बिगडा

* डॉ. संजय खडक्कार ने उठाया मुद्दा
* आंकडों सहित पूछे पक्ष- विपक्ष से प्रश्न
अमरावती/दि.2 – विदर्भ विकास बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य रहे और पश्चिम विदर्भ के विकास हेतु सदैव आंकडों सहित आवाज उठानेवाले डॉ. संजय खडक्कार ने आशंका जताई कि विदर्भ विकास का संतुलन बिगड रहा है. केवल नागपुर और पूर्व विदर्भ पर ही ध्यान दिया जा रहा है. अमरावती संभाग बुरी तरह पिछड रहा है. यहां औद्योेगिक विकास के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे. पश्चिम विदर्भ की बैकलॉग की बात करें तो यह अत्यंत भयावह हो गया है. जिससे अब आंकडे भी शासन प्रशासन छिपा रहा है. डॉ. खडक्कार ने हाल ही में नागपुर में विविध हजारों करोड के औद्योगिक प्रकल्पों के बारे में प्रतिक्रिया पूछने पर उपरोक्त आरोप किए.
* नागपुर में सबकुछ, अमरावती को कुछ नहीं
उप राजधानी शहर नागपुर के लिए राज्य सरकार ने 40 हजार करोड के सात प्रकल्प मंजूर किए हैं. उसमें से एक भी प्रकल्प अमरवती संभाग के लिए नहीं है. इसी विषय पर डॉ. खडक्कार ने प्रश्न उठाए हैं. उन्होंने विश्व बैंक की रिपोर्ट का उल्लेख कर कहा कि प्रादेशिक विषमता 10 प्रतिशत कम किए जाने पर देश का सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी डेढ प्रतिशत बढता है. विदर्भ का प्रादेशिक असंतुलन दूर करने उपेक्षित विभाग अर्थात अमरावती संभाग में बडे प्रमाण में निवेश और शासन निधि का प्रावधान आवश्यक बताया.
* समृध्दि हाईवे का आउट कम क्या ?
डॉ. खडक्कार ने कहा कि 56 हजार करोड की लागत से समृध्दि महामार्ग का निर्माण किया गया. पिछले वर्ष महामार्ग संचालित हो गया. हजारों वाहन इससे दौड रहे हैं. इस महामार्ग का अमरावती और मराठवाडा क्षेत्र के लिए आउट कम क्या है ? इस प्रश्न पर सत्ता और प्रतिपक्ष दोनों ही उत्तर देने से कतरा रहे हैं.
* सिंचाई के पैसे गये कहां
डॉ. खडक्कार ने कहा कि 2012 में महाराष्ट्र में 17 प्रतिशत खेतीबाडी सिंचाई में थी. आज 2024 में 19 प्रतिशत आंकडा हो गया है. केवल 3 प्रतिशत सिंचाई क्षेत्र बढा हैं. फिर इतना पैसा गया कहां ? खर्च क्यों छिपाया जा रहा है ? आरटीआई के माध्यम से आंकडे देने पर भी समय लगता हैं. 13 वर्षो में 3 प्रतिशत सिंचाई क्षेत्र बढा, इस गति से कितना समय लगेगा, सहज अनुमान लगाया जा सकता है.
* अमरावती पीछे के पीछे
विकास बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य रहे प्रा. खडक्कार ने कहा कि अमरावती संभाग पिछडा हुआ ही हैं. 15 वर्ष बीत गये यहां कोई बडा उद्योग या हाल के वर्षो में बडा सेवा क्षेत्र का प्रकल्प नहीं स्थापित हुआ है. पूरे 5 जिले अमरावती, अकोला, यवतमाल, बुलढाणा, वाशिम पर यह लागू होता है. देश की जीडीपी में सेवा क्षेत्र का योगदान बढ रहा है. अमरावती में भी आइटी हब विकसित किया जा सकता है. यहां के युवाओं में बेरोजगारी बेतहाशा बढी है. हैरानी तो इस बात की है कि लीथीयम बैटरी, सोलर पीवी माडयूल, मद्यार्क निर्मिती सभी प्रकल्प नागपुर संभाग को दिए गये हैं. अमरावती को कुछ नहीं दिया गया. ऐेसे से तो विकास का असमतोल बढना ही है.
* लीडरान चिडीचुप
डॉ. खडक्कार ने आश्चर्य जताया कि संभाग के पक्ष और विपक्ष दोनों ही नेता इतनी बडी खामी के बावजूद खामोश बैठे हैं. कोई भी आवाज नहीं उठा रहा. प्रत्येक नेता अपने चुनावी क्षेत्र तक सीमित हैं. यहां के युवाओं, आनेवाली पीढियों के बारे में कोई विचार करता दिखाई नहीं देता. लीडरान की चुप्पी पश्चिम विदर्भ को भारी पड रही है.

 

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