संतरे की मांग देश के कोने-कोने में
वरूड-/दि.22 वरूड, मोर्शी, अचलपुर, अंजनगांव व चांदुर बाजार में संतरे का क्या हाल है. यह देखने की किसी को भी आवश्यकता महसूस नहीं होती. सरकार बदली किंतु संतरे को कब शासन सहायता मिलेगी, ऐसा सवाल किया जा रहा है.
स्वास्थ्यवर्धक तथा अत्यंत उपयोगी यह फल बचाने के लिए कौन प्रयास करेगा, यह जानने के लिए कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है.
जिलेे के अचलपुर, चांदुर बाजार, मोर्शी, वरूड, अंजनगांव यह परिसर संतरा बगीचे से समृध्द है. यहां बडे प्रमाण में संतरे का उत्पादन कर देश के कोने-कोने में संतरा भेजा जाता है.
खट्टा, मीठा, रसीला संतरा खानेवालों का पसंदीदा फल होने पर भी शासकीय नीति, जनप्रतिनिधि की अनास्था और इससे संतरे को शासन सहायता न मिलने से संतरे की खट्टी मीठी कहानी दिनों दिन कडवी होते हुए दिखाई दे रही है. संतरे में के विटामीन भरपूर मात्रा में है तथा शरीर के लिए आवश्यक फायबर बडे प्रमाण में है. रोग प्रतिकारक शक्ति बढाने के लिए संतरे की मांग अधिक है. संतरे के छिलके से पावडर बनाकर उसे सौंदर्य प्रसाधन के लिए उपयोग में लाते है. स्वास्थ्यवर्धक फल के रूप में संतरा प्रचलित है. यह सर्वगुण संपन्न होने पर भी इसको शासन सहायता न मिलने से यह फलों के हिसाब से पीछे होने का दिखाई दे रहा है. देश में संतरे फल की मांग अधिक है. संतरा स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होने पर उसका भरपूर उत्पादन होता है. फिर भी इस परिसर के संतरा उत्पादक किसानों के अच्छे दिन अभी तक नहीं आए.
परिसर में संतरा उत्पादन करनेवाला एक भी उद्योग नहीं है. 2017 में मोर्शी में ठानाठुनी में संतरा प्रकल्प के निर्माण का भूमिपूजन पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के हाथों हुआ था. किंतु 5 वर्ष पूरे होकर भी यह प्रकल्प अधूरा ही है. उसी के साथ मायवाडी काटोल में भी संतरा प्रकल्प खडा हुआ था. किंतु यह दोनों ही प्रकल्प धूलखाते में पडे है. इस अनास्था के कारण स्वास्थ्यवर्धक संतरे पर अनदेखा किया गया है.
संतरा में पोषक तत्व
संतरा में कॅलरिज 60, फायबर्स 3 ग्राम कार्बोहायड्रेड 15 ग्राम शक्कर 12 ग्राम, प्रोटीन्स 1 ग्राम, विटामीन ए 14 मायक्रो ग्राम, विटामिन सी 70 मिली ग्राम, कैल्शियम 52 मिली ग्राम तथा पोटेशियम 237 मिली ग्राम है.
संतरा रोपित के क्षेत्र
वरूड : 21 हजार हेक्टर
अचलपुर : 11 हजार हेक्टर
अंजनगांव सुर्जी : 3300 से 3400 हेक्टर
मोर्शी : 13 हजार 354 हेक्टर