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मेगा टेक्सटाईल पार्क को लेकर अब कांग्रेस व भाजपा आमने-सामने

पीएम मित्र योजना को लेकर चर्चा सहित आरोप-प्रत्योराप का दौर हुआ तेज

* दोनों दलों के नेताओं ने दी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं
अमरावती/दि.28– दो दिन पहले पूर्व जिला पालकमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. सुनील देशमुख ने एक पत्रकार परिषद लेते हुए आरोप लगाया था कि, पीएम मित्र योजना अंतर्गत अमरावती में साकार होने जा रहे मेगा टेक्सटाईल पार्क को राज्य की मौजूदा शिंदे-भाजपा सरकार द्वारा औरंगाबाद (अब छत्रपती संभाजीनगर) ले जाये जाने का प्रयास किया जा रहा है और 15 मार्च को इस योजना में आवेदन करने की अंतिम तिथी रहने और केंद्रीय वस्त्रोद्योग राज्यमंत्री द्वारा महाराष्ट्र से केवल अमरावती का नाम ही मिलने की जानकारी लोकसभा में दिये जाने के बावजूद अब इसमें अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का नाम भी जोडा गया है. जिसके लिए विगत दिनों राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन से मुलाकात करते हुए उन्हें पीएम मित्र योजना अंतर्गत मेगा टेक्सटाईल पार्क को औरंगाबाद में देने का निवेदन किया था. डॉ. सुनील देशमुख द्वारा लगाये गये इस सनसनीखेज आरोप के बाद स्थानीय स्तर की राजनीति में अच्छा-खासा हडकंप मच गया था. वही दूसरे दिन यह जानकारी भी सामने आयी कि, औरंगाबाद का नाम तो राज्य की एमआयडीसी द्वारा राज्य में आघाडी सरकार रहते समय ही केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय के समक्ष प्रस्तावित कर दिया गया था. जिसे लेकर एमआयडीसी और केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय के बीच जून माह में ही पत्रव्यवहार भी हुआ था और उस समय शिंदे-भाजपा सरकार का दूर-दूर तक कोई अता-पता भी नहीं था. इस जानकारी के सामने आते ही अब कांग्रेस व भाजपा नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड गई है और भाजपा नेताओं द्वारा डॉ. सुनील देशमुख सहित कांग्रेस नेताओं पर गलत बयानबाजी करते हुए आम जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं इसके जवाब में कांग्रेस नेताओं द्वारा भी अपने बचाव को लेकर आवश्यक दलीले दी जा रही है.

अमरावती के मेगा टेक्सटाईल पार्क को कोई खतरा नहीं
जिन लोगों ने अमरावती में साकार होनेवाले मेगा टेक्सटाईल पार्क को यहां से स्थलांतरित कर छत्रपती संभाजी नगर ले जाये जाने की अनर्गल बयानबाजी की है. उन्होंने ऐसा करते हुए अपनी बची-खुची विश्वसनियता व साख को खो दिया है. हकीकत यह है कि, पीएम मित्र योजना अंतर्गत अमरावती का नाम मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए पूरी तरह से फाईनल हो चुका है और का मेगा टेक्सटाईल पार्क कहीं नहीं जानेवाला. अलबत्ता खुद महाविकास आघाडी सरकार के समय ही एमआयडीसी द्वारा अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का भी नाम प्रस्तावित किया गया था. यह बात शायद बेतुके आरोप लगानेवाले कांग्रेस नेताओं को पता ही नहीं थी. जिससे पता चलता है कि, उनकी खुद अपनी सरकार में क्या स्थिति और कितनी पकड रही होगी.
– डॉ. अनिल बोंडे
सांसद, राज्यसभा
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* बेबुनियाद और झूठे हैं सभी आरोप
अमरावती के प्रस्तावित मेगा टेक्सटाईल पार्क को लेकर बीते दिनों पत्रवार्ता बुलाकर लगाये गये सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद है. सभी को पता है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस विदर्भ क्षेत्र के विकास हेतु समर्पित व संकल्पीत है. ऐसे में अमरावती में साकार होनेवाले किसी प्रकल्प के यहां से कहीं और स्थलांतरित होने की कल्पना ही नहीं की जा सकती. साथ ही आरोप लगानेवालों को शायद यह भी नहीं पता कि, शिंदे-फडणवीस मंत्रीमंडल की अब तक हुई किसी भी बैठक में इस विषय को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई, तो मौजूदा सरकार द्वारा इसे लेकर केंद्र सरकार को कोई नया प्रस्ताव भेजने का सवाल ही नहीं उठता. साथ ही इस बात की अनदेखी भी नहीं की जा सकती कि, खुद देवेेंद्र फडणवीस ने ही इससे पहले राज्य का नेता प्रतिपक्ष रहते समय पीएम मित्र योजना अंतर्गत मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए अमरावती का नाम प्रस्तावित किया था और अब यह साबित हो गया है कि, मविआ सरकार के कार्यकाल में ही अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का नाम प्रस्तावित किया गया था. वही इसे लेकर अब कांग्रेस नेताओं द्वारा राज्य की शिंदे-भाजपा सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है.
– प्रवीण पोटे पाटील
पूर्व पालकमंत्री व विधान परिषद सदस्य

