जिला बैंक के पांच संचालकों पर ला सकते हैं अविश्वास प्रस्ताव
सत्ता संघर्ष बरकरार
* विपक्ष की अर्जी पर हाईकोर्ट ने दी व्यवस्था
* उपाध्यक्ष ढेपे बोले – जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
अमरावती/दि. 29 – जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के सत्ता गट के सहभागी पांच निदेशकों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की व्यवस्था उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने विविध फैसलों के आलोक में दी. कोर्ट के निर्णय पश्चात जिले के सहकारिता क्षेत्र में हलचल मची है. वहीं सत्ता पक्ष अर्थात उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे ने कहा कि, निर्णय का अध्ययन किया जा रहा है. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में भी जा सकते हैं. ढेपे ने निदेशक मंडल में बहुमत का दावा किया.
दूसरी ओर विभागीय सहनिबंधक के आदेशानुसार बैठक आहूत कर अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मतदान कराया जा सकता है. जबकि कुछ जानकार इसे बैंक के सत्ता संघर्ष से जोडकर देख रहे हैं. उल्लेखनीय है कि, जिला बैंक के कुछ निदेशकों की अर्जी पर सुनवाई दौरान अमरावती जिला शिक्षक सहकारी बैंक के इसी प्रकार के मामले की भी चर्चा हाईकोर्ट सुनवाई दौरान हुई. बल्कि उसका भी उदाहरण याचिकाकर्ताओं ने खंडपीठ के सामने किया था. यह व्यवस्था उच्च न्यायालय के न्या. अभय मंत्री और न्या. अविनाश घरोटे की खंडपीठ द्वारा दिए जाने की जानकारी है.
उल्लेखनीय है कि, जिला बैंक के निदेशक सर्वश्री वीरेंद्र जगताप, श्रीकांत गावंडे, अनिरुद्ध उर्फ बबलू देशमुख, रवींद्र गायगोले, हरीभाऊ मोहोड, दयाराम काले, पुरुषोत्तम अलोणे, प्रकाश कालबांडे, बलवंत वानखडे, सुभाकर भारसाकले, सुरेश साबले, मोनिका वानखेडे, सुनील वर्हाडे, सुरेखा ठाकरे ने अर्जी दायर की थी. इस मामले में विभागीय सहायक रजिस्ट्रार और शंकर कुंभार, जिला बैंक, नरेशचंद्र ठाकरे, आनंद काले, अजय मेहकरे, जयप्रकाश पटेल, चित्रा डहाणे को प्रतिवादी बनाया गया था. कोर्ट की सुनवाई दौरान अनेक पूर्ववती निर्णयों का उल्लेख याचिकाकर्ता ने किया था.
खंडपीठ ने महाराष्ट्र सहकारिता अधिनियम की धारा 73-1डी(1) के तहत महाराष्ट्र सहकारिता संस्था नियम 1961 की धारा 57-ए के प्रावधानों का अपनी व्यवस्था में उल्लेख किया. शिक्षक बैंक की याचिका का निपटारा करते हुए उसी संदर्भ में जिला बैंक के निदेशकों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय सभा बुलाकर मतदान से किया जा सकता है, इस प्रकार की व्यवस्था न्या. मंत्री और न्या. घरोटे ने दी है. बैंक के विपक्ष का कहना है कि, कोर्ट का निर्णय सत्ताधीशों को तगडा झटका है. वहीं सत्तापक्ष के सदस्यों का कहना है कि, निर्णय को देखा जा रहा है. इस मामले में जरुरत पडी तो उच्च न्यायालय की व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
* शिक्षक बैंक के पांच सदस्य अपात्र
कोर्ट ने प्रभाकर उत्तम झोड, मंगेश खेरडे, गौरव काले, मनोज चौरपगार, संजय नागे की याचिका पर फैसला सुना दिया. उन्होंने शिक्षक सहकारी बैंक के पांच संचालकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी अदालत से लगाई थी. इसके लिए सहकारिता कानून 1961 की धारा 73(1) ड, उपधारा 20(2) के अनुसार गत 4 जनवरी 2024 को विभागीय उपनिबंधक द्वारा आहूत विशेष सभा में 16-5 वोट से पारित अविश्वास प्रस्ताव पर कोर्ट ने मुहर लगा दी. उक्त पांच सदस्यों के विरुद्ध याचिकाकर्ताओं ने अनेक आरोप किए थे. कोर्ट ने आदेश में कहा कि, विशेष सभा में उक्त पांच संचालकों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है. इसलिए उस सभा का निर्णय मान्य किया जाता है.
* सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
जिला बैंक उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे ने हाईकोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था को धक्कादायक बताया. ढेपे ने कहा कि, निर्णय का अध्ययन कर सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि, फैसले से बैंक के सत्ताधीशों पर कोई परिणाम नहीं होगा. हमारे पास योग्य संख्याबल है.
* सहकारिता की लोकशाही खतरे में
शिक्षक बैंक के अपात्र ठहराए गए संचालक गौरव काले ने कहा कि, हाईकोर्ट का डिसीजन का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि, फैसले का प्रदेश में दूरगामी परिणामी होगा. सहकारिता क्षेत्र की लोकशाही खतरे में आ गई है.