अमरावती

दस-दस साल की नौकरी के बाद भी वेतन नहीं, शिक्षकों के घर कैसे मने दीवाली

100 फीसद अनुदान नहीं रहने से अत्यल्प मानधन पर कर रहे काम

अमरावती-/दि.19  जिले में अनुदानित, बिना अनुदानित, अंशत: अनुदानित तथा स्वयं अर्थसहायित आदि प्रकार की शालाएं है. जिसमें से शत-प्रतिशत अनुदान रहनेवाली शालाओं के शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को इस समय सातवे वेतन आयोग के अनुसार वेतन मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर बिना अनुदानित व अंशत: अनुदानित शालाओं के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को दस-दस वर्ष तक नौकरी करने के बावजूद भी अब तक नियमित वेतन शुरू नहीं हो पाया है और वे बेहद अत्यल्प मानधन पर काम करने को मजबूर है. ऐसे में इन शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के यहां दीपावली कैसे मनी, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
बता दें कि, जिले में 100 फीसद अनुदान प्राप्त 40 माध्यमिक शाला, 166 कनिष्ठ महाविद्यालय, 9 नगर परिषद, 5 मनपा माध्यमिक तथा 5 नप कनिष्ठ महाविद्यालय ऐसे कुल 658 शालाएं व महाविद्यालय है. वहीं 40 फीसद अनुदान प्राप्त कनिष्ठ महाविद्यालयों की संख्या 44 व माध्यमिक शालाओं की संख्या 8 है. इसके अलावा 20 फीसद अनुदान प्राप्त करनेवाली शालाओें में 12 अतिरिक्त कक्षाएं तथा 34 महाविद्यालयों का समावेश है. 20 से 40 फीसद अनुदान प्राप्त शालाओं व महाविद्यालयों के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को 15 से 20 हजार रूपये का अत्यल्प वेतन मिलता है और सरकार द्वारा अनुदान में कोई वृध्दि नहीं किये जाने के चलते इस बार बेहद सीमित पैसों में दीवाली मनानी पड सकती है. वहीं जिन्हें वेतन ही नहीं मिल रहा, ऐसे शिक्षकोें व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के सामने सबसे मुख्य सवाल यह है कि, आखिर वे अपनी दीवाली कैसे मनाये?

20 फीसद अनुदानित 12 शालाएं
जिले में 20 फीसद अनुदानवाली 52 शालाएं है. जिनमें 44 कनिष्ठ महाविद्यालयों का भी समावेश है. इसमें से नगर पालिका, महानगरपालिका व निजी क्षेत्र की शालाओं में कार्य करनेवाले शिक्षकों को 20 फीसद के अनुसार वेतन दिया जाता है.

40 फीसद अनुदानवाली 46 शालाएं
जिले में 40 फीसद अनुदान प्राप्त करनेवाले शालाओं व महाविद्यालयोें की संख्या 46 है. जिनमें कार्यरत शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को 40 फीसद के हिसाब से वेतन मिलता है.

100 फीसद अनुदानवाली 658 शालाएं
जिले में 100 प्रतिशत अनुदान प्राप्त करनेवाले 658 माध्यमिक शालाएं व कनिष्ठ महाविद्यालय है. जहां पर कार्यरत शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पूरा वेतन लागू है. साथ ही उन्हें सातवें वेतन आयोग के सभी लाभ भी प्राप्त होते है.

बिना अनुदानवाली अघोषित शालाएं व कक्षाएं कितनी
जिले में बिना अनुदानित अघोषित शालाओं व अतिरिक्त कक्षा रहनेवाली शालाओं की संख्या काफी अधिक है. जहां बडे पैमाने पर शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी कार्यरत है. जिन्हें अनुदान के अभाव में बिना वेतन के काम करना पडता है.

बिना वेतन कैसे हो उदरनिर्वाह
जिले की बिना अनुदानित शालाओं में कार्यरत रहनेवाले शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन ही नहीं मिलता. जिसके चलते उन्हें विविध आर्थिक समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. ऐसी संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों को साल में दो-तीन बार नाम मात्र का मानधन मिलता है. परंतु इससे परिवार का उदरनिर्वाह होना मुश्किल है.

तीन शिक्षकों की प्रतिक्रिया
मैं विगत सात-आठ वर्ष से बिना अनुदानित शाला में काम कर रहा हूं, जिसके लिए मुझे कोई वेतन नहीं मिलता. ऐसे में घर खर्च चलाने हेतु खेती-बाडी में काम करता हूं. सरकार ने हमारी शालाओं को भी शत-प्रतिशत अनुदान देना चाहिए.
– बिना अनुदानित शाला का बिना वेतनवाला शिक्षक

सरकार ने कई वर्षों के बाद कुछ बिना अनुदानित शालाओं को केवल 20 प्रतिशत अनुदान लागू किया. यदि सीधे-सीधे पूरा अनुदान लागू किया होता, तो शिक्षकों व कर्मचारियों को आर्थिक दिक्कतों का सामना नहीं करना पडता. आज हम में से अधिकांश शिक्षकों ने 40 वर्ष की आयु पार कर ली है. ऐसे में अब हम और कुछ नहीं कर सकते.
– 20 प्रतिशत अनुदान प्राप्त शिक्षक

बिना अनुदानित शालाओं में काम करनेवाले शिक्षकों व कर्मचारियों की मानसिकता का विचार कर सरकार ने सीधे-सीधे 100 फीसद अनुदान लागू करना चाहिए. बढती महंगाई और जरूरतों के चलते कम वेतन में परिवार का खर्च चलाना बेहद मुश्किल होता है. इस बात की ओर सरकार ने भी ध्यान देना चाहिए.
– 40 फीसद वेेतन प्राप्त शिक्षक

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