अमरावती

दूषित पानी की वजह से चार नहीं, पांच मौतें हुई!

अव्यवस्था व असुविधा लील गई पांच जिंदगियां

* सरकारी व प्रशासनिक अनदेखी है पांचों मौतों के लिए जिम्मेदार
* पहली मौत को गंभीरता से लिया जाता, तो अगली चार मौतें टाली जा सकती थी
* मेलघाट के पाचडोंगरी व कोयलारी की ग्राउंड रिपोर्ट
अमरावती/दि.11- अब तक यह माना जा रहा था कि, आदिवासी बहुल मेलघाट की चिखलदरा तहसील अंतर्गत कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में दूषित पानी पीने की वजह से चार मौतें हुई है. लेकिन इन दोनों गांवों में जाकर जमीनी हकीकत पता करने के बाद यह जानकारी सामने आयी है कि, हकीकत में दूषित पानी पीने के चलते सबसे पहली मौत 5 जुलाई को ही हो गई थी. जिसे डायरिया की वजह से हुई मौत मान लिया गया था. लेकिन यदि उसी समय इस बात को लेकर गंभीरता दिखाई गई होती कि, आखिर मरनेवाले व्यक्ति को डायरिया कैसे हुआ, तो संभवत: इसके बाद हुई चार मौतों को टाला जा सकता था. साथ ही 100 से अधिक लोग बीमार होकर अस्पताल नहीं पहुंचते. ऐसे में कहा जा सकता है कि, कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में हुए मौत के इस महातांडव के लिए कहीं न कहीं सरकारी अनास्था व प्रशासनिक अनदेखी जिम्मेदार है और इन दोनों गांवों की पांच जिंदगियां अव्यवस्था व असुविधा की भेंट चढ गई है.
बता दें कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र कुपोषण के साथ-साथ माता व बाल मौतों के लिए हमेशा ही चर्चा में रहता है. यद्यपि मेलघाट को कुपोषण मुक्त करने के लिए बीते 25 वर्षों से सरकार एवं प्रशासन द्वारा एक से बढकर एक दावे किये जाते रहे है, लेकिन हर बार और हर साल इन दावों की कलई खुल जाती है. साथ ही हर बार किसी न किसी अलग तरह की घटना सामने आती है. जिसकी वजह से मेलघाट चर्चा में आ जाता है.
इसी कडी में अब मेलघाट क्षेत्र की चिखलदरा तहसील अंतर्गत आनेवाले कोयलारी व पाचडोंगरी गांव खबरों की सूर्खियों में बने हुए है. जहां पर दूषित पानी पीने की वजह से विगत गुरूवार व शुक्रवार को चार लोगों की मौत हो गई. इन चारों मौतों के लिए सरकारी अनास्था व प्रशासनिक अनदेखी को जिम्मेदार कहा जा सकता है और चार मौतों के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा जिस तरह की गंभीरता दिखाई जानी थी, उस तरह की गंभीरता नहीं दिखाई गई. इसे भी अपने आप में एक शोकांतिका कहा जा सकता है.
बता दें कि, कोयलारी ग्राम पंचायत द्वारा विद्युम बिल अदा नहीं जाने की वजह से महावितरण ने इस ग्रामपंचायत की विद्युत आपूर्ति खंडित कर दी थी. जिसके चलते कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम ठप पड गया था. ऐसे में पीने सहित अपने अन्य कामों के लिए पानी की जरूरत को पूर्ण करने हेतु दोनोें गांवों के लोगबाग गांव के आसपास स्थित जलस्त्रोतों से पानी ला रहे थे. इसी के तहत दोनों गांवों के लोगों ने कोयलारी व पाचडोंगरी गांव के बीच स्थित खेत के एक खुले कुएं से लाये गये पानी का करीब तीन दिनों तक सेवन किया. किंतु इस कुएं का पानी पीने योग्य नहीं था और