मनपा-पुलिस प्रशासन को ठेंगा दीखा रहे घुमंतू
प्रतिबंधक कारवाई का कोई असर नहीं, बार-बार की झंझट से छुटकारा कबड
अमरावती/दि. 31– विगत कई वर्षों से शहर के हृदयस्थल राजकमल चौक पर घुमंतू समुदाय टोलियों के कब्जे में है. यह घुमंतू मनपा और पुलिस प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए शहर के मुख्य चौराहों पर डेरा जमाये कायम है. हाल ही में उन्हें फिर एक बार शहर से खदेड़ा गया था. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी वह सारे घुमंतू वापिस लौटकर राजकमल-जयस्तंब-शाम चौक-नेहरू मैदान-राजापेठ क्षेत्र में आ गए है. इन पर की गई सभी प्रतिबंधक कार्रवाइया भी बे-असर साबित हुई है. जिससे शहर को लगा यह घुमंतुओं की गंदगी का ग्रहण और उनकी बार-बार की झंझट से छुटकारा कब मिलेगा? यह जाहिर सवाल नागरिको ने उपस्थित किया है.
मनपा की स्थापना हुई तबसे अब तक मनपा में आयुक्त के पद पर कई दबंग अधिकारी आए और बदले. लेकिन मनपा मुख्यालय के ठीक सामने डेरा डाले खुलेआम आवारागर्दी करते दिखते इन घुमंतुओं का बंदोबस्त नहीं हुआ. अब हाल यह है कि, इन घुमंतुओं ने अब भरे चौराहे पर ही अश्लील कृत्य करना शुरू किया है. राजकमल से श्याम चौक तक और राजकमल से राजापेठ तक फ्लाईओवर के नीचे दिन भर शराब पीना-ताश खेलना-एक-दूसरे से जोर-जोर से लड़ना, मटन मार्केट से फेंका मांस लाकर उसे खुले में सड़क पर ही पकाना. छोटे-छोटे बच्चों को सड़कों पर खड़ा करना और उनसे जबरदस्ती भीख मंगवाना. यह उनका रोज का धंधा बन गया है. इन टोलियों की यह दिनचर्या सड़क से गुजरने वाले वाहन चालकों की परेशानी बनी है. अगर आप सुबह दोपहर शाम-रात कभी भी इस इलाके से गुजरें तो यहां इन घुमंतुओं की बहुतायत संख्या में उपस्थिति दिखती है. भले ही वे बाहर खुले में ही रहते हैं, फिर भी उनके छोटे बच्चों के पास बड़े एंड्रॉइड फोन हैं. वे इन फोनों को चार्ज करने के लिए नामित दूकानदारों को प्रति घंटे की दर से भुगतान भी करते है. इतनाही नहीं तो उनके पास दोपहिया-ऑटो रिक्शा- कटला आदि वाहन भी हैं. उनमें से प्रत्येक (महिला-बच्चों के साथ) हमेशा नशे में दिखता है. इस बात से पुलिस और मनपा प्रशासन भी इनकार नहीं करता. पालनहारों पर नकेल अत्यावश्यक शहर के श्याम चौक, तहसील कार्यालय क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक कबाड़ खरीदारों ने सड़क पर अतिक्रमण कर लिया है. यह कबाड़ी वाले इन घुमंतुओं के पालनहार है। इन कबाड़ खरीदने वाली दूकानों में इस समुदाय का सामान ही बड़ी मात्रा में खरीदा जाता है. वे चोरी का सामान खरीदने से भी नहीं हिचकिचाते. ये कबाड़ विक्रेता इस समुदाय को पैसा मुहैया कराते हैं. यहां तक कि उनके मोबाइल फोन भी चार्ज करते हैं. पिछले कुछ वर्षों में जैसे-जैसे ये पोशिंदे बढ़े हैं, घुमंतू समुदाय के टोलियों का उपद्रव भी काफी बढ़ गया है. यह टोलियां गांव से शहर में बड़े पैमाने पर कच्ची शराब लाकर उसकी बिक्री शराब विक्रेताओं को करते है, यह कई बार पुलिस कार्रवाई से सामने आया है.
* उन कबाड विक्रेताओ को हटाया तो प्रतिबंध संभव
राजकमल चौक पर घुमंतुओं के गिरोहों का उपद्रव अब सर चढ़कर बोल रहा है. इस पर लगाम लगाने के लिए उनके पालनहारों को हटाना भी उतना ही जरूरी है. शहर के श्याम चौक, जूनि तहसील क्षेत्र और अन्य स्थानों पर अतिक्रमण कर भंगार खरीदी करने वाले ’वह’ कबाड़ी ही इन आवारा और शहर के लिए ग्रहण साबित इन घुमंतुओं के पालनहार बने बैठे है. उन कबाड़ियों को हटाने पर ही इन घुमंतु समुदाय का उपद्रव रोकना संभव होगा. वैसा प्रस्ताव पुलिस उपायुक्त साली सहित मनपा आयुक्त उपायुक्त को दिया है.
– अजय सारसकर, पूर्व पार्षद
गंदगी, चोरी, मारपीट यही दिनक्रम
राजकमल चौक यह अमरावती शहर की शान नहीं रहा है. अब यह चौराहा घुमंतुओं का बन गया है. चोरियां और मारपीट उनकी दिनचर्या बन गई है. इन टोलियों ने कई वाहन चालकों के साथ मारपीट भी की. थाने में भी उनकी लड़ाई जारी रहती है. इससे हत्याएं और अन्य बड़ी घटनाएं हुई हैं, शहर के हित के लिए इन टोलियों को शहर से बाहर करना जरुरी है.
– गोकुल भोंडे, व्यवसायी, राजकमल चौक