अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचारलेख

डिजिटल नहीं, मैदानी बच्चू

बच्चू कडू के गेम ऑनलाइन नहीं बल्कि मिट्टी से जुडे और मैदानी खेल यह बात बच्चू कडू ने सचिन तेंडूलकर जैसे खिलाडी से सीधे भिडकर साबित भी की है.

कई बार कुछ भयानक घटनाएं कानों पर पडती है. जिन्हें अगले एक-दो दिनों में भूलाकर हम अपने काम पर लग जाते है. परसों ही नागपुर में कक्षा 12 वीं की छात्रा ने चाकू से अपना गला कांटकर आत्महत्या कर ली. जीवनमूल्यों व आदर्शों का खोज करनेवाली उम्र में वह छात्रा ऑनलाइन गेमिंग का शिकार हुई. मृत्यु के बाद क्या होता है, इसे लेकर अपने परिवार की इकलौती बच्ची द्वारा जिज्ञासा के तहत उठाए गए इस कदम में उक्त छात्रा के माता-पिता को दुख के सागर में धकेल दिया. इससे पहले इसी तरह का ‘ब्ल्यू व्हेल’ नामक डेंजर गेम आया था. दुनियाभर में 100 से अधिक युवाओं के इस गेम का शिकार होने के बाद ‘ब्ल्यू व्हेल’ पर प्रतिबंध लगाया गया. कभी साधे तो कभी आक्रमक पद्धति से ऑनलाइन गेमिंग की ब्रांडींग चलती रहती है. ‘पे थ्रू मोबाइल’ यानी ‘पेटीएम’ की डिजिटल सहकंपनी ने आईपीएल 2020 के सीजन से पहले ‘पेटीएम फस्ट गेम’ नामक नया डिजिटल खेल लाया था और इस कंपनी ने भारतरत्न सचिन तेंडूलकर को अपने ऑनलाइन गेमिंग ऐप का ब्रांड एंबेसिडर बनाया था. जिसके बाद युवाओं के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करना अपेक्षित है या उनका गेम करना इसकी फिक्र केवल एक ही व्यक्ति में दिखाई दी. जब सचिन के मुंबई स्थित घर के सामने अपने कार्यकर्ताओं सहित प्रदर्शन करने का जोखिम प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया बच्चू कडू ने उठाया था.
यूं तो कहने के लिए देश के कई छोटे व्यापारियों ने भी सचिन तेंडूलकर के नाम पत्र भेजते हुए सचिन के इस फैसले का विरोध किया था. जिस कंपनी के लिए सचिन तेंडूलकर ब्रांड एंबेसिडर बनने को तैयार हुए, उस कंपनी में चीन की ‘अलिबाबा’ कंपनी का हाथ है. इस ओर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडस् ने ध्यान दिलाया. खास बात यह थी कि, ठिक उसी समय चीन ने दलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की हत्या की थी. उसी दौरान सचिन का यह दावा भी अच्छा-खासा चर्चित हुआ था. जिसमें सचिन तेंडूलकर ने कहा था कि, उन्होंने अपने करिअर में करीब डेढ से दो वर्ष तक अपनी बैट को प्रायजकों के बिना खाली रखा था. लेकिन प्रस्ताव आने के बाद भी तंबाकू व शराब के विज्ञापन नहीं किए. परंतु नई पीढी को जुएं की दलदल में नहीं धकेलने को लेकर प्रहार जनशक्ति संगठन व बच्चू कडू द्वारा किए गए निवेदन का सचिन पर कोई असर नहीं हुआ था. जिसके चलते बच्चू कडू ने सचिन के घर के सामने ‘क्रिकेट के भगवान जुआं खेलो, लेकिन भारतरत्न छोडो’ की मांग उठाते हुए अपने कार्यकर्ताओं के साथ जबरदस्त आंदोलन किया था. जिसके लिए बच्चू कडू व उनके अनेकों कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हुई थी. उस समय ‘प्रहार’ द्वारा आरोप लगाया गया था कि, खुद सचिन के अंगरक्षक ही ऑनलाइन गेमिंग के व्यसन में फंसकर आत्महत्या की थी. भारतरत्न का सम्मानप्राप्त व्यक्ति डिजिटल गेम के जाल में फंसता है और पूरे देश से कोई आवाज तक नहीं होती, सजग मन के इस शल्य को अकेले बच्चू कडू ने दूर किया था.
महायुति या महाविकास आघाडी का संभ्रम रहने के चलते इस बार के विधानसभा चुनाव दौरान अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में बच्चू कडू का गेम हुआ. वहीं पडोस में ही रहनेवाले बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से रवि राणा की जीत का शल्य भी बच्चू कडू को जरुर हुआ होगा. बच्चू कडू को किसी न किसी मामले में फंसाने के कई प्रयास भी हुए. उनके अकोला का पालकमंत्री रहते समय एड. प्रकाश आंबेडकर ने उन पर रास्ता निधि में अपहार का आरोप लगाया था. जिसके जवाब में ‘एक रुपया भी खाया होगा, तो खुद अपने हाथ कलम कर लूंगा’ ऐसा दावा करते हुए बच्चू कडू मुक्त हो गए.
बच्चू कडू की बैटिंग तोडफोड वाली रहती है. वे चार बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुने गए और उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल में शालेय शिक्षा राज्यमंत्री भी रहे. जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस के एक फोन पर वे सीधे गुवाहटी पहुंच गए. वहीं चुनाव से पहले राकांपा नेता शरद पवार ने बच्चू कडू के घर जाकर उनके भेंट की थी. विधानसभा चुनाव में हार के बाद बच्चू कडू ने अपने पास रहनेवाले दिव्यांग कल्याण मंत्रालय अभियान के अध्यक्ष पद का इस्तिफा यह कहते हुए डेप्युटी सीएम एकनाथ शिंदे को सौंप दिया कि, यदि कल चलकर दिव्यांगो की मांगो हेतु आंदोलन करने की नौबत आती है तो उसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, अत: उनका इस्तिफा स्वीकार करते हुए उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा को भी निकाल लिया जाना चाहिए.
इस समय बच्चू कडू की नजदिकी किसके साथ है यह अपनेआप में सबसे बडा सवाल है. इस समय अमरावती जिले में बेहद लोकप्रिय रहनेवाली बहिरम की यात्रा चल रही है. नाचनेवालों के तमााशे तथा अंधश्रद्धा की बली को रुकाते हुए इस यात्रा को नया स्वरुप देने का काम बच्चू कडू ने ही किया. उनकी रग ऑनलाइन नहीं बल्कि मिट्टी से जुडी है. विगत सप्ताह ही बच्चू कडू ने शंकरपट में हिस्सा लेते हुए तेज रफ्तार के साथ बैलजोडी भगाकर महज कुछ सेकंड के भीतर निश्चित दूरी को तय किया. हर हुन्नरी रहनेवाले बच्चू कडू का अपने गुस्से पर कोई नियंत्रण नहीं है और वे कभी भी किसी के भी कान के नीचे बजा देते है. साथ ही लोगों को भी साक्षात सचिन से भिडनेवाले बच्चू कडू पसंद आते है. बच्चू कडू का प्रहार हमेशा दमदार रहता है. मौजूदा डिजिटल युग में 100 से अधिक बार रक्तदान करनेवाला आदर्श विधायक देश में बच्चू कडू के अलावा अन्य कोई दूसरा होगा, ऐसा फिलहाल लगता तो नहीं है.
– श्रीपाद अपराजित

Back to top button