जिले में किसी भी विधायक के पास बंदूक का लाइसेंस नहीं !
जिलाधिकारी कार्यालय लाइसेंस शाखा की जानकारी
अमरावती/ दि. 20-जिले के ग्रामीण विभाग जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से शस्त्रों का लाइसेंस दिया जाता है और यह लाइसेंस तीन वर्षो के लिए वैध रहता है. तीन वर्ष पूर्ण होने के बाद लाइसेंस को रिनीवल करवाना आवश्यक है. जिले में विधानसभा चुनाव शांतता से संपन्न करवाने के उद्देश्य से जिले के सभी 31 पुलिस थाना क्षेत्र में लाइसेंस धारको से अपने शस्त्र जमा करवाने के आदेश जिलाधिकारी सौरभ कटियार द्बारा दिए गये थे. जिसमें अधिकांश शस्त्र थानों में जमा करवा दिए गये. जिले के आठों ही विधायक तथा सांसद के पास शस्त्र का लाइसेंस नहीं होने की जानकारी राजस्व प्रशासन द्बारा दी गई.
जिले में 375 लोगों के पास शस्त्र के लाइसेंस है. जिसमें बिल्डर, डॉक्टर और व्यापारियों का समावेश है. इन सभी को सुरक्षा के लिए लाइसेंस दिए गये थे तो कुछ लाइसेंस फसलों की सुरक्षा के लिए जिलाधिकारी कार्यालय की गृहशाखा की ओर से दिए गये थे. शस्त्र के लाइसेंस के लिए जिलाधिकारी कार्यालय की गृहशाखा में निवेदन किया जाता है और आवेदन आने के बाद जिलाधिकारी कार्यालय से पुलिस की रिपोर्ट मंगवाई जाती है और सविस्तार जांच के बाद आवेदक को सही मायनों में शस्त्र की आवश्यकता है और उसकी जान को खतरा है. यह सिध्द होने के पश्चात शस्त्र का लाइसेंस दिया जाता है.
* सांसद वानखडे के पास भी नहीं है बंदूक का लाइसेंस
जिले के सांसद बलवंत वानखडे के पास भी नहीं है बंदूक का लाइसेंस और न ही उनके पास कोई शस्त्र है. वे दर्यापुर के विधायक भी रह चुके हैं.
* जिले के आंठो विधायक के पास नहीं है शस्त्र का लाइसेंस
अमरावती जिले के आंठो विधायक क्रमश: सुलभा खोडके, रवि राणा, प्रवीण तायडे, उमेश यावलकर, केवलराम काले, गजानन लवटे, प्रताप अडसड के पास बंदूक का लाइसेंस नहीं है. वही तिवसा के विधायक राजेश वानखडे का लाइसेंस रद्द हैं.
* सुरक्षा के लिए दिया जाता है शस्त्र का लाइसेंस
स्वयं की जान को खतरा होने पर व फसल की सुरक्षा के लिए आवेदन करने के पश्चात लाइसेंस दिया जाता है. आवेदन की जांच कर सही मायने में आवेदक की जान को खतरा होने पर जांच के पश्चात दिया जाता है शस्त्र का लाइसेंस.
* लाइसेंस के लिए यहां करें आवेदन
जिलाधिकारी कार्यालय के लाइसेंस शाखा में आवेदन आवश्यक दस्तावेज जोडकर करें. लाइसेंस शाखा द्बारा पुलिस से जानकारी मंगवाने के बाद प्रक्रिया पूर्ण कर आवेदक को लाइसेंस दिया जाता है.
खर्च पशु संवर्धन विभाग द्बारा दिया जायेगा.