अमरावती

दस हजार से अधिक आवारा कुत्तों की नहीं हुई नसबंदी

शहर में तेजी से बढ रहे आवारा कुत्ते, चार वर्ष से नसबंदी अभियान है बंद

अमरावती/दि.29 – अमरावती मनपा क्षेत्र में सडकोें पर घुमनेवाले आवारा कुत्तों की संख्या दस हजार से अधिक है. जिनके द्वारा प्रतिवर्ष राह चलते सैकडों लोगों को काट खाया जाता है, लेकिन बावजूद इसके इन आवारा कुत्तोें की जनसंख्या वृध्दि पर कोई नियंत्रण नहीं है. क्योंकि इनके निर्बिजीकरण यानी नसबंदी की प्रक्रिया विगत चार वर्षों से बंद है. ऐसे में आवारा कुत्तोें की जन्मदर तेजी से बढ रही है. जिसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड रहा है.
बता दें कि, आवारा कुत्तों की नसबंदी के संदर्भ में केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से कडी गाईडलाईन जारी की गई है. इसके साथ ही जिला प्राणी क्लेष समिती तथा जिला प्राणी जन्म नियंत्रण समिती की ओर से भी आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये गये है. जिन पर वर्ष 2001 से मनपा क्षेत्र में अमल किया जा रहा है. ऐसी जानकारी मनपा के पशुशल्य चिकित्सक डॉ. सचिन बोंद्रे द्वारा दी गई है, लेकिन इस काम के लिए गैर सरकारी संस्था व संगठन आगे नहीं है, जबकि मनपा द्वारा अब तक तीन बार निविदा प्रक्रिया चलायी जा चुकी है. साथ ही यह काम अब भी निविदा प्रक्रिया में ही है. ऐसी जानकारी भी डॉ. बोंद्रे द्वारा दी गई है.

कुत्ते पकडने का जिम्मा निजी व्यक्ति के पास

अमरावती मनपा क्षेत्र में आवारा कुत्तों को पकडने का ठेका एक निजी व्यक्ति को दिया गया है, क्योंकि मनपा के पास इस कार्य हेतु आवश्यक मनुष्यबल नहीं है. ऐसे में ठेके की प्रक्रिया अपनायी गयी थी. वहीं कुत्तोें को पकडने के बाद उन्हें कहां छोडा जाये, यह भी अपने आप में एक बडा मसला है. क्योंकि उनके लिये शेल्टर होम व प्रथमोपचार केंद्र की सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में पकडे गये कुत्तोें को दुबारा उसी क्षेत्र में छोड दिया जाता है.

इन क्षेत्रों में अधिक पाये जाते है आवारा कुत्ते

जिन इलाकों में बासी अनाज व मांस-मटन के अवशेष खुले में फेंके जाते है, उन इलाकोें में आवारा कुत्तों की संख्या काफी अधिक है. इस समय मनपा क्षेत्र के लालखडी, इतवारा, गाडगेनगर व बडनेरा आदि क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की समस्या सबसे अधिक देखी जा रही है.

रोजाना 15 से 20 शिकायतें

मनपा के पास रोजाना 15 से 20 शिकायतें आवारा कुत्तों के संदर्भ में प्राप्त होती है, लेकिन मनपा के पास फिलहाल इसे लेकर कार्रवाई करने के लिए आवश्यक साधन नहीं है. इसी तरह आवारा कुत्तों को पकडने के बाद उनके लिए शेल्टर होम व प्रथमोपचार की सुविधा नहीं है. जिसकी वजह से यह शिकायतें दिनोंदिन बढ रही है.

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