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अब अमरावती-जबलपुर ट्रेन हो सकती है राजनीति का शिकार

ट्रेन के अमरावती की बजाय अकोला से चलाने का हो रहा प्रयास

* ट्रेन के साथ-साथ अमरावती के वॉशिंग यूनिट पर भी मंडरा रहा खतरा
* शहर से दिल्ली व प्रयागराज के लिए नई ट्रेनें चलाने का सपना भी हो सकता है चकनाचूर
* बडी मुश्किल से मिली सुविधाओं को बचाने सर्वदलिय राजनीतिक इच्छाशक्ति का रहना जरूरी
अमरावती/दि.3
– पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटील के राष्ट्रपति रहते समय अमरावती को मॉडल रेल्वे स्टेशन के साथ-साथ अमरावती-पुणे, अमरावती-मुंबई, अमरावती-तिरूपति, अमरावती-सूरत, अमरावती-अजनी इंटरसिटी तथा अमरावती-जबलपुर एक्सप्रेस जैसी रेलगाडियों की सौगात मिली थी. इसके साथ ही अमरावती रेल्वे स्टेशन से चलायी जानेवाली रेलगाडियों की देखभाल हेतु यहां पर वॉशिंग यूनिट भी स्थापित किया गया था. जो भुसावल रेल मंडल में भुसावल के बाद दूसरा वॉशिंग यूनिट है. इसके साथ ही नया अमरावती रेल्वे स्टेशन को भी कार्यान्वित करते हुए यहां से भुसावल-नरखेड, काचीगुडा-नरखेड, जयपुर-सिकंदराबाद तथा इंदौर-यशवंतपुरम रेलगाडियों का परिचालन शुरू किया गया. जिसके चलते लंबे समय तक रेल यातायात के क्षेत्र में उपेक्षित और अनदेखा रहनेवाला अमरावती शहर एक झटके के साथ भारतीय रेल्वे के नक्शे पर उभरकर सामने आया. साथ ही अमरावती से नई दिल्ली और प्रयागराज के लिए सीधी रेलगाडियां शुरू करने का भी सपना देखा जाने लगा. लेकिन कोविड संक्रमण काल के बाद इस सपने पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है. क्योंकि जहां लंबे समय से अमरावती-पुणे व्हाया लातूर ट्रेन बंद पडी है. जिसे शुरू करने को लेकर अब तक कोई प्रयास नहीं हुए है. वहीं दूसरी ओर कोविड काल के समय से बंद पडी अमरावती-जबलपुर ट्रेन को अब अमरावती की बजाय अकोला से चलाने का प्रयास हो रहा है. यदि ऐसा होता है, तो अमरावती स्टेशन पर रेलगाडियों के मेंटेनन्स हेतु बनाया गया वॉशिंग स्टेशन भी बंद हो सकता है. ऐसी संभावना दिखाई दे रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अमरावती से शुरू की गई अमरावती-जबलपुर ट्रेन को दुबारा अमरावती से ही चलाये जाने और अमरावती में रेल वॉशिंग यूनिट को बनाये रखने के लिए संगठित तौर पर राजनीतिक प्रयास किये जाने की जरूरत है और अलग-अलग राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने आपसी व दलगत मतभेदों को परे रखते हुए अमरावती के विकास हेतु एक मंच पर आना अब बेहद आवश्यक हो गया है.
उल्लेखनीय है कि, किसी भी क्षेत्र में विकास का पहिया तभी गतिमान होता है, जब वहां आवागमन और संचार के साधन व सुविधाएं उपलब्ध हो. यही वजह है कि, अमरावती में मॉडल रेल्वे स्टेशन के साकार होने और यहां से अलग-अलग दिशाओं में नई रेलगाडियों का परिचालन शुरू होने के साथ-साथ बेलोरा हवाई अड्डे के विकास व विस्तार की प्रक्रिया शुरू होने के चलते शहर में बदलाव की लहर देखी जाने लगी और स्थानीय स्तर पर व्यापार-व्यवसाय का स्वरूप व्यापक होने के साथ ही यहां पर वर्षों से उपेक्षित पडी नांदगांव पेठ की पंचतारांकित एमआयडीसी में एक से बढकर एक औद्योगिक यूनिट का आना शुरू हुआ. ऐसे में आवागमन व संचार के साधनों का और अधिक विकास किये जाने की जरूरत प्रतिपादित की जाने लगी, ताकि औद्योगिक व व्यापारिक विकास को और भी बडे स्वरूप में गतिमान किया जा सके. यही वजह है कि, इन दिनों अमरावती से हवाई सेवा शुरू किये जाने के जमकर प्रयास हो रहे है. लेकिन वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर एक बडी गडबडी होने के लिए तैयार है. जिसके तहत जबलपुर ट्रेन को अमरावती की बजाय अकोला से चलाये जाने का प्रयास बडे ही दबे पांव किया जा रहा है.
बता दें कि, कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए मार्च 2020 में पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था. जिसके तहत सभी ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया. जिसके चलते अमरावती स्टेशन से छूटनेवाली सभी रेलगाडियों के पहिये भी थम गये. लेकिन कालांतर में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद धीरे-धीरे रेलगाडियों के परिचालन को पूर्ववत किया जाने लगा और इस समय अमरावती स्टेशन से अमरावती-तिरूपति, अमरावती-मुंबई, अमरावती-सूरत, अमरावती-पुणे व्हाया भुसावल, अमरावती-अजनी इंटरसिटी एक्सप्रेस रेलगाडियों के साथ ही अमरावती-वर्धा मेमू ट्रेन को चलाया जाना शुरू कर दिया गया है. वहीं अमरावती-जबलपुर ट्रेन के शुरू होने का इंतजार किया जा रहा है. हैरतवाली बात यह भी है कि, यही ट्रेन विगत लंबे समय से जबलपुर से नागपुर तक चलाई जा रही है. जिसे अमरावती तक चलाये जाने की मांग विगत लंबे समय से की जा रही है. परंतु अब तक इसका कोई फायदा नहीं हुआ है. वही अब यह जानकारी सामने आ रही है कि, रेल प्रशासन द्वारा शायद किसी तरह के राजनीतिक दबाव में आकर इस ट्रेन को अकोला से चलाये जाने पर विचार किया जा रहा है. इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा ने रेल प्रशासन के साथ अमरावती-जबलपुर ट्रेन को शुरू किये जाने के संदर्भ में सतत प्रयास करना शुरू किया. जिसके जवाब में रेल्वे के एससीएम अजयकुमार द्वारा भेजे गई जवाबी पत्र में साफ तौर पर कहा गया कि, फिलहाल औरंगाबाद व अकोला के बीच कोई सीधी ट्रेन नहीं है. लेकिन अमरावती की तुलना में अकोला व औरंगाबाद से जबलपुर जानेवाले यात्रियों की संख्या अधिक है. इस जवाबी पत्र में प्री-कोविड यानी 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तथा पोस्ट कोविड यानी 1 जनवरी 2022 से 30 जून 2022 तक की दैनिक व मासिक टिकट बुकींग का ब्यौरा भेजते हुए अपने दावे को साबित करने का प्रयास किया गया है और इस दलिल के आधार पर जबलपुर ट्रेन को अमरावती की बजाय अकोला से चलाना फायदेमंद रहने की बात कही गई है, लेकिन महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा के मुताबिक रेल महकमे ने अपनी बात को सही साबित करने के लिए आंकडों में कुछ हद तक घालमेल किया है. जिसके तहत अमरावती से सीधे जबलपुर के लिए खरीदी जानेवाली टिकटों का तो हिसाब लगाया गया, लेकिन इस ट्रेन से रोजाना चांदुर रेल्वे, धामणगांव रेल्वे, पुलगांव, वर्धा तथा नागपुर हेतु बिकनेवाली टिकटों की संख्या को जोडा ही नहीं गया. यदि इन स्टेशनों से रोजाना अमरावती आने-जाने के लिए बिकनेवाली टिकटों और अपडाउन करनेवाले यात्रियों की संख्या को जोडा जाता है, तो निश्चित तौर पर अकोला की बजाय यह ट्रेन अमरावती से ही जबलपुर के लिए चलाना कहीं अधिक फायदेमंद है. ऐसे में रेल महकमे ने कलेक्शन को लेकर बेतुकी दलील नहीं देनी चाहिए और हमारी पूर्व महामहिम प्रतिभाताई पाटील द्वारा हमें दी गई सौगात को हमसे छिनना भी नहीं चाहिए.