कुएं में लंबे समय से साफ-सफाई भी नहीं हुई थी. ऐसे में इस दूषित पानी को पीने के चलते गांव के अधिकांश लोग डायरिया व कॉलरा का शिकार हो गये तथा उल्टी व दस्त होने के चलते 100 से अधिक लोगों की तबियत बिगडने लगी. इसी दौरान गुरूवार 7 जुलाई को महज एक घंटे के अंतराल में पाचडोंगरी गांव के दो लोगों की मौत हो गई. जिससे पूरे परिसर में हडकंप मच गया और स्वास्थ्य महकमे सहित जिला प्रशासन को इसकी जानकारी मिलते ही भागमभाग शुरू हुई. जिसके बाद डायरिया व कॉलरा के शिकार सभी लोगों को काटकुंभ व चुर्णी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं ग्रामीण अस्पताल में भरती कराया जाना शुरू किया गया. जहां पर शुक्रवार की शाम और दो मौतें हुई. गुरूवार और शुक्रवार के दौरान दूषित पानी पीने की वजह से मरनेवालोें में दो महिलाओं व दो पुरूषों का समावेश रहा. अब तक ऐसी अधिकारिक जानकारी सामने रखी गई थी, लेकिन कोयलारी व पाचडोंगरी गांव का प्रत्यक्ष मुआयना करने के बाद पता चला कि, हकीकत में 5 जुलाई को ही पाचडोंगरी गांव में रहनेवालें एक व्यक्ति की मौत हुई थी और गांववासियों के मुताबिक यह मौत भी डायरिया के चलते ही हुई थी. यदि इसी मौत को प्रशासन द्वारा गंभीरतापूर्वक लिया गया होता, तो इसके बाद होनेवाली चार मौतों को टाला जा सकता था.
* सबकुछ नहीं है ‘अंडर कंट्रोल’ और ‘ऑल वेल’
– शालाओं में रखने पड रहे है मरीज, वहां भी अव्यवस्था का आलम
विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, यद्यपि प्रशासन द्वारा अब कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में सबकुछ ‘अंडर कंट्रोल’ रहने की बात की जा रही है और जिलाधीश पवनीत कौर ने भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ मोबाईल पर हुए वार्तालाप के दौरान सबकुछ ‘ऑलवेल’ रहने की जानकारी दी. साथ ही जिला प्रशासन ने कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में केवल 100 लोगों के डायरिया संक्रमित रहने का दावा करते हुए सभी को खतरे से बाहर बताया है. लेकिन जमीनी हकीकत के मुताबिक पाचडोंगरी व कोयलारी गांव के करीब 400 लोग डायरिया व कॉलरा की चपेट में है और इतनी बडी संख्या में मरीज पाये जाने के चलते काटकुंभ व चुर्णी के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में उन्हें भरती करने के लिए जगह कम पड गई है. जिसकी वजह से कोयलारी व पाचडोंगरी गांव की प्राथमिक शालाओं में फर्श पर दरी बिछाकर मरीजों को भरती किया गया है. जहां पर सलाईन व इंजेक्शन लगाते हुए उनका इलाज किया जा रहा है. लेकिन कमाल और हैरतवाली बात है कि, इन शालाओं में कोई स्वच्छता सेवक की नियुक्ति नहीं की गई है और शाला परिसर में कीटनाशक दवाईयों का कोई छिडकाव भी नहीं किया गया है. इन सभी मरीजों को उल्टी व दस्त की शिकायत है. लेकिन इन शालाओें में भरती किये जानेवाले मरीजों के लिए ढंग के स्वच्छता गृह की सुविधा भी नहीं है और व्यक्तिगत साफ-सफाई के लिए पानी की व्यवस्था भी नहीं है. जिसकी वजह से दोनोें गांवों की प्राथमिक शालाओं में स्थिति और भी चिंताजनक बन गई है.

