अमरावती/दि.17 – संभाग के उच्च शिक्षण सहसंचालक व्दारा आदेश जारी किया गया था. जिसमें नैक मूल्यांकन बगैर प्रोफेसरो का भुगतान नहीं किया जाएगा. इस संदर्भ में 26 महाविद्यालयों को पत्र भेजे गए. उच्च शिक्षण सहसंचालकों व्दारा दिए गए आदेशों को तुगलकीय करार देते हुए शिक्षण मंच ने आदेश का निषेध व्यक्त किया. अ.भा. शैक्षिक महासंघ महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष प्रो. प्रदीप खेडकर के अनुसार नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया शिक्षण संस्था के सभी घटकों के संयुक्त प्रयासों से होती है. इसी तरह इस प्रक्रिया में सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. भर्ती अनुदान की उपलब्धता, संबद्धता आदि के संदर्भ में इस प्रक्रिया में सरकार और विश्वविद्यालय की सक्र्रिया भागीदारी आवश्यक है.
इस संबंध में जानबूझकर अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी कर सारी जिम्मेदारी प्राचार्य व सभी प्राध्यापकों के माथे मढने का शिक्षक मंच ने तीव्र निषेध जताया है. क्या शिक्षण संचालक को नियमानुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले प्राध्यापकों और सभी प्राध्यापकों के वेतन पर रोक लगाने का अधिकार है? ऐसा सवाल शिक्षण मंच ने पूछा है. इस प्रकार का पत्र प्रोफेसरों की वित्तीय उपलब्धता पर सवाल उठाता है उन्हें वित्त घोषित करने वाली संस्था की विश्वसनीयता को कम करता है अत: सभी प्राध्यापकों की ओर से संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ शिक्षण मंच एवं अ.भा. शैक्षिक महासंघ महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष प्रो. प्रदीप खेडकर ने पत्रक का सार्वजनिक विरोध करते हुए इसे तत्काल निरस्त करने को अनुरोध शिक्षण संचालक से किया है.