केंद्र सरकार के साथ आशा वर्कर्स की अब सीधी लडाई
महाराष्ट्र राज्य आशा वर्कर्स फेडरेशन सीटू का महासम्मेलन
![](https://mandalnews.com/wp-content/uploads/2025/02/Untitled-1-copy-78-780x470.jpg?x10455)
* सरकारी कर्मचारी का दर्जा व पेंशन के लिए होगा संघर्ष
अमरावती /दि.10– राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान योजना यह कार्यक्रम केंद्र सरकार ने शुरु किया था, जिसमें साल 2018 के पश्चात एक रुपया भी मानधन नहीं बढाया गया. आज आशा वर्कर्स स्वास्थ्य विभाग की नींव हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना काल में किये गये कार्य के लिए आशा वर्कर्स को कोरोना योद्धा से सम्मानित किया. लेकिन केंद्र सरकार ने हमारे हाथों में केवल केंद्र सरकार ने हमारे हाथों में केवल फूल थमाया. स्वास्थ्य विभाग मूलभूत सुविधाओं का हिस्सा है, जिसमें योजनाओं के नाम पर आशा वर्कर्स का शोषण किया जा रहा है, जिसका विरोध करते हुए सीटू ने आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलने की मांग शासन स्तर पर रखी है. अब सभी आशा वर्कर्स सीटू को संघर्षशील बनना होगा. अब यह लडाई राज्य सरकार ने नहीं बल्कि केंद्र सरकार के साथ है. हमारी एकजुटता ही हमें जीत दिलाएगी, ऐसा विश्वास महाराष्ट्र राज्य आशा वर्कर्स फेडरेशन सीटू की महासचिव पुष्पा पाटिल ने व्यक्त किया.
स्थानीय गांधी चौक स्थित जयपुरवाला टॉवर में स्थित संगठन के कार्यालय में शनिवार को आशा वर्कर्स का सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस अवसर पर वे बोल रही थी. सम्मेलन में सीटू जिला सचिव सुनील देशमुख, अंगणवाडी कर्मचारी संगठन अध्यक्ष रमेश सोनुले, आशा वर्कर्स संगठन के कोषाध्यक्ष राजेंद्र भांबोरे, महाराष्ट्र राज्य आशा वर्कर्स संगठन फेडरेशन कोषाध्यक्ष अर्चना घुगरे प्रमुख रुप से उपस्थित थे. महासचिव पुष्पा पाटिल ने उद्घाटन अवसर पर कहा कि, आज के दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाणे स्थित अपने निवासस्थान पर दिये गये आश्वासन की पूर्ति नहीं होने से संपूर्ण राज्य से आशा वर्कर्स 9 फरवरी को अध्यादेश निकाले. अध्यादेश निकालने की मांग को लेकर बेमियादी धरना आंदोलन पर बैठने तैयार थे. उस दिन मुख्यमंत्री शिंदे का जन्मदिन था. लगातार दो माह के आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने मानधन में थोडी बढोत्तरी की थी. इस अवसर पर उन्होंने आशा वर्कर्स को 8 फरवरी 2024 की याद दिलाई. महाराष्ट्र राज्य आशा वर्कर्स संगठन फेडरेशन कोषाध्यक्ष अर्चना घुगरे ने सदस्य पंजीयन, बैठक, आशा वर्कर्स कामकाज में आने वाली दुविधा बाबत मार्गदर्शन किया.
समापन समारोह में संगठन के अध्यक्ष सुभाष पांडे ने कहा कि, अब हमें संगठन के अलावा कोई पर्याय नहीं है. केवल आर्थिक मांगों के लिए संगठित होकर लडने की बजाय श्रमिक वर्ग का दर्जा मिलने के लिए लडना जरुरी है. सरकार ने कामगार विरोधी कानून तैयार कर पहले ही हम पर अन्याय किया है. इसके विरोध में आवाज उठाने के लिए हमें तैयार होना होगा. उन्होंने कहा कि, कोरोना काल में अपनी जान की परवाह न करते हुए आशा वर्कर्स जनता की सेवा में निरंतर सेवारत रही. केंद्र सरकार ने आशा वर्कर्स की हमेशा अनदेखी की है. इस बजट में भी आशा वर्कर्स के लिए किसी तरह का प्रावधान नहीं किया गया है. केंद्र सरकार बजट में तीन प्रतिशत तक स्वास्थ्य योजना पर प्रावधान करें, 2018 के बाद मानधन में बढोत्तरी नहीं हुई है. सर्वोच्च न्यायालय ने आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिये जाने के निर्देश दिये है. जिसका पालन नहीं हुआ है. संघर्ष के बाद मिली मामूली मानधन बढोत्तरी और तीन माह से मानधन से वंचित रखने वाली सरकार केवल अतिरिक्त काम का बोझ बढा रही है. सम्मेलन मे ंविविध विषयों पर चर्चा की गई. कार्यक्रम का संचालन जिला सचिव वंदना बुरांडे ने किया. सम्मेलन को सफल बनाने के लिए ज्योति नालट, अनिता जगताप, ममता काले, किरण रंगारी, वर्षा कापसे, वैशाली नेवारे, संगीता वानखडे, नलू बोरकर, चवरे ने अथक प्रयास किये.