* पाचडोंगरी में 265 व कोयलारी में 45 मरीज
जानकारी के मुताबिक इस समय तक पाचडोंगरी के 265 व कोयलारी के 45 नागरिकों पर डायरिया संक्रमित होने के चलते इलाज किया गया है. इन दोनोें गांवों में लिंगरलैक्टेड नॉर्मल सलाईन, फ्युराझोलाडियन टैबलैट व सिरप, टेट्रासाईक्लिन कैप्सूल, सेप्ट्रॉन टैबलेट व सिरप तथा ओआरएस आदि दवाईयों की पर्याप्त आपूर्ति की गई है. साथ ही दोनों गांवों में टैंकरों के जरिये साफ पानी की आपूर्ति का नियोजन किया जा रहा है. इसके लिए धारणी में जलापूर्ति अभियंता द्वारा ग्रामसेवकोें की बैठक बुलाते हुए हालात की समीक्षा की गई.

* दोनों गांवों की शालाओं में पढाई बंद
चूंकि इस समय कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में स्थित जिला परिषद की प्राथमिक शालाओं में गांव के डायरिया संक्रमित मरीजोें का इलाज चल रहा है. ऐसे में इन दोनों गांवों की शालाओं को पढाई-लिखाई के लिहाज से बंद रखा गया है. जिसके चलते विगत तीन दिनों से शालाओें में बच्चों की किलकारियों की बजाय मरीजों की कराह गूंज रही है.

* आश्रमशाला से विद्यार्थी को भगाया
पाचडोंगरी गांव में डायरिया की बीमारी का कहर शुरू होने के बाद डोमा स्थित सरकारी आश्रमशाला में रहकर कक्षा 8 वीं में पढनेवाले विक्की अखंडे नामक विद्यार्थी को आश्रमशाला के शिक्षकों ने उसकी टीसी देकर भगा दिया. ऐसी सनसनीखेज जानकारी सामने आयी है. वहीं पाचडोंगरी गांव निवासी गणेश अखंडे जब डोमा स्थित आश्रमशाला में रहनेवाली अपनी बहन से मिलने के लिए आश्रमशाला में पहुंचा, तो उसे उसकी बहन से मिलने नहीं दिया गया. ऐसा भी पता चला है. आश्रमशाला प्रबंधन द्वारा ये दोनों कदम क्यों और किस वजह से उठाये गये है, इसका कोई समाधानकारक जवाब सामने नहीं आया है.

* विस्तार अधिकारी लापता!
एक सनसनीखेज जानकारी यह भी सामने आयी है कि, चिखलदरा पंचायत समिती के विस्तार अधिकारी विगत लंबे समय से इन दोनों गांवों की ओर आये ही नहीं और उन्होंने पंचायत समिती में बैठकर भी अपने सर्कल में शामिल गांवों का कोई जायजा नहीं लिया. जिसकी वजह से जिला प्रशासन के पास इन गांवों की जमीनी हकीकत और यहां की समस्याओं के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी.

* देर से खुली प्रशासन की नींद
कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में बुधवार से ही दूषित पानी पीनेवाले लोगों की तबियत बिगडनी शुरू हो गई थी और गुरूवार को एक-एक कर दो लोग दम तोड चुके थे. जिसके करीब तीन दिन बाद पंचायत समिती प्रशासन द्वारा हरकत में आते हुए गांव में डायरिया से बचने के लिए मुनादी करायी गई. जिसके तहत गांव में ढोल बजाकर लोगों को एक जगह पर इकठ्ठा किया गया और उन्हें गांव में हो रही मौतों और फैल रही बीमारी के बारे में जागरूक किया गया. लेकिन तब तक गांव के आधे से अधिक लोग बीमार होकर अस्पताल पहुंच चुके थे.

* पीने के पानी का सैम्पल ही नहीं लिया गया था
उल्लेखनीय है कि, पाचडोंगरी व कोयलारी गांव में रहनेवाले आदिवासियों द्वारा जो पानी पिया जा रहा है, उस पानी का सैम्पल संबंधित प्रशासन द्वारा इससे पहले कभी लिया ही नहीं है और जब इस क्षेत्र में चार लोगों की मौत हो गई, तो हडबडाकर जागे प्रशासन द्वारा पानी के सैम्पल लिये गये. जिसमें पता चला कि, वह पानी तो बिल्कुल भी पीने योग्य नहीं है. जिसके बाद मरीजों की लगातार बढती संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने गांव के अलग-अलग कुओं को सील करने की कार्रवाई शुरू की.

