अमरावती

शालेय शुल्क वृध्दि पर कोई सुनवाई नहीं

शिक्षा विभाग में कई अधिकारियों के पद रिक्त

  • कौन सुनेगा अभिभावकों की शिकायतें

  • 14 तहसीलों में गट शिक्षाधिकारी का जिम्मा प्रभारियो के पास

अमरावती/दि.15 – कोविड संक्रमण काल के दौरान शालाएं बंद रहने के चलते हर किसी के द्वारा ऑनलाईन शिक्षा का आधार लिया जा रहा है. क्योंकि इस समय संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी शालाएं बंद है. वहीं दूसरी ओर निजी शालाओं द्वारा ऑनलाईन पढाई जारी रहने के बावजूद अभिभावकों से उनके पाल्यों की पढाई हेतु पूरी फिस ली जा रही है, बल्कि कई शालाओं द्वारा तो गत वर्ष की तुलना इस वर्ष फिस में वृध्दि भी की गई है. साथ ही फिस भरना अनिवार्य करते हुए साफ तौर पर कहा गया है कि, जिन अभिभावकों द्वारा शालेय शुल्क अदा नहीं किया जायेगा, उनके पाल्योें की परीक्षा नहीं ली जायेगी. साथ ही उनके परिक्षा परिणाम भी घोषित नहीं किये जायेंगे. ऐसे में अब सभी अभिभावकों में जबर्दस्त रोष व संताप की लहर देखी जा रही है और बडी संख्या में अभिभावक अपनी शिकायतें दर्ज कराने हेतु शिक्षा विभाग में पहुंच रहे है. किंतु शिक्षा विभाग में प्राथमिक व निरंतर इन दो विभागों के शिक्षाधिकारियों के अलावा माध्यमिक शिक्षाधिकारी व उपशिक्षाधिकारी तथा गटशिक्षाधिकारी स्तर के पद रिक्त पडे है. ऐसे में अभिभावकों की शिकायतों को सुनते हुए उन्हें हल कौन करेगा, यह अपने आप में एक बडी समस्या है.
बता दें कि, जिला परिषद शिक्षा विभाग अंतर्गत प्राथमिक, माध्यमिक व निरंतर ऐसे तीन विभाग आते है. जिसमें से प्राथमिक व निरंतर शिक्षा विभाग में पूर्णकालीक शिक्षाधिकारी नियुक्त है. वहीं माध्यमिक व निरंतर शिक्षा विभाग का कामकाज प्रभारी अधिकारियों के भरोसे चल रहा है. इसके साथ ही प्राथमिक, माध्यमिक व निरंतर शिक्षा विभाग में उपशिक्षाधिकारी के सात पद मंजूर है. जिसमें से प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग में केवल एक-एक पद पर उपशिक्षाधिकारी नियुक्त है और शेष पांच पद रिक्त पडे है. इसी तरह पंचायत समितियों में गट शिक्षाधिकारी का पद सबसे महत्वपूर्ण होता है, किंतु जिले की 14 पंचायत समितियोें में गटशिक्षाधिकारी के सभी पद रिक्त पडे है. इसके अलावा केंद्र प्रमुख एवं मुख्याध्यापकों के पद भी बडे पैमाने पर रिक्त रहने के चलते अधिनस्थ कर्मचारियों पर काम का काफी बोझ रहता है. इस समय एक-एक अधिकारी पर दो से तीन पदों का पदभार है. जिसकी वजह से कामकाज और शिकायतें प्रलंबित रहते है. इसके अलावा इन रिक्त पदों की वजह से पढाई-लिखाई से संबंधित कामकाज पर भी असर पडता है.

– जिले में कुल शालाएं – 2,885
– जिप शालाएं – 1,583
– अनुदानित शालाएं – 738
– बिना अनुदानित शालाएं – 371
– सरकारी शालाएं – 33

शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की स्थिति

पदनाम कुल पद रिक्त पद
शिक्षाधिकारी 03 01
उपशिक्षाधिकारी 07 02
गट शिक्षाधिकारी 14 14

क्या कहते हैं अभिभावक

कोविड संक्रमण काल के दौरान शालाएं बंद रहने के बावजूद अभिभावकों को अंधेरे में रखते हुए कई निजी शालाओं द्वारा शिक्षा शुल्क में बडे पैमाने पर वृध्दि की गई और शुल्क नहीं भरने पर बच्चों को ऑनलाईन पाठ्यक्रम नहीं भेजा जाता. जिसकी शिकायत कई अभिभावकों द्वारा पंचायत समिती स्तर पर शिक्षा विभाग से की गई है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान भी नहीं दिया गया है. इसके अलावा आरटीई अंतर्गत बच्चों को नामांकित शालाओं में नि:शुल्क प्रवेश दिया जाता है. जिसके लिए ड्रॉ निकाला जा चुका है और बच्चों का चयन भी हो चुका है. लेकिन प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पंचायत समिती कार्यालय में गट शिक्षाधिकारी ही उपलब्ध नहीं है. ऐसे में हम सभी लोगों को जिलास्तरीय शिक्षा विभाग के चक्कर काटने पडते है, ऐसा कई अभिभावकोें का कहना रहा.

शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों का मत

– शिक्षा विभाग में शिक्षा उपसंचालक से मुख्याध्यापक तक करीब 50 फीसदी पद रिक्त पडे है. एक ही अधिकारी के पास संचालक स्तर के तीन पदों का कार्यभार है. ऐसे में विद्यार्थियों, अभिभावकों व शिक्षकों की समस्या को हल करने हेतु शिक्षा विभाग के पास कोई पर्याय ही उपलब्ध नहीं है. अत: जल्द से जल्द सभी रिक्त पदों पर नियुक्ती की जानी चाहिए.
– किरण पाटील
उपाध्यक्ष, अखिल महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षक संघ

– शिक्षा विभाग में कई महत्वपूर्ण पद रिक्त है. साथ ही केंद्र प्रमुखों के पद रिक्त रहने के चलते शालाओं में पर्यवेक्षण का काम रूका पडा है और अन्य सभी तरह के कामों पर तनाव आ रहा है. शिक्षक पात्र रहने के बावजूद उन्हें पदोन्नति भी नहीं मिल रही है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, 2014 तथा 30:40:30 के आदेश को रद्द किया जाये.
– राजेश सावरकर
राज्य प्रतिनिधि, प्राथमिक शिक्षक समिती

शैक्षणिक कामों और गुणवत्ता पर परिणाम

जिले के माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षाधिकारी पद रिक्त रहने के चलते इस पद का जिम्मा अन्य अधिकारियों के पास दिया गया है. ऐसे में इस कार्यालय में नियमित अधिकारी नहीं रहने की वजह से इसका परिणाम यहां के कामकाज पर हो रहा है.
इसके साथ ही जिले की सभी 14 तहसीलों में गट शिक्षाधिकारी के पद रिक्त रहने के चलते शिक्षा संबंधी योजनाओं पर अमल करने में काफी समस्याएं व दिक्कतें आ रही है. लगभग यहीं स्थितत आरटीई के तहत दिए जानेवाले नि:शुल्क प्रवेश को लेकर भी है. साथ ही केंद्र प्रमुख नहीं रहने की वजह से शालाओं का पर्यवेक्षण संबंधी काम रूका हुआ है और शिक्षकों के भी अनेकों प्रश्न प्रलंबित है. इसके अलावा शैक्षणिक गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है.

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