छात्रवृत्ति का हिसाब देने अधिकारियों को नोटीस
117 करोड रुपयों की हुई है वसूली, 60 करोड रुपयों की वसूली बाकी
मुंबई /दि.1– एसआईटी द्वारा 1882 करोड रुपयों की गडबडी होने के संदर्भ में रिपोर्ट दिए जाने के बाद अब छात्रवृत्ति घोटाला मामले मेें सामाजिक न्याय विभाग के करीब 250 अधिकारियों को नोटीस जारी करते हुए हिसाब मांगा गया है.
बता दें कि, वर्ष 2009-10 से 2015-16 की कालावधि के दौरान मैट्रीकोत्तर छात्रवृत्ति की रकम में यह घोटाला हुआ था. समूचे राज्य की कई शिक्षा संस्थाओं द्वारा बोगस विद्यार्थी दिखाकर व अन्य तरीके से ज्यादा छात्रवृत्ति की रकम उठाए जाने का यह मामला था. नागपुर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ. के. व्यंकटेशन के नेतृत्व में युती सरकार के कार्यकाल दौरान विशेष जांच पथक (एसआईटी) का गठन करते हुए मामले की जांच की गई थी. आईएएस अधिकारी पीयूष सिंह व रणजीत कुमार देओल को इस एसआईटी में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया था. इस एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, शिक्षा संस्थाओं को 1 हजार 882 करोड रुपए अतिरिक्त दिए गए है और यह पूरी रकम वसूल पात्र है. परंतु एसआईटी की रिपोर्ट को शिक्षा संस्था संचालकों ने अदालत में चुनौति दी थी. इसी दौरान इस घोटाला मामले में कुछ शिक्षा संस्थाओं से 117 करोड 85 लाख रुपए की वसूली की गई. वहीं अब भी 60 करोड रुपयों की वसूली होना बाकी है. इसके अलावा जिस रकम को लेकर कोई दस्तावेज प्र्राप्त नहीं हुए है. उस रकम के संदर्भ में 250 अधिकारियों को कारण बताओ नोटीस जारी करते हुए 15 दिन के भीतर दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया गया है.
* ऐसे हुई 117 करोड रुपयों की वसूली
विभिन्न शिक्षक संस्थाओं को दी गई 117 करोड 85 लाख रुपए की छात्रवृत्ति वाली रकम को अब तक वसूल कर लिया गया है. वहीं अन्य कई शिक्षा संस्थाओं से 60 करोड रुपयों की वसूली होना बाकी है.
* राजस्व विभाग एवं रकम (करोड रुपए)
अमरावती 9.61
नागपुर 12.39
मुंबई 7.69
पुणे 46.48
छ. संभाजी नगर 10.68
लातूर 12.69
नाशिक 18.11
कुल 117.85
* स्टूडंट्स हेल्पिंग हैंड ने दायर की याचिका
पुणे की स्टूडंट्स हेल्पिंग हैंड नामक संस्था ने अदालत में जनहित याचिका दायर करते हुए जानना चाहा है कि, एसआईटी ने यह घोटाला करीब 2100 करोड रुपए का रहने की बात उजागर की थी. ऐसे में इस रकम की वसूली के लिए सरकार द्वारा तत्परता के साथ कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे. साथ ही इस मामले में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा चलताउ काम क्यों किया जा रहा है.
* एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर सामाजिक न्याय विभाग ने जब कार्रवाई शुरु की, तो उस वक्त 1882 करोडों रुपयों में से 838 करोड रुपयों की छात्रवृत्ति के वितरण का रिकॉर्ड उपलब्ध हो गया. जिसके पूरी तरह से नियमानुकूल रहने की बात विभाग द्वारा कही गई है. वहीं शेष रकम के दस्तावेज खंगालते हुए रकम वसूली का काम शुरु किया गया है. साथ ही जिस रकम को लेकर कोई लेखा-जोखा नहीं मिल रहा. उसके संदर्भ में संबंधित अधिकारियों के नाम नोटीस जारी की गई है.