अमरावतीमहाराष्ट्र

अब विवाह हेतु ‘आधार’ अनिवार्य

बालविवाह रोकने प्रशासन के निर्देश

* मंडप व बैंड वालों पर भी कार्रवाई की चेतावनी
अमरावती/दि.30– कोई भी विवाह समारोह चार दीवारी के भीतर चुपचाप नहीं होता, बल्कि ऐसे आयोजन में मंडप डेकोरेशन, बैंड-बाजे व पंडितजी जैसी विविध सेवाओं की जरुरत पडती है. ऐसे में इस तरह की सेवाएं देनेवाले लोगों के पास अब यदि कोई विवाह समारोह आयोजित करने हेतु संपर्क करता है, तो नियोजित वर-वधु का आधार कार्ड भी देना होगा. ऐसी सेवाए देनेवाले लोगों ने यदि वर-वधु का आधार कार्ड अनिवार्य रुप से लिया और बालविवाह के संदर्भ में प्रशासन को तत्काल सूचित किया तो बालविवाह नहीं होंगे, इस आशय का निर्देश जारी करते हुए जिला प्रशासन की ओर से कहा गया है कि, अब किसी भी बालविवाह में सहभागी रहनेवाले मंडप डेकोरेशन व बैंड-बाजे वालों के साथ ही पंडितजी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि, अक्षय तृतीया को साढे तीन महत्वपूर्ण मुहूर्त में से एक मुहूर्त माना जाता है. इस दिन वैवाहिक कार्य करना शुभ माना जाता है. जिसके चलते अक्षय तृतीया वाले दिन विवाह समारोह आयोजित करने की ओर वधु व वर पक्ष का अच्छा-खासा आग्रह रहता है. वहीं दूसरी और इस दिन बालविवाह भी बडे पैमाने पर होते है. जिसे लेकर प्रति वर्ष ही खबरे सामने आती है. इसे सीधे-सीधे प्रशासन सहित सामाजिक शिक्षा देनेवाली संस्थाओं की असफलता कहा जा सकता है. ऐसे में अब जिला प्रशासन द्वारा निर्देश जारी किया गया है कि, मंगल कार्यालयों ने उनके यहां विवाह समारोह आयोजित करने हेतु संपर्क करनेवाले लोगों के नियोजित वर-वधु के आधार कार्ड देखने चाहिए. इस बात की ओर अनदेखी करनेवालों के खिलाफ एक लाख रुपए का दंड लगाने के साथ ही उन्हें दो साल का कारावास भी हो सकता है.
उल्लेखनीय है कि, फर्जी तरीके से भी बोगस आधार कार्ड बनाए जा सकते है. इसके चलते आधार कार्ड सहित जन्म तारीख का प्रमाणपत्र व स्कूल छोडने का प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज भी लिए जाए, ऐसे निर्देश जिला प्रशासन सहित बाल कल्याण समिति की ओर से जारी किए गए है. साथ ही कहा गया है कि, यदि विवाह समारोह में सभी तरह की सेवाएं देनेवाले लोगों ने सावधानी व सतर्कता बरती तो बालविवाह को समय रहते रोका जा सकता है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस पाटिल, सरपंच व अंगनवाडी सेविकाओं पर भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिन्होंने जागरुक रहते हुए ऐसे विवाह होने की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन व बालकल्याण समिति को इसकी सूचना देनी चाहिए.

* माता मृत्यु का रहता है खतरा
बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणाम समाज को भुगतने पडते है. इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने विवाह के लिए लडकियों हेतु 18 वर्ष व लडकों हेतु 21 वर्ष की न्यूनतम आयु तय की है. इसके लिए शारीरिक क्षमताओं पर विचार किया गया है. यदि नाबालिग रहते समय ही किसी लडकी का विवाह कराया जाता है, तो वह गर्भवती होकर बच्चे को जन्म देने हेतु सक्षम नहीं रहती है और उसके गर्भ में बच्चे का विकास योग्य पद्धति नहीं होता है. साथ ही यह स्थिति माता व गर्भस्थ शिशु की मौत के लिए भी कारणीभूत साबित हो सकती है. बच्चे के जन्म पश्चात अस्पताल प्रशासन को सरकारी वेबसाइट पर 15 दिन के भीतर पंजीयन भी करना होता है. जिसके चलते सभी ने अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए, ऐसा जिला प्रशासन व बाल कल्याण समिति द्वारा आवाहन किया गया है.

 

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