अमरावती

ट्रैवल्स का चरणबद्ध यातायात नहीं, बल्कि प्रासंगिक करार परवाना

40 फीसदी ट्रैवल्स नियमबाह्य दौड़ती है, यातायात पर प्रश्नचिन्ह

अमरावती-दि.11 नाशिक में ट्रैवल्स एवं टैंकर के बीच हुई भिडंत में शनिवार के तड़के बारह लोगों की मौत हो गई. पश्चात ट्रैवल्स के यातायात पर प्रश्नचिन्ह निर्माण हो रहा है. ट्रैवल्स में यदि यात्रियों को सफर करना हो तो ऑल इंडिया अथवा स्टेज कैरेज यातायात का लाइसेंस आवश्यक है. लेकिन 40 प्रतिशत ट्रैवल्स नियमबाह्य चलती है. तेज रफ्तार से यह ट्रैवल्स सड़कों पर दौड़ती दिखाई देती है. सही मायने में देखा जाये तो आरटीओ द्वारा ट्रैवल्स को चरणबद्ध यातायात नहीं, बल्कि प्रासंगिक करार परवाना दिया जाता है.
यवतमाल के चिंतामणी ट्रैवल्स की हुई भीषण दुर्घटना में 12 लोगों की मृत्यु हो गई. इस घटना के बाद ट्रैवल्स यातायात पर सवाल उठाये जा रहे हैं. नाशिक में चिंतामणी ट्रैवल्स को 30 सीटों के स्लीपर बेड का परवाना है. लेकिन जब दुर्घटना हुई, उस समय उसमें 56 यात्री सफर कर रहे थे, ऐसी जानकारी है. आरटीओ, यातायाता पुलिस, संबंधित यंत्रणा मैनेज कर ट्रैवल्स संचालक ने नियमों की अनदेखी की है.

परवाना एक, फेरी अनेक
ऑल इंडिया अथवा स्टेज कैरेज यातायात का परवाना न रहा तो ट्रैवल्स संचालकों को विशेष परवाना निकालना पड़ता है. लेकिन इस विशेष परवाना के नाम पर दिनभर में आठ से दस फेरी यातायात किया जाता है. यह परवाना ऑनलाइन निकाला जाता है. इसके लिए नियमानुसार यात्रियों की सूची प्रस्तुत करनी पड़ती है. वह भी फर्जी दर्शायी जाती है. विशेष परवाना के नाम पर तेरी भी चुप मेरी भी चुप कहावत की तरह ट्रैवल्स का कारोबार चल रहा है.

ट्रैवल्स से कुरियर, लगेज को अनुमति नहीं
ट्रैवल्स को चरणबद्ध यातायात करते नहीं आ सकता. लेकिन बस की छत पर खुलेआम कुरियर, लगेज जाते दिखाई देने पर भी आरटीओ और पुलिस यंत्रणा चुप्पी साधे रहती है. स्लीपर कोच के भी नियम है. आसन व्यवस्था, खिड़की, पर्दे आदि आरटीओ द्वारा लाइसेंस देते समय जांच करना आवश्यक है. बेड साइज भी निश्चित रहने के बावजूद एक सीट पर दो यात्री सफर करते हैं. ट्रैवल्स की कड़ी जांच की गई तो अनेक त्रुटी, खामियां दिखाई देगी, यह सच्चाई है.

 

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