मेलघाट के धर्मस्थलों पर न लगाया जाये कोई प्रतिबंध
विधायक राजकुमार पटेल ने जिलाधीश से की मांग
आदिवासियों की धार्मिक भावनाओं व परंपराओं का दिया हवाल
अमरावती/दि.1- आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में रहनेवाले आदिवासी ग्रामीणों द्वारा सैंकडों वर्षों से घने जंगलों में स्थित अपने धार्मिक स्थलों व श्रध्दास्थानों पर पूजा-अर्चना करने और मन्नत पूरी करने की परंपरा का पालन करते आये है. अत: प्रशासन द्वारा इसमें किसी भी तरह की कोई बाधा न पहुंचायी जाये. साथ ही घने जंगलों में स्थित इन धर्मस्थलों पर विशिष्ट कालावधी के दौरान होनेवाली पूजा-अर्चना पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध न लगाया जाये. इस आशय की मांग का ज्ञापन मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल द्वारा जिलाधीश पवनीत कौर को सौंपा गया है.
इस ज्ञापन में कहा गया है कि, मेलघाट क्षेत्र में भूमका बाबा मंदिर, डवरादेव बाबा मंदिर, नरसिंग बाबा मंदिर, कांद्रीबाबा मंदिर, राजदेव बाबा मंदिर, जिन बाबा मंदिर, महादेव बाबा मंदिर तथा वैराट देवी मंदिर जैसे धार्मिक स्थल आदिवासियों के धार्मिक श्रध्दास्थान है. जहां पर क्षेत्र के आदिवासियों द्वारा पूरे सालभर के दौरान विशिष्ट कालावधी में जाकर पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही अपनी मन्नत पूरी होने पर परंपरानुरूप आवश्यक विधान पूर्ण किये जाते है. विधायक पटेल के मुताबिक आजादी के पहले से लेकर आजादी के बाद तक मेलघाट के आदिवासियों को अपने श्रध्दास्थानों पर जाकर पूजा-अर्चना पूर्ण करने से कभी भी रोका नहीं गया. किंतु विगत दो वर्षों से मेलघाट में व्याघ्र प्रकल्प का दायरा लगातार बढाया जा रहा है और कोअर एरिया में आनेवाले सैंकडों वर्ष पुराने धार्मिक स्थलों पर जाने से आदिवासियों को रोका जा रहा है. जिससे वे अपने पुर्वजों की संस्कृति व परंपराओं का पालन नहीं कर पा रहे. इसकी वजह से उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, प्रशासन द्वारा मेलघाट क्षेत्र के आदिवासियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की बजाय आपसी सामोपचार से मामले का हल निकाला जाये, ताकि किसी भी तरह की विवादपूर्ण स्थिति पैदा न हो. अत: प्रशासन द्वारा मुख्य वनसंरक्षक व व्याघ्र प्रकल्प के संचालक को आवश्यक दिशानिर्देश दिये जाने चाहिए.