अमरावती

मनपा के बाद अब जिप में सरगर्मियां बढी

प्रस्तावित कामों ने पकडी गति, सदस्य लगे काम पर

अमरावती/दि.2– गत रोज महानगरपालिका के आम चुनाव हेतु संशोधित प्रभाग रचना की घोषणा होते ही शहर में राजनीतिक वातावरण तपना शुरू हो गया. वहीं अब दूसरी ओर जिले का मिनी मंत्रालय रहनेवाली जिला परिषद के पदाधिकारियों में भी चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है तथा इन दिनों प्रस्तावित कामों का गति देने का काम चल रहा है. बता दें कि, आगामी 20 मार्च को जिला परिषद का कार्यकाल खत्म हो रहा है. जिसके बाद जिप के आम चुनाव होंगे, या कार्यकारी अधिकारी के तौर पर जिला परिषद में प्रशासक नियुक्त होगा, यह देखना अपने आप में काफी उत्सूकता पूर्ण हो सकता है.
बता दें कि, महानगर पालिका के चुनाव की प्रभागनिहाय प्रारूप रचना घोषित होने के साथ ही जहां एक ओर शहर में राजनीतिक वातावरण तप गया है. वहीं दूसरी ओर अब जिला परिषद में भी चुनावी हवाएं बहनी शुरू हो गई है. ऐसे में इससे पूर्व प्रस्तावित कामों को जल्द से पूर्ण करने की ओर सत्ताधारी पार्टी का रूझान दिखाई दे रहा है. 135 करोड रूपयों के नियोजन को लेकर विगत दिनों सत्ताधारी दल व विपक्षी दलों के बीच जबर्दस्त तनातनी पैदा हुई थी. साथ ही संभागीय आयुक्त ने प्राधान्यक्रम किये जाने की आपत्ति को सही पाते हुए 53 कामों को रद्द कर दिया था. जिसके बाद सत्ताधारी दल ने एक बार फिर प्राधान्यक्रम में बैठनेवाले काम मंजुर किये थे और इस बार कहीं कोई दिक्कत या व्यवधान न पैदा हो, इस बात के मद्देनजर सभी कामों की निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी गई, ताकि कामों को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके.

* सर्कल रचना का मामला अधर में
जिला परिषद अंतर्गत कई सर्कल के गांव अन्य तहसीलों में शामिल हो गये है. जिसके चलते मौजूदा सर्कल की जनसंख्या में घटने अथवा बढने से फर्क आया है. इसके मद्देनजर विगत दिनों निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार प्रभाग निहाय रचना करने की प्रक्रिया शुरू करने हेतु कहा गया. किंतु अब तक इसकी शुरूआत नहीं हुई है. वहीं नई सर्कल रचना के चलते जिला परिषद में करीब 7 से 8 सदस्य बढने की संभावना व्यक्त की जा रही है. लेकिन चूंकि यह प्रक्रिया ही रूकी पडी है. ऐसे में संभ्रम अधिक देखा जा रहा है.

* चुनाव या प्रशासक
बता दें कि, आगामी 20 मार्च को जिला परिषद के मौजूदा पदाधिकारियों व सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में चुनाव तय समय पर होंगे या प्रशासक की नियुक्ति होगी, इसे लेकर इन दिनों चर्चा होने लगी है. विधि विशेषज्ञों के मुताबिक तय समय पर चुनाव नहीं होने की स्थिति में प्रशासक की नियुक्ति की जा सकती है.

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