अमरावती/दि.3 – स्थानीय जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की उपविधि में विभागीय सहनिबंधक सहकारी संस्था द्वारा 13 अक्तूबर 2023 को जारी आदेश के तहत संशोधन करना प्रस्तावित किया गया था. इस आदेश के खिलाफ जिला बैंक के संंचालक मंडल में सदस्य रहने वाले हरिभाउ मोहोड सहित अन्य 12 संचालक सदस्यों ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई के बाद न्या. एन. आर. बोरकर की एकल पीठ ने विगत 1 अक्तूबर को जारी आदेश के तहत बैंक का दैनिक कामकाज पुरानी उपविधि के अनुसार ही करने की सुविधा दी. साथ ही बैंक पर नीतिगत निर्णय लेने के संदर्भ में प्रतिबंध लगा दिया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक विभागीय सहनिबंधक सहकारी संस्था द्वारा गत रोज जारी आदेश के खिलाफ बैंक के संचालक हरिभाउ मोहोड सहित अन्य 12 सदस्यों ने सबसे पहले राज्य के सहकार मंत्री के समक्ष अपील दायर करते हुए इस आदेश को चुनौती दी थी. जिसके बाद 30 सितंबर 2024 को सहकार मंत्री ने उपविधि में संशोधनास के आदेश को रद्द कर इस मामले में दोबारा जांच करने का आदेश विभागीय सहनिबंधक कार्यालय को दिया. सहकार मंत्री के आदेश के खिलाफ बैंक द्वारा नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई और इस याचिका पर सुनवाई करने के साथ ही 1 अक्तूबर 2024 को आदेश पारित कर सहकार मंत्री के आदेश को कायम किया गया. साथ ही संबंधित संचालक मंडल के सदस्यों को बैंक की उपविधि के बारे में दोबारा निर्णय लेने से संबंधित मामले को लेकर विभागीय सहनिबंधक की अदालत ने 9 अक्तूबर को उपस्थित रहने हेतु आदेशित किया गया, ताकि विभागीय सहनिबंधक सहकारी संस्था को आगामी 2 माह के भीतर इस मामले में अंतिम निर्णय देने का निर्देश भी दिया गया. हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान बैंक की पदभर्ती, उपविधि की पुनश्च दुरुस्ती, बैंक के आर्थिक निर्णय तथा सदस्य भर्ती व सदस्यों को निकालने जैसे मुद्दों का ेलेकर भी बहस हुई. जिसके बाद नागपुर हाईकोर्ट ने 1 अक्तूबर को जारी आदेश के अनुसार बैंक को अपना कामकाज पुरानी उपविधि के साथ करने की छुट दी. साथ ही यह भी कहा कि, मामले में कोई अंतिम निर्णय आने तक बैंक के संचालक मंडल व प्रशासन द्वारा कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सकेगा.
इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने बैंक के संचालक हरिश मोहोड सहित अन्य 12 संचालकों की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ एड. हरिश डांगरे व एड. नीलेश गावंडे ने सफल युक्तिवाद किया.