-
अफवाह फैलाने पर अपराध भी दर्ज हो सकता है
अमरावती/दि.7 – दो दिन पूर्व शिव मंदिरों में शिव पिंड सहित नंदी की मूर्तियों द्वारा दूध व पानी पीने की खबर बडी तेजी से फैली. जिसे चमत्कार मानकर भोले-भाले लोगबाग मंदिरों में भीडभाड करने लगे. किंतु हकीकत यह है कि, पत्थर सहित किसी भी वस्तु अथवा धातू से बनी कोई भी मूर्ति कभी भी पानी अथवा दूध को नहीं पीती है, बल्कि वह पानी अथवा दूध मूर्ति से लगकर जमीन की ओर उतरता है और मूर्ति का पूरी तरह से गीला हो चुका हिस्सा इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. इस आशय की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती के हरीश केदार ने कहा कि, इस तरह की भ्रामक खबरों को सच मानकर इसमें फंसनेवाले लोग हकीकत में खुद के साथ ही मानसिक रूप से जालसाजी कर रहे है. यह बात सभी ने समझनी चाहिए.
इसके साथ ही अ. भा. अनिसं के हरीश केदार ने यह भी कहा कि, विगत कई दिनों से बार-बार इस तरह की अफवाहें फैल रही है. यह कोई संयोग नहीं है. बल्कि एक सुनियोजीत षडयंत्र है. जिसके तहत जानबूझकर ऐसी खबरें फैलाई जा रही है. अत: सीबीआई ने इस पूरे मामले की जांच भी करनी चाहिए. उन्होेंने बताया कि, तथाकथित चमत्कारों का प्रयोग प्रदर्शित करना और ऐसे तथाकथित चमत्कारों का प्रचार-प्रसार करते हुए लोगों को फंसाना, ठगना या उनमें दहशत पैदा करना जादूटोणा विरोधी कानून अंतर्गत गंभीर अपराध है. इसके तहत संबंधितों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार भी किया जा सकता है. साथ ही जो लोग ऐसे वीडियो वायरल कर रहे है, उनके खिलाफ अपराध दर्ज हो सकता है. केदार ने यह भी बताया कि, अ. भा. अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती विगत कई वर्षों से चुनौती दे रही है कि, लिखीत चुनौती प्रक्रिया को पूर्ण कर किसी भी चमत्कार को सिध्द करो और 25 लाख रूपये का इनाम ले जाओ. किंतु इतने वर्षों के दौरान आज तक कोई भी इस चुनौती को स्वीकार करने हेतु आगे नहीं आया. ऐसे में जिन्हें यह लगता है कि, नंदी की मूर्ति या शिव पिंड पानी अथवा दूध पी रहे है, तो ऐसे लोगों उने इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए.