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कत्तलखाने को नहीं मिली स्थायी समिती की मंजुरी

विधि अधिकारी की गैर मौजूदगी के चलते स्थगित रहा मामला

* अब प्रशासक या अगले सदन के समक्ष रखा जायेगा विषय
अमरावती/दि.8– गत रोज मनपा के स्व. सुदामकाका देशमुख सभागृह में मनपा स्थायी समिती के मौजूदा सभापति व सदस्यों की अंतिम बैठक बुलाई गई थी. जिसमें प्रशासन की ओर से ऐन समय पर कत्तलखाने की टेंडर प्रक्रिया को मंजुरी देने का प्रस्ताव रखा गया था. किंतु चूंकि यह मामला विगत लंबे समय से अदालत के समक्ष विचाराधीन है और गत रोज स्थायी समिती की बैठक में मनपा के विधि अधिकारी भी उपस्थित नहीं थे. इस बात के मद्देनजर स्थायी समिती सभापति सचिन रासने ने इस विषय को फिलहाल स्थगित रखने का निर्णय लिया. ऐसे में अब यह मामला प्रशासक राज के दौरान खुद प्रशासक यानी मनपा आयुक्त के समक्ष रखा जा सकता है या फिर इसे मनपा के आगामी चुनाव पश्चात गठित होनेवाले नये सदन की स्थायी समिती के समक्ष रखा जायेगा.
बता दें कि, करीब 10 वर्ष पहले मनपा आमसभा द्वारा शहर में जानवरों की कटाई हेतु कत्तलखाना शुरू किये जाने को मंजुरी दी गई थी. जिसके बाद शहर के पश्चिमी क्षेत्र में मनपा द्वारा एक कत्तलखाना बनाकर तैयार भी किया गया. किंतु इस विषय को लेकर महानगरपालिका के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई. जिसके चलते विगत लंबे समय से यह मामला अधर में अटका हुआ है. वहीं विगत दिनों इस कत्तलखाने को शुरू करने के संदर्भ में पूछी गई जानकारी के आधार पर मनपा प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया गया था और हाईकोर्ट द्वारा कत्तल खाने को शुरू नहीं करने पर मनपा के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई करने के साथ ही अदालत की अवमानना का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. ऐसे में इस कत्तलखाने को आगामी 20 वर्ष हेतु 20 लाख रूपये की सुरक्षा रकम लेते हुए हेरिटेज एग्रो फुड के साथ निजी भागीदारी स्तर की नीति के अनुसार बिना निविदा कामकाज देने और उस अनुसार करारनामा करने के लिए प्रशासन की ओर से गत रोज ऐन समय पर स्थायी समिती के समक्ष मंजूरी हेतु प्रस्ताव पेश किया, ताकि इस कत्तलखाने को शुरू करने की कार्रवाई की जा सके. किंतु चूंकि स्थायी समिती की बैठक में मनपा के विधि अधिकारी उपस्थित नहीं थे और यह अदालत से जुडा मामला है. ऐसे में स्थायी समिती सभापति सचिन रासने ने इस प्रस्ताव को मंजुरी देने से मना कर दिया और इसे फिलहाल स्थगित रखा गया है. स्थायी सभापति सचिन रासने के मुताबिक इस मामले में सबसे पहले मनपा के विधि अधिकारी से सलाह-मशविरा प्राप्त करना बेहद जरूरी है. जिसके बाद ही इस विषय को लेकर कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है. ऐसे में मनपा की मौजूदा स्थायी समिती की अंतिम बैठक में भी यह विषय अनिर्णित रहा. साथ ही अगली बैठक में रखने जाने या प्रशासक के समक्ष मंजुरी हेतु पेश किये जाने के लिए स्थगित कर दिया गया.

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