अमरावती

बगैर अनुमति आंदोलन करने वालों की खैर नहीं

पुलिस आयुक्त आरती सिंह (Arti Singh) की कडी चेतावनी

अमरावती/दि. १४ – शहर की जिम्मेदारी संभालने के बाद पुलिस आयुक्त डॉ.आरती सिंह ने कहा था कि शहर पुलिस आयुक्त का काम व्यवसायिक (प्रोफेशनल) तरीके से होगा. जिसपर अमल करते हुए बगैर अनुमति आंदोलन करने वाले जनप्रतिनिधि, आंदोलनकर्ता, राजनीतिक पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर पुलिस आयुक्त ने किये वादे पर खरी उतरती हुई दिखाई दे रही है.
अधिक बारिश के कारण सोयाबीन समेत अन्य फसल का नुकसान हुआ, ऐसे खेतों का पंचनामा कर किसानों को प्रति एकड ५० हजार रुपए की सहायता दी जाए, ऐसी मांग को लेकर विधायक रवि राणा के नेतृत्व में सोमवार के दिन जिलाधिकारी को खराब हुई सोयाबीन भेंट देकर सोयाबीन के ढेर को जिलाधिकारी कार्यालय प्रांगण में जलाया गया. इसके अलावा महिला पर हो रही अत्याचार की घटनाएं रोकने और कडा कानून बनाये जाने की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन अंतर्गत भाजपा महिला मोर्चा की ओर से पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया. यह दोनों आंदोलन के लिए किसी भी तरह की पूर्व सूचना पुलिस विभाग को दी गई और न ही आंदोलन के लिए अनुमति ली गई. कोरोना का प्रादुर्भाव न बढने पाये इसके लिए महामारी व आपत्ति व्यवस्थापन कानून ३१ अक्तूबर तक लागू किया गया है. कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए ५ से ज्यादा व्यक्ति एकसाथ रहने पर पाबंदी लागू की गई है. सार्वजनिक स्थानों पर दो व्यक्तियों में सोशल डिस्टेन्स रखने की सूचनाएं दी गई है, इसके बाद भी उसका उल्लंघन कर आंदोलन किया गया.
इस तरह किये गए आंदोलन को लेकर पुलिस ने विधायक रवि राणा समेत युवा स्वाभिमान पार्टी के जिलाध्यक्ष जितू दुधाने, संतोष कोलटेके, देवेंद्र राठोड, विनोद जायलवाल, आशिष कावरे, अविनाश काले, दिपक जलतारे, नितीन म्हस्के, सुभम उंबरकर समेत आठ से दस कार्यकर्ताओं के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया. इसी तरह पुलिस आयुक्तालय के सामने आंदोलन करने के मामले में भाजपा महिला मोर्चा शहराध्यक्ष लता देशमुख, स्थायी समिति सभापति राधा कुरिल, पार्षद सुरेखा लुंगारे, पार्षद सुचिता बिरे समेत ३० से ४० महिला कार्यकर्ता व पदाधिकारियों पर अपराध दर्ज किया गया. खास बात यह है कि दोनों अपराध में शिकायतकर्ता स्वयं संबंधित थानेदार है. जनप्रति और पदाधिकारी राजनीतिक आंदोलन करने पर दर्ज किये गए अपराध को काफी गंभीरता से नहीं लेते. कोरोना महामारी काल में सरकार के खिलाफ एकत्रीत आने की कई घटनाएं हुई है. राजनीतिक पार्टियां भले ही इसे गंभीरता से न ले मगर पुलिस कार्यालय में इसे गंभीरता से लिया जा रहा है. पांच या उससे अधिक व्यक्ति साथ में इकट्ठा आकर बिना अनुमति आंदोलन करते है तो अपराध दर्ज कराने के लिए निमंत्रण देने जैसा है.

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