* मेलघाट में चार वर्ष बाद संक्रामक रोग का कहर
ज्ञात रहे कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में प्रतिवर्ष बारिश का मौसम अपेक्षाकृत तौर पर भारी पडता है, क्योंकि यहां पर बारिश के मौसम दौरान कई तरह की संक्रामक बीमारिया पांव पसारती है. वहीं मेलघाट क्षेत्र में हमेशा ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का रोना भी लगा रहता है. ऐसे में मेलघाट क्षेत्र के दुर्गम व अतिदुर्गम गांवों में हर साल वर्षाजन्य एवं कीटकजन्य बीमारियों को लेकर कोई खबर सामने आती है. हालांकि विगत चार वर्षों के दौरान ऐसी बीमारियों की वजह से बडे पैमाने पर लोगों के मारे जाने या बीमार पडने की कोई बडी खबर सामने नहीं आयी. ऐसे में कहा जा सकता है कि, चार वर्ष के बाद मेलघाट में मौत का महातांडव हुआ है.

* हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी
अमूमन सरकारी अधिकारियों का मजमा मेलघाट क्षेत्र के दुर्गम व अतिदुर्गम आदिवासी गांवों में लगता ही नहीं और ऐसे गांवों में काम के नाम पर अक्सर कागजी खानापूर्ती ही होती है. साथ ही दुर्गम व अतिदुर्गम गांवों में रहनेवाले लोग भी शहरी चकाचौंध से काफी दूर रहते है. जिसके चलते उन्हें मोटरगाडी, बस व ट्रेन जैसी सुविधाओं के बारे में पता ही नहीं रहता. ऐसे में जब विगत शुक्रवार व शनिवार से सरकारी अधिकारियों की गाडियों का काफिला कोयलारी व पाचडोंगरी गांव में पहुंचना शुरू हुआ, तो ‘सुटेड-बुटेड’ साहब लोगों और उनके वाहनों को देखकर कोयलारी व पाचडोंगरी गांववासी काफी हद तक हैरत में दिखाई दिये. साथ ही जिस तरह की तत्परता अब प्रशासन द्वारा दिखाई जा रही है, उसे लेेकर कई गांववासियों का दबी जुबान में यह कहना रहा कि, यदि प्रशासन ने पहले ही इस तरह की तत्परता व सतर्कता दिखाई होती, तो यह दर्दनाक घटना ही घटित नहीं होती. ऐसे में पांच मौतों के बाद हडबडाकर कोयलारी व पाचडोंगरी गांव पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों के लिए कहा जा सकता है कि, हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी.

* सीईओ पंडा की कोयलारी के सरपंच को नोटीस
– विभाग प्रमुखों से भी मांगी गई विस्तृत रिपोर्ट
मेलघाट की चिखलदरा तहसील अंतर्गत आनेवाले पाचडोंगरी व कोयलारी गांव में दूषित पानी पीने के चलते कई लोगों की तबियत बिगड जानेवाले मामले को लेकर जिला परिषद सीईओ अविश्यांत पंडा ने कोयलारी ग्रामपंचायत के सरपंच को धारा 39 (1) के तहत शो-कॉज नोटीस जारी की है. साथ ही इस क्षेत्र में संक्रामक बीमारी को नियंत्रित करने हेतु विभाग प्रमुखों सहित अधिकारियों व कर्मचारियों को गांव में प्रत्यक्ष भेंट देकर व्यक्तिगत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया है.
उल्लेखनीय है कि, सीईओ अविश्यांत पंडा ने गत रोज खुद कोयलारी जाकर वहां के हालात का प्रत्यक्ष मुआयना किया. साथ ही ग्रामसेवक विनोद सोलंके को तुरंत निलंबीत करते हुए विस्तार अधिकारी (पंचायत) रमेश मेश्राम सहित चिखलदरा के गटविकास अधिकारी को कारण बताओ नोटीस भी जारी की गई.

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