* कांग्रेस के नेताओं का मानसिक संतुलन बिगड गया है
अब यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि, पीएम मित्र योजना अंतर्गत मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए अमरावती के साथ-साथ तब के औरंगाबाद और अब के छत्रपती संभाजी नगर का नाम एमआयडीसी द्वारा महाविकास आघाडी सरकार के अस्तित्व में रहते समय ही केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय को भेज दिया गया था. ऐसे में कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्रकार परिषद लेते हुए इस संदर्भ में राज्य की मौजूदा शिंदे-भाजपा सरकार पर आरोप लगाने का औचित्य समझ से परे है. संभवत: अचानक ही अपने हाथ से राज्य की सत्ता निकल जाने की वजह से कांग्रेस नेताओं का मानसिक संतुलन बिगड गया है. हालांकि यह बात अलग है कि, सरकार रहते समय ही कांग्रेस नेताओं की सरकार में कोई खास पूछ-परख नहीं थी. आश्चर्य का विषय है कि, खुद अपनी ही सरकार के समय भेजे गये दो नामों से पार्टी के प्रवक्ता अनजान हैं और खुद के लिए विकास पुरूष का संबोधन लगवानेवाले नेता के पास इस बात की जानकारी ही नहीं है कि, मेगा टेक्सटाईल पार्क जैसा महत्वाकांक्षी प्रकल्प अमरावती में ही साकार होने जा रहा है.
– तुषार भारतीय
पूर्व सभागृह नेता, मनपा

* वे शायद खबरों में बने रहने के लिए तडप रहे
राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अब कांग्रेस नेताओं के पास खबरों में बने रहना शायद संभव नहीं हो पा रहा. ऐसे में वे किसी न किसी बहाने से खबरों में बने रहने के लिए जद्दोजहद कर रहे है. इसी के तहत विगत दिनों कांग्र्रेस नेताओं को पत्रकार परिषद लेकर बेतुकेे आरोप लगाने की सूझी, लेकिन वे लोग शायद एक बात भुल गये कि, विकास से संबंधित मामलोें को लेकर पक्ष-विपक्ष की राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि सभी दलों ने एक साथ आकर अपने क्षेत्र के विकास हेतु काम करना चाहिए. नांदगांव पेठ में साकार होने जा रहे मेगा टेक्सटाईल पार्क को लेकर मौजूदा शिंदे-भाजपा सरकार पर आरोप लगानेवाले शायद यह नहीं जानते कि, जिस दिन केंद्र सरकार द्वारा यह योजना घोषित की गई थी, उसी दिन तीन घंटे के भीतर तब विपक्ष के नेता रहनेवाले राज्य के मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस ने केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्री के नाम ट्विट करते हुए मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए अमरावती का नाम प्रस्तावित किया था. सरकारी प्रस्ताव तो बहुत बाद में गया. वही आरोप लगानेवालों को शायद यह भी नहीं पता कि, अमरावती का नाम ‘ब्राउन फिल्ड’ में शामिल है. यानी यहां पर पहले से मौजूद टेक्सटाईल पार्क का व्यापक स्तर पर विस्तार व विकास होगा. वहीं औरंगाबाद का नाम ‘ग्रीन फिल्ड’ में प्रस्तावित किया गया है. जहां के औद्योगिक क्षेत्र में नये सिरे से टेक्सटाईल पार्क साकार किया जाना है. ऐसे में साफ है कि, अमरावती को ही पहली प्राथमिकता मिलनेवाली है.
– प्रा. दिनेश सूर्यवंशी
सदस्य, प्रदेश भाजपा

* अपने ही जाल में फंस गई कांग्रेस, विदर्भ द्रोही थी उध्दव सरकार
दो दिन पूर्व पत्रकार परिषद में बेसिरपैर के आरोप लगाकर कांग्रेस नेता डॉ. सुनील देशमुख ने अपने ही हाथों अपनी पार्टी और अपनी सरकार की भद्द पिटवा दी है. अब यह बात सबके सामने आ गई है कि, केंद्र सरकार द्वारा चलाई जानेवाली पीएम मित्र योजना के लिए पहले केवल अमरावती का ही नाम सामने था. लेकिन बाद में विदर्भ के प्रति दुजाभाव रखनेवाली महाविकास आघाडी सरकार द्वारा अपने ही कार्यकाल के दौरान अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का भी नाम प्रस्तावित किया, ताकि इस महत्वाकांक्षी प्रकल्प को विदर्भ की बजाय मराठवाडा ले जाया जा सके. लेेकिन यह बात शायद डॉ. देशमुख को पता नहीं रही होगी. ऐसे में उन्होंने पत्रकार परिषद लेकर अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार ली है और इस मामले के सारे तथ्य अब सबके सामने आ गये है.
-किरण पातुरकर
शहराध्यक्ष, भाजपा

