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अमरावती में अब नहीं चाहिये लॉकडाउन

जिले के सैंकडों लोगोें ने कहा

  • जनता उब चुकी है, व्यापार, उद्योग-धंदे चौपट हो रहे है

  • अमरावती मंडल ने जानी सभी की राय

  • ९० फीसदी लोग लॉकडाउन के खिलाफ

  • जैसे भी हो कोरोना से लडेंगे और जीतेंगे भी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ -इस समय अमरावती शहर सहित जिले में कोरोना का संक्रमण बडी तेजी से फैल रहा है. ऐसे में हालात को नियंत्रित करने हेतु क्या एक बार फिर लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए. इस विषय को लेकर दैनिक अमरावती मंडल द्वारा अपने फेसबुक ग्रुप के जरिये एक ऑनलाईन परिचर्चा ली गयी. जिसमें जिले के सैंकडों लोगों ने हिस्सा लिया. साथ ही ९० प्रतिशत से अधिक लोगों का कहना रहा कि, जिले में अब बिल्कूल भी लॉकडाउन नहीं होना चाहिये. इस परिचर्चा में कई लोगों ने यहां बडे रोचक अंदाज में अपनी बात रखी. वहीं कई लोगों ने बडे धीर-गंभीर तरीके से अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि, अब हालात चाहे जैसे भी हो, हम सभी कोरोना से लडेंगे भी और जीयेंगे भी. साथ ही कोरोना के खिलाफ जारी जंग में जीत भी हासिल करेंगे. ऐसे में इस परिचर्चा का कुल सार यह निकलता है कि, अमरावती के लोग अब किसी भी हाल में अमरावती में लॉकडाउन नहीं चाहते. ज्ञात रहे कि, विगत दिनों स्थानीय जिला पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर सहित जिला प्रशासन द्वारा संकेत दिये गये थे कि, यदि अमरावती में कोरोना को लेकर हालात नियंत्रित नहीं होते है और यहां पर कोरोना संक्रमितों की संख्या ऐसे ही बढती रहती है, तो अमरावती में एक बार फिर कुछ समय के लिए लॉकडाउन लगाना पड सकता है. इस बात के मद्देनजर दैनिक अमरावती मंडल ने अपने फेसबुक पेज के जरिये एक परिचर्चा आयोजीत की. जिसमें अमरावती वासियों से पूछा गया कि, क्या अमरावती जिले में अब और १५ दिनों का लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए. जिस पर अधिकांश लोगों ने नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, लॉकडाउन बहुत हो चुका, अब और नहीं. इस परिचर्चा में भाग लेते हुए अधिकांश लोगों ने लॉकडाउन नहीं लगाने को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, लॉकडाउन की वजह से सभी व्यापार-व्यवसाय तथा उद्योग-धंदे पूरी तरह से ठप्प हो जाते है और लोगों के पास आय का कोई स्त्रोत भी नहीं रहता.ऐसे में गरीब तबके के लोगों के लिए काफी मुश्किलें पैदा हो जाती है. अत: अब कोई लॉकडाउन नहीं लगाया जाना चाहिये. बल्कि इसके स्थान पर अन्य कुछ कडे प्रतिबंधात्मक उपाय लागू करते हुए लोगों को इस बीमारी के संदर्भ में अधिक से अधिक जागरूक करना चाहिये. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इस परिचर्चा में समाज के सभी वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया और कई लोगों ने प्रशासन द्वारा किये जा रहे कामों की कुछ कमियां भी उजागर की. वहीं कई अन्य लोगों ने लॉकडाउन लगाने की बजाय हर एक व्यक्ति के व्यक्तिगत तौर पर और अधिक जिम्मेदार होने की बात कही. कुछ का कहना रहा कि, लॉकडाउन लगाने से कोई फायदा नहीं. यह एक संक्रामक बीमारी की तरह है.

अत: जिस किसी को ऐसा लगता है कि, उनमें कोरोना सदृश्य लक्षण दिखाई दे रहे है, तो वे तुरंत ही अपनी स्वास्थ्य जांच कराये, ताकि उनके सहित अन्य लोगों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे. इस परिचर्चा में कई लोगों ने प्रशासन द्वारा इससे पहले किये गये लॉकडाउन और इन दिनोें प्रति सप्ताह के अंत में शनिवार व रविवार को लागू किये जा रहे जनता कफ्र्यू पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि, प्रशासन द्वारा जनता कफ्र्यू का ही कडाई के साथ पालन करवाने में सफलता नहीं मिल रही.

ऐसे में अब लॉकडाउन घोषित करके कोई फायदा नहीं. वहीं कई लोगोें ने लॉकडाउन लगाये जाने का समर्थन भी किया, लेकिन ऐसे लोगों का प्रतिशत काफी कम रहा. लॉकडाउन का समर्थन करनेवाले लोगों का कहना रहा कि, जब से लॉकडाउन खुला है, तब से कोरोना संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढी है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय है.

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