* दोनों सांसदों सहित सभी जनप्रतिनिधियों की सक्रियता जरूरी
इस बारे में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा ने बताया कि, अव्वल तो अमरावती की ओर सरकारों द्वारा किसी भी मामले को लेकर कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता और हमें आज तक हर तरह की सुविधा लड-झगडकर या आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने के बाद ही प्राप्त हुई है. पहली बार पूर्व महामहिम प्रतिभाताई पाटील की वजह से अमरावती को मॉडल रेल्वे स्टेशन व रेलगाडियों की सौगात मिली. कम से कम इसे अमरावती के हिस्से में रहने दिया जाना चाहिए और इसे हमसे छीनने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. अनिल तरडेजा के मुताबिक उन्होंने इस बारे में जिले की सांसद नवनीत राणा व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे से भी मुलाकात करते हुए चर्चा की है. चूंंकि इन दोनों सांसदों की इस समय केंद्र सरकार के साथ अच्छी-खासी नजदिकी है. जिसका उन्होंने अमरावती के हितों व विकास के लिए फायदा उठाना चाहिए. इसके अलावा इन दोनों सांसदों के साथ-साथ सभी जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे को लेकर एक मंच पर आकर आवाज बुलंद करनी चाहिए. क्योेंकि यह अमरावती के विकास व सम्मान से जुडा मामला है.
* अन्यथा अमरावती बंद व रेल रोको आंदोलन
इस समय महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा ने याद दिलाया कि, इससे पहले गीतांजली एक्सप्रेस सहित अन्य कुछ रेलगाडियों को बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर स्टॉपेज दिलाने हेतु महानगर यात्री संघ द्वारा व्यापक स्तर पर जनआंदोलन किये गये थे, जो बेहद सफल भी रहे. उसी तर्ज पर अब अमरावती-जबलपुर ट्रेन को अमरावती से ही शुरू करने और यहीं से शुरू रखने के लिए भी रेल रोको आंदोलन करने के साथ-साथ अमरावती बंद जैसे आंदोलन की राह पकडनी पड सकती है, ताकि किसी भी कीमत पर यह ट्रेन अमरावती की बजाय किसी अन्य शहर को स्थलांतरित न की जाये. अनिल तरडेजा के मुताबिक उनका अकोला शहर व जिले के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है, लेकिन अमरावती के हिस्से में रहनेवाली किसी सुविधा को अमरावती से छीनकर अकोला के हिस्से में दिये जाने का समर्थन भी नही किया जा सकता. यदि रेल प्रशासन चाहे, तो अकोला के लिए किसी स्वतंत्र व नई ट्रेन की घोषणा कर सकता है. लेकिन अमरावती से चलनेवाली ट्रेन अकोला को नहीं दी जानी चाहिए.

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