अमरावती

कुख्यात बाघ तस्कर कल्ला बावरिया आखिरकार जाल में फंसा

स्टेट टायगर स्ट्राईक फोर्स की कार्रवाई

* मेलघाट के शिकार के बाद 10 साल से था फरार
* गडचिरोली के शिकार में भी था सहभागी
अमरावती/दि.21- कुख्यात अंतर्राष्ट्रीय बाघ तस्कर आदिनसिंह उर्फ कल्ला बावरिया आखिरकार मध्य प्रदेश की स्टेट टायगर स्ट्राईक फोर्स के जाल में फंस ही गया. कल्ला बावरिया विगत कई वर्षों से दोनों राज्यों के पुलिस एवं वन विभाग को चकमा दे रहा था. 10 वर्ष पहले मेलघाट में बाघ के शिकार में कल्ला बावरिया का सहभाग था. तब से वह लगातार फरार था. इसके साथ ही गडचिरोली व ताडोबा में हुए शिकार मामले मेें भी कल्ला बावरिया का सहभाग रहने का संदेह जताया गया है. विगत शनिवार को कल्ला बावरिया को पकडने के साथ ही उसे मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम की विशेष अदालत में हाजिर किया गया. जहां से उसे 4 दिन की कस्टडी में रखने का आदेश जारी हुआ है.
जानकारी के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय व्याघ्र तस्कर आदिनसिंह उर्फ कल्ला बावरिया विगत 18 अगस्त को विदिशा-सागर राज्यमार्ग से गुजर रहा है. ऐसी जानकारी मध्य प्रदेश स्टेट टायगर स्ट्राईक फोर्स को केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की ओर से प्राप्त हुई थी. जिसके चलते ग्यारसपूर्ण गांव के पास नाकाबंदी करते हुए कल्ला बावरिया को गिरफ्तार किया गया. जिसे 4 दिन की कस्टडी में रखा गया है. संभावना जताई जा रही है कि, इस दौरान की जाने वाली पूछताछ में कल्ला बावरिया के देश के कई राज्यों में हुए बाघों के शिकार मामलों का खुलासा हो सकता है.
* एक माह पहले ही गडचिरोली में हुआ था गिरोह का पर्दाफाश
आसाम के गुवाहाटी में पुलिस व वन विभाग द्बारा 28 जून 2023 को संयुक्त कार्रवाई करते हुए हरियाणा की बावरिया गैंग के तीन लोगों को पकडा गया था. जिनके पास से बाघ की चमडी और हड्डीयां बरामद की गई थी. इसके पश्चात केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण व अन्वेषण विभाग ने व्याघ्र प्रकल्प एवं बाघों का संचार रहने वाले वन क्षेत्रों में हाई अलर्ट की चेतावनी जारी की थी. इन दिनों आरोपियों को हिरासत में लेने के बाद की गई जांच में व्याघ्र तस्करी का गडचिरोली कनेक्शन उजागर हुआ. पश्चात बाघों के शिकार हेतु गडचिरोली के आंबेशिवणी में छिपकर बैठी टोली पर 23 जुलाई 2023 को तडके पुलिस की सहायता से वन विभाग में छापा मारा. इस कार्रवाई के दौरान बाघों के शिकार हेतु लगाए जाने वाले 6 ट्रैप, धारदार हाथियार और बाघ के तीन नाखून के साहित्य सहित 6 पुरुष, 5 महिलाएं व 5 अल्पवयीन ऐसे कुल 16 संदेहितों को पुलिस ने अपने कब्जे में लिया. इसके साथ ही दिल्ली, आसाम व तेलंगना से 19 लोग गिरफ्तार किए गए. दिल्ली से तो एक सेवानिवृत्त वन अधिकारी को इस मामले में पकडा गया था. जिसके चलते इस गिरोह द्बारा की जाने वाली व्याघ्र तस्करी की व्यापकता कितनी बडी है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है. क्योंकि बाघों की शिकार सहित उनके अवयवों की तस्करी पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी रहने वाला अधिकारी ही कानून के शिकंजे में फंस गया.
पता चला है कि, आंबेशिवणी गांव में पकडे गए आरोपी करीब एक माह से इस परिसर में कच्ची झोपडियां बनाकर रह रहे थे और उन्होंने दो बाघों का शिकार करते हुए उनके अंगों को निकालकर सीधे गुवाहाटी तक पहुंचा दिया था. लेकिन प्रशासन को इसकी कानोकान खबर तक नहीं मिली. ऐसे मेें प्रशासन की अनदेखी व उदासिनता और कितने बाघों की बली लेगी. यह अपने आप में बडा सवाल है.
* मध्य प्रदेश में छिपकर नेपाल में शिकार
पता चला है कि, विगत कई वर्षों से फरार रहने वाला कल्ला बावरिया पकडे जाने की भय से मध्य प्रदेश के विधिशा व सागर जिलों में डेरा डालकर छिपा हुआ है. जहां उसके खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में व्याघ्र तस्करी व बाघों के शिकार संबंधित मामले दर्ज है. वहीं भारत की सीमा से लदे नेपाल में भी कल्ला बावरिया के खिलाफ बाघों की शिकार एवं अवयवों की तस्करी का मामला दर्ज है. जिसके चलते विगत कई वर्षों से विविध राज्यों के पुलिस तथा वन व व्याघ्र प्रकल्प के दलों सहित नेपाल के सेंट्रल इनवेस्टीगेशन ब्यूरो द्बारा कल्ला बावरिया की तलाश की जा रही थी.
* देश के विभिन्न हिस्सों में तस्करी
आदिनसिंह उर्फ कल्ला बावरिया का महाराष्ट्र सहित तमिलनाडू, आसाम, मेघालय में बाघों की शिकार व व्याघ्र अंगों की तस्करी मामलों में सहभाग रहा. उसके पास से बाघों की चमडी, हड्डी व अन्य अंग जब्त किए गए. वहीं इससे पहले बावरिया टोली के कई सदस्य भी पकडे जा चुके है.
* मेलघाट में भी किया था शिकार
वर्ष 2013 के दौरान मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में हुए बाघ के शिकार मामले में कल्ला बावरिया का सहभाग था और वह तब से ही फरार चल रहा था. इसके अलावा गडचिरोली व ताडोबा में हुए शिकार मामले में भी कल्ला बावरिया के सहयोगी शामिल थे. ऐसे में देश में अन्य कितने स्थानों पर वन्य प्राणियों के शिकार व तस्करी मामले में कल्ला बावरिया का सहभाग था. इसकी जांच वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्बारा की जा रही है.

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