अमरावती/दि.27 – विगत पांच वर्षों के दौरान मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण की वजह से किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई है. ऐसा दावा अमरावती जिला स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा किया गया है. किंतु हकीकत यह है कि, इन्हीं पांच वर्षों के दौरान 1 हजार 400 से अधिक अर्भक व बाल मौतें हुई है. ऐसे में इन मौतों का निश्चित कारण क्या है और इसका जवाब कौन देगा, यह सवाल पूछा जा रहा है.
नागपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता अभय कोलारकर ने सूचना अधिकार अंतर्गत आदिवासी विकास विभाग से जानकारी मांगी थी कि, वर्ष 2017 से अब तक मेलघाट में कितने गर्भस्थ शिशुओं और नवजात बच्चों की मौत हुई. जिसके जवाब में स्वास्थ्य महकमे की ओर से दी गई जानकारी में दावा गया कि, इन पांच वर्षों के दौरान मेलघाट में कुपोषण की वजह से कोई मौत नहीं हुई है.
बता दें कि, मेलघाट क्षेत्र में 323 गांवों का समावेश होता है. जहां की जनसंख्या 3 लाख 3 हजार 480 है. जिसमें से 2 लाख 35 हजार 241 नागरिक आदिवासी है. स्वास्थ्य महकमे की ओर से दी गई अधिकृत जानकारी के मुताबिक मार्च 2017 से 31 मई 2021 की कालावधि के दौरान 1 हजार 449 गर्भस्थ शिशुओं व नवजात बच्चों की मौत हुई. जिनमें शून्य से 28 दिन आयुवाले 742 नवजात बच्चों, 1 से 6 वर्ष आयुगुटवाले 345 बच्चों तथा 432 गर्भस्थ शिशुओं का समावेश था. स्वास्थ्य महकमे द्वारा दावा किया गया है कि, इसमें से एक भी मौत कुपोषण की वजह से नहीं हुई है. बल्कि सभी मौतें अलग-अलग बीमारियों के चलते हुई. यद्यपि प्रशासन द्वारा कुपोषण नियंत्रण में रहने का दावा किया जा रहा है, किंतु इसके बावजूद बडे पैमाने पर होनेवाली बाल मौतों की वजह से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवालिया निशान लगता दिखाई दे रहा है.
वर्ष अर्भक मृत्यु नवजात अर्भक मृत्यु (0 से 28 दिन) बाल मृत्यु (1 से 6 वर्ष)
मार्च 2017 160 120 127
मार्च 2018 151 66 51
मार्च 2019 144 101 64
मार्च 2020 122 74 50
मार्च 2021 155 57 41
मई 2021 10 14 12