मुझे नहीं मेरे सभी बच्चों को मिला है पद्मश्री सम्मान
सत्कार समारोह में बोले डॉ. शंकरबाबा पापलकर
जीएसटी विभाग ने किया पद्मश्री पापलकर का सत्कार
अमरावती /दि.12– केंद्र सरकार द्वारा मुझे पद्मश्री सम्मान हेतु चुना गया है. यह मेरे अकेले का नहीं, बल्कि वझ्झर आश्रम में रहने वाले मेरे सभी बच्चों का सम्मान है और जिस तरह से मैने संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई मानद डॉक्टरेट की पदवी को अपने बच्चों के नाम समर्पित कर दिया था. उसी तरह से मैं अपना पद्मश्री सम्मान भी अपने आश्रम में रहने वाले सभी दिव्यांग बच्चों के समर्पित करता हूं. लेकिन मुझे चिंता इस बात की है कि, वे अब ढलती उम्र की ओर बढ रहे है. ऐसे में उनके बाद उनके बच्चों का क्या होगा. इस आशय का प्रतिपादन पद्मश्री शंकरबाबा पापलकर द्वारा किया गया.
राज्य वस्तु व कर (जीएसटी) विभाग द्वारा गत रोज संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के के. जी. देशमुख सभागार में जीएसटी विभाग द्वारा क्रीडा व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजित किया गया था. जिसमें शंकरबाबा पापलकर का पद्मश्री सम्मान मिलने के उपलक्ष्य में भावभिना सत्कार किया गया. इस अवसर पर शंकरबाबा पापलकर अपनी मानस कन्या गांधारी तथा अन्य दिव्यांग बच्चों के साथ पहुंचे थे. मनपा आयुक्त देवीदास पवार की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में जीएसटी विभाग के उपर आयुक्त अनंत राख, अमरावती विभाग के राज्य कर सहआयुक्त संजय पोखरकर, महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी संगठन के राज्य अध्यक्ष अजय देशमुख एवं ज्योति पोखरकर, संजय काटेकर, सोपान सोलंके आदि प्रमुख रुप से उपस्थित थे. इस समय अपर आयुक्त अनंत राख व सहायक आयुक्त संजय पोखरकर के हाथों सत्कार मूर्ति शंकरबाबा पापलकर का श्रॉल श्रीफल व स्मृतिचिन्ह देकर सत्कार किया गया. इस सत्कार को बडे सहजभाव के साथ स्वीकार करते हुए शंकरबाबा पापलकर ने सत्कार के साथ भेंट स्वरुप प्रदान की जा रही सम्मान राशि को यह कहते हुए वापिस लौटा दिया कि, इससे पहले भी उनके आश्रम को सरकार की ओर से 40 लाख रुपए की सहायता निधि मिली थी. लेकिन उन्होंने उस सहायता राशि को लेने से भी इंकार कर दिया था. इस समय अपने संबोधन में शंकरबाबा पापलकर ने 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके दिव्यांग व अनाथ बच्चों को बालगृह व आश्रम में ही रहने देने हेतु कानून बनाये जाने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि, यदि सरकार द्वारा उनकी इस मांग को स्वीकार कर लिया, तो यह उनके जीवन का सबसे बडा उपहार होगा.
इस अवसर पर सभी गणमान्य अतिथियों ने अपने समयोचित विचार व्यक्त करते हुए शंकरबाबा पापलकर द्वारा विगत 4 दशकों से की जा रही अनाथ व दिव्यांग सेवा की मुक्तकंठ से सराहना की तथा शंकरबाबा पापलकर के कामों को परिणास्पद बताया. इस कार्यक्रम में प्रास्ताविक सहायक आयुक्त मिनाक्षी यादव तथा संचालन व आभार प्रदर्शन राज्य कर निरीक्षक ज्योति ढोबरे ने किया. कार्यक्रम के प्रारंभ में शंकरबाबा पापलकर की मानस कन्या गांधारी ने ‘ये मेरे वतन के लोगों…’ यह गीत प्रस्तूत करते हुए सभी उपस्थितों को भाव-विभोर कर दिया.