अमरावती

‘जिस समाज में संगठन है उसे कोई मिटा नहीं सकता’

आचार्य श्री सुवीरसागरजी के आशीर्वचन

अंबानगरी में भव्य स्वागत
अमरावती/दि. ६- आचार्यश्री सुवीरसागरजी महाराजजी ने प्रवचन में कहा कि हम अमरावती बहुत बार आये लेकिन इस बार जो मजा आया वह पहले कभी नहीं आया. आचार्य श्री ने कहा कि जिस समाज में संगठन है उसे कोई मिटा नहीं सकता. समाज में संगठन बनाकर रखना चाहिए. तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मतिसागर जी गुरुदेव के परम शिष्य पार्श्वोदय तीर्थ उद्धारक आचार्य श्री का विहार कौंडण्यपुर से अमरावती की ओर हुआ. सुबह ८ बजे स्थानीय जयस्तंभ चौक पर अमरावती में विराजमान मुनिश्री विशेषसागरजी महाराज के सानिध्य में आचार्यश्री की आगवानी की गई. इसी स्थान पर निमित्य ज्ञानी वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री १०८ विमलसागर जी गुरुदेव की दो अनुपम धाराओं के मंगलमय वात्सल्य मिलन के साक्षी बनने का अवसर अमरावती वासियों को प्राप्त हुआ. मुनिश्री सुवीरसागरजी महाराज के शिष्य संगीता उल्हास क्षीरसागर के निवास स्थान पर पद प्रक्षालन हुआ. वहा से ब्र. संदीप वैद्य के घर भी मुनिश्री के चरण पडे. पश्चात जयस्तंभ चौक पर मुनिश्री १०८ श्री विशेषसागरजी महाराज एवं श्री १०८ सुवीरसागरजी महाराज का मंगलमिलन हुआ. आचार्य श्री १०८ सुवीरसागर जी महाराज संघ एवं राष्ट्र संत गणाचार्य गुरुदेव आचार्य श्री १०८ विरागसागर जी महाराज के परम शिष्य सर्वज्ञ तीर्थ प्रणेता मुनिश्री १०८ विशेषसागर जी महाराज जयस्तंभ से राजकमल, गांधी चौक, अम्बागेट होते हुए बुधवारा स्थित सैतवाल दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचे. वहां दोनों महाराजजी का पाद प्रक्षालण किया गया. पश्चात मुनिश्री विशेष सागरजी के प्रवचन हुए. मुनिश्री ने कहा कि हम १ मई को अमरावती आये थे और हमने अमरावती के सभी प्राचीन मंदिर का दर्शन किया. हमें ऐसा लगा कि हम प्राचीन क्षेत्र में आ गये. हमने स्वयं अनुभव किया और आगम में लिखा है कि जिस भूमि में मुनियों का मिलन होता है वह भूमि सामान्य भूमि नहीं तीर्थ भूमि हो जाती है. इससे पता चलता है कि अमरावती तीर्थ भूमि है. प्रवचन पश्चात मुनिसंघ की आहारचर्या हुई.
* आहार देने का सौभाग्य
परम पूज्य पार्श्वोदय तीर्थ उद्धारक आचार्य श्री १०८ सुवीरसागर जी महाराज एवं सर्वज्ञ तीर्थ प्रणेता मुनिश्री १०८ विशेषसागर जी महाराज के निरंतराय आहार कराने का सौभाग्य राजेश-प्रियंका पीयूूष, सर्वार्थ, सिद्धि एवं हनुमंते (जैन) परिवार को प्राप्त हुआ. आर्यिका श्री १०५ सुपार्श्वमती माताजी के निरंतराय आहार कराने का सौभाग्य श्री रमेश जी जैन, ब्र. रचना दीदी, ब्र. शिखा दीदी , एवं परिवार को प्राप्त हुआ. क्षुल्लक श्री १०५ सुप्रज्ञसागर जी महाराज के निरंतराय आहार कराने का सौभाग्य श्री संदीप सौ विजया फुकटे, शौर्य, सम्मेद (जैन) एवं परिवार को प्राप्त हुआ. क्षुल्लक श्री १०५ सुज्ञानसागर जी महाराज के निरंतराय आहार कराने का सौभाग्य रवि- नीलिमा जैन एवं परिवार को प्राप्त हुआ. अमरावती नगर गौरव क्षुल्लिका श्री १०५ सुधैर्यमती माताजी के निरंतराय आहार कराने का सौभाग्य नितिन नखाते एवं परिवार को प्राप्त हुआ.
* सभी श्रद्धालुओं ने दर्शन का लिया लाभ
आहार पश्चात सामायिक व दोपहर के सत्र में स्वाध्याय हुआ. इस समय सैकडों भक्त बुधवारा स्थित सैतवाल दिगम्बर जैन मंदिर में उपस्थित थे. शाम के सत्र में शाम मे ठीक ६.३० बजे से गुरुभक्ति, आचार्यश्री सुवीरसागरजी की आरती एवं मुनिश्री विशेषसागरजी महाराज की आरती तथा आनंदयात्रा, प्रश्नमंच का सभी श्रध्दालुओं ने लाभ लिया. इस समय संगीता उल्हास क्षीरसागर, ब्र. संदीप वैध्य, अभिनन्दन पेंढारी,संदीप फुकटे सचिन संगई, सजल जैन, सचिन जैन, राजु बन्नोरे, कहाते, नखाते, सुधीर गांधी, कस्तूरीवाले, योगेश विटालकर, प्रमोद बगत्रे, नीता बगत्रे, दिलीप नखाते, राजेन्द्र नखाते, सुरेश डोलस, निरंजन फुकटे, सचिन जैन, अभिजीत फुलंबरकर, प्रजय डांगूर, सोनाली फुकटे, सीमा फुकटे, संध्या फुकटे, शारदा फुकटे, आशा वारकरी, सुनील तिप्पट, संजय विटालकर, सौ. रूपाली विटालकर, सौ. पुष्पाताई विटालकर, दीपा धनुष्कर, मंजूषा आगरकर, कल्पना डोलस, सौ. संगीता तिप्पट, सुरेश डोलस, प्रदीप वा. आगरकर, किशोर नखाते, रवींद्र तिप्पट, रवि गुलालकरी, सिध्दांत फुकटे, सक्षम फुकटे, शाश्वत फुकटे, शौर्य फुकटे, पार्श्व फुकटे, सम्मेद फुकटे, सकल फुकटे आदि श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थीं.

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