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बिलों के संदर्भ में कोई बात या मुलाकात नहीं

आयुक्त आष्टीकर ने अपने दरवाजे पर लगाया बोर्ड

* मनपा व ठेकेदारों में बोर्ड बना चर्चा का विषय
* ठेकेदारों के करोडों के बिलों का भुगतान है बकाया
* चक्कर काट-काट कर ठेकेदार परेशान
अमरावती/दि.28- मनपा के विकास काम करने वाले ठेकेदारों के करोडों रुपए के बिल मनपा की ओर बकाया हैं. जिसके चलते अपना भुगतान प्राप्त होने हेतु सभी ठेकेदार बार-बार मनपा मुख्यालय के चक्कर काटते हुए मनपा आयुक्त से मिलकर अपने भुगतान हेतु तगादा लगाते हैं. जिससे परेशान होकर मनपा आयुक्त ने अपने कक्ष के बाहर एक बोर्ड लगा दिया हैं. जिसमें साफ तौर पर उल्लेखित किया गया है कि, बकाया बिलों के भुगतान के संदर्भ में उनसे कोई भी व्यक्ति मुलाकात न करे. यह सीधे-सीधे मनपा ठेकेदारों के लिए मनाई हुकम की तरह हैं. उल्लेखनिय है कि अब तक कई दुकानदारों व व्यवसायियों व्दारा बकाया भुगतान की वसूली की झंझट से बचने हेतु ‘उधारी बंद हैं’ का फलक लगाया जाता रहा हैं. किंतु ‘बकाया उधारी मांगने मत आओ’ वाला बोर्ड पहली बार देखा गया हैं. जो खुद मनपा आयुक्त के कार्यालय के समक्ष लगा हुआ हैं. जिसे लेकर जहां एक ओर मनपा के ठेकेदार भौंचक है, वहीं यह बोर्ड इस समय खुद मनपा के गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ हैं.
बता दें कि मनपा की तिजोरी मेें विगत 2 वर्षो से ठन-ठन गोपाल वाली स्थिति है और विगत 2 वर्ष के दौरान मनपा को अपेक्षित आय नहीं हुई हैं. ऐसे में मनपा ने अपनी आय को बढाने हेतु संपत्तिधारकोें के लिए संपत्ति कर में छूट देने की योजना पर अमल किया. परंतु इसके बावजूद भी वसूली में कोई खास इजाफा नहीं हुआ. इसके पश्चात अपनी आय बढाने हेतु कोविड संक्रमण से मुक्ति मिलने के चलते 2 वर्ष के बाद मनपा ने सभी संपत्तियों का नए सिरे से असेस्मेंट करना शुरु किया. जिसके चलते संपत्ति कर विभाग के कर्मचारी असेस्मेंट के कामों में व्यस्त हो गए और विगत 8 माह से संपत्ति कर की वसूली केवल 6 से 7 फीसद पर अटकी पडी हैं. वहीं इस बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन हो जाने के चलते खुद मनपा के कई देयकों का भुगतान अटका पडा हैं. ऐसे में आय के सभी स्त्रोत बंद हो जाने के चलते मनपा का कामकाज कैसे चलाया जाए यह समस्या पैदा हो गई हैं. वहीं दूसरी ओर मनपा के दैनिक खर्च के साथ-साथ ठेकेदारों के बिलों का बकाया भुगतान करोडों रुपयों के आस-पास जा पहुंचा हैं. जिन्हें अदा करना यद्यपि अवश्यक है परंतु मनपा के पास फिलहाल उतने रुपयों की आवक व उपलब्धता ही नहीं हैं. जिसकी वजह से ठेकेदारों व्दारा किए गए विकास कामों के देयकों का भूगतान बाकी हैं. वहीं दूसरी ओर अपना बकाया भुगतान मिलने हेतु ठेकेदारों ने तकादा लगाना शुरु कर दिया हैं. ठेकेदारों का कहना है कि, वे मनपा के विकास कामों का ठेका प्राप्त होने के बाद अपने स्तर पर इधर-उधर से पैसो का इंतजाम करते हुए उन विकास कामो को पूर्ण करते है, जिसके बाद उन कामों के बिल मनपा को पेश किए जाते हैं. जहां पर लंबे समय तक इन बिलों का भुगतान अटका पडा रहता हैं.
जानकारी के मुताबिक इस समय मनपा में निर्माण ठेकेदारों के 35 करोड, सफाई ठेकेदारो के 12 करोड, उद्यान ठेकेदारों के 50 लाख तथा पेट्रोल-डीजल आपूर्तीकर्ता के 6 से 7 लाख रुपए के बिलों का भुगतान बकाया हैं. इसके अलावा अन्य कुछ छोटे मोटे कामों के ठेकेदार भी अपना बकाया भुगतान मिलने की प्रतीक्षा कर रहे है, और यह सभी ठेकेदार दीपावली पर्व के आसपास से मनपा कार्यालय में चक्कर काट रहे हैं. कुछ ठेकेदारों ने तो ऐन दीपावली के समय ही बकाया भुगतान मिलने की मांग को लेकर आंदोलन करने की चेतावनी दी थी. जिन्हें उस समय समझा बुझाकर शांत किया गया था. परंतु इसके बावजूद बकाया भुगतान का मसला अब तक हल नहीं हुआ. वहीं अब ठेकेदारों व्दारा लगाए जाने वाले तगादे से परेशान होकर मनपा आयुक्त ने अपने कार्यालय के बाहर दो टूक संदेश लिख दिया है कि बकाया भुगतान को लेकर उनसे कोई भी व्यक्ति मिलने न आए. जिसके चलते बकाया भुगतान की प्रतीक्षा कर रहे ठेकेदारों में रोष की लहर देखी जा रही हैं.
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* किसी को आहत करने का हेतु नहीं
महानगरपालिका की आर्थिक स्थिति से सभी अवगत हैं. हम वसूली बढाने हेतु लगातार बैठक लेते हुए नियोजन कर रहे है, ताकि मनपा की तिजोरी में पैसा आए. जैसे ही हमारे पास पैसों का इंतजाम होता है हम सभी के बकाया बिलों का भुगतान कर देंगे. इस संदर्भ में अगर सबके साथ चर्चा करने में समय नष्ट करते रहे तो वसूली का काम अटक जाएगा. इससे मनपा की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरेगी. ऐसे में समय बचाने के लिहाज से यह कदम उठाया गया हैं. इसका उद्देश्य किसी को आहत करना कतई नहीं हैं.
-डॉ. प्रवीण आष्टीकर,
आयुक्त व प्रशासक अमरावती मनपा

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