अमरावती

संभाग के 247 महाविद्यालयों में प्राचार्य ही नहीं

नई शैक्षणिक नीति के अमल पर लगा सवालिया निशान

अमरावती/दि.26 – केंद्र सरकार ने समूचे देश भर में नई शैक्षणिक नीति लागू करने का निर्णय लिया है. जिसके चलते इस नीति को अमल में लाने की दृष्टि से 24 से 31 जुलाई के दौरान राज्य सरकार स्तर पर काफी तेज गतिविधियां होनी है. परंतु संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ से संलग्न 405 में से 247 महाविद्यालयों में प्राचार्य ही नहीं है. ऐसी सनसनीखेज जानकारी विगत सोमवार को विद्यापीठ में हुई सिनेट सभा में सामने आयी. ऐसे में संभाग के सभी महाविद्यालयों में नई राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति को किस तरह से अमल में लाया जाएगा. यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
विगत सोमवार को हुई सिनेट सभा में विद्यापीठ का बृहत प्रारुप मंजूर करने हेतु महाविद्यालयों, शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की समस्याओं पर सदस्यों का सबसे अधिक फोकस था. विद्यापीठ प्रशासन के कामकाज में रहने वाली लापरवाहियों व गलतियों पर भी सदस्यों ने जमकर आक्षेप उठाए. साथ ही अमरावती विद्यापीठ से संलग्नित 247 महाविद्यालयों में नियमित व स्थायी प्राचार्य नहीं है. इसकी ओर कौन ध्यान देंगा. यह सवाल भी सभागृह में उठाया गया. इसके अलावा 100 से अधिक महाविद्यालयों में स्थायी तौर पर शिक्षक नहीं है, शिक्षकेत्तर कर्मचारी भर्ती बंद है और महाविद्यालयों में कर्मचारियों की कमी है. ऐसे में महाविद्यालयों का कामकाज कैसे चलेगा. इसे लेकर भी सिनेट सदस्यों ने मंथन किया. इस सिनेट सभा में कुलगुरु डॉ. येवले व प्र-कुलगुरु डॉ. प्रसाद वाडेगावकर ने महाविद्यालय व विद्यार्थियों से संबंधित समस्याओं एवं मुद्दों की ओर सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर देखने का आवाहन सिनेट सदस्यों से किया.

* महाविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
अधिकांश महाविद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. वहां पर क्रीडांगण, छात्राओं हेतु स्वतंत्र शौचालय, पढाई हेतु कॉमन रुम नहीं है. साथ ही कई महाविद्यालयों का काम किराए की इमारतों में चल रहा है. ऐसे में महाविद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहने के बावजूद उन्हें मान्यता कैसे मिलती है. ऐसा सवाल सिनेट सदस्य डॉ. संतोष बनसोड द्बारा उपस्थित किया गया.

* पीजी विभाग के वितरण की ‘खैरात’ का मामला भी गूंजा
शहरी क्षेत्र के महाविद्यालयों में पदव्युत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश का रुझान कम होता जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद विद्यापीठ में ग्रामीण क्षेत्र के महाविद्यालयों में पदव्युत्तर विभाग के वितरण की खैरात बांटनी शुरु रखी है. ऐसा आरोप सिनेट सदस्यों द्बारा लगाया गया है. गत वर्ष विद्यापीठ के विविध पीजी विभागों में 2 हजार 200 प्रवेश के आवेदन प्राप्त हुए थे. परंतु इस वर्ष केवल 571 आवेदन प्राप्त हुए है. एक ओर तो पीजी प्रवेश के लिए विद्यार्थी नहीं मिल रहे. वहीं दूसरी ओर विद्यापीठ द्बारा महाविद्यालयों को पीजी विभाग शुरु करने के संदर्भ में धडाधड अनुमति दी जा रही है. इस विरोधाभास पर भी सिनेट सदस्यों ने आक्रामक भूमिका अपनाई.

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