* अमरावती के प्रोजेक्ट पर कोई खतरा तो नहीं दिख रहा
मेरी जानकारी के हिसाब से यह सही है कि, राज्य की एमआयडीसी द्वारा राज्य में महाविकास आघाडी सरकार के रहते समय ही अमरावती के साथ-साथ औरंगाबाद का नाम भी पीएम मित्र योजना अंतर्गत मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए प्रस्तावित किया गया था. जिसे लेकर एमआयडीसी और केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय के बीच कुछ पत्रव्यवहार भी हुए थे. जिसमें अमरावती के लिए ‘ब्राउन फिल्ड’ तथा औरंगाबाद के लिए ‘ग्रीन फिल्ड’ शब्दों का प्रयोग हुआ है. तकनीकी रूप से जहां पर कोई प्रकल्प पहले से मौजूद है और उसका विस्तार करते हुए उसे विकसित करना होता है, तो ‘ब्राउन फिल्ड’ शब्द का प्रयोग होता है. वही जहां पर किसी प्रोजेक्ट को नये सिरे से शुरू करना होता है, तो उसके लिए ‘ग्रीन फिल्ड’ की श्रेणी तय की जाती है. चूंकि अमरावती में पहले से टेक्सटाईल पार्क उपलब्ध है और यहां पर बडे पैमाने में कपास का उत्पादन भी होता है. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि, अमरावती के लिए प्रस्तावित मेगा टेक्सटाईल पार्क को लेकर किसी तरह का कोई खतरा है, क्योंकि यह भी जानकारी सामने आयी है कि, 2 मई को केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय की संयुक्त सचिव प्राजक्ता वर्मा भी अमरावती का दौरा कर चुकी है और यहां पर इस मेगा प्रोजेक्ट के नियोजीत स्थल का मुआयना भी हो चुका है.
– संजय खोडके
प्रदेश उपाध्यक्ष, राकांपा

* दूसरे नाम का प्रस्ताव कैसे, इसकी जांच होना जरूरी
यह तो तय है कि, पीएम मित्र योजना अंतर्गत आवेदन करने की अंतिम तिथी 15 मार्च थी और 23 मार्च को लोकसभा में खुद केंद्रीय वस्त्रोद्योग राज्यमंत्री ने इसे लेकर मिले प्रस्तावों की जानकारी देते हुए यह बताया था कि, महाराष्ट्र से केवल अमरावती के नाम का ही प्रस्ताव आया है. इसके बाद जून माह में एमआयडीसी की ओर से अमरावती के साथ एक और शहर का नाम कैसे प्रस्तावित किया गया, यह जांच का विषय हो सकता है. यद्यपि उस समय राज्य में कांग्रेस का समावेश रहनेवाली महाविकास आघाडी की सरकार थी, लेकिन सरकार को गिराने की कोशिशें उसी समय से तेज हो गई थी. ऐसे में बहुत संभव है कि, तत्कालीन मुख्यमंत्री व सरकार को अंधेरे में रखकर यह खेल खेला गया हो और नई सरकार के अस्तित्व में आते ही नये मुख्यमंत्री शिंदे ने इसे लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात की. ऐसे में इस बात की जांच होनी चाहिए कि, आखिर अमरावती के दावे को कमजोर करने के पीछे क्या षडयंत्र है.
– एड. दिलीप एडतकर
प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

* अब भी कई सवालों का जवाब मिलना है बाकी
हमारे पास जो जानकारी थी, हमने उसे अमरावती की जनता के सामने रखा और बेहद खुशी की बात है कि, आज इस विषय को लेकर पूरे अमरावती शहर सहित जिले में चर्चा हो रही है. लेकिन मुख्य सवाल यही है कि, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन के साथ मुलाकात के समय राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए केवल औरंगाबाद का ही नाम क्यो लिया और वहां पर अमरावती में प्रस्तावित मेगा टेक्सटाईल पार्क का कोई उल्लेख क्यो नहीं हुआ. क्या इस जरिये अमरावती की दावेदारी को कमजोर करने का प्रयास तो नहीं हो रहा. इसका जवाब सरकार ने देना चाहिए.
-मिलींद चिमोटे
पूर्व महापौर, अमरावती.
bablu-shekhawat-amravati-mandal
* हमारा उद्देश्य केवल अमरावती का विकास
दो दिन पूर्व हमारे द्वारा ली गई पत्रकार परिषद का उद्देश्य किसी भी तरह की राजनीति करना, या किसी पर राजनीतिक आरोप लगाना बिल्कुल भी नहीं था. बल्कि हम केवल इतना चाहते है कि, पीएम मित्र योजना अंतर्गत मेगा टेक्सटाईल पार्क अमरावती में ही साकार हो. इस प्रोजेक्ट के अन्यत्र स्थलांतरित होने को लेकर कुछ खबरें सामने आ रही थी. ऐसे में हमने स्थानीय जनप्रतिनिधियों व नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी समझकर आगाह करने का प्रयास किया. जहां तक अब सामने आये एमआयडीसी के पत्र का सवाल है, तो हम अपने स्तर पर इस बात की जांच करेंगे कि, तत्कालीन कैबिनेट को अंधेरे में रखकर यह फैसला कैसे लिया गया था.
– बबलू शेखावत
पूर्व नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस शहराध्यक्ष

 

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