अमरावती/दि.26– राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक की गिरफ्तारी के निषेध में महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार के मंत्रियों, विधायकों व कार्यकर्ताओें ने गैरकानूनी रूप से भीडभाड जमाते हुए जमावबंदी कानूनी का उल्लंघन किया. ऐसे में जिस तरह भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ अपराध दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया, उसी तरह अब आघाडी सरकार के मंत्रियों व विधायकों पर भी अपराध दर्ज किये जाये, ऐसी मांग राज्य के पूर्व कृषि मंत्री तथा भाजपा नेता डॉ. अनिल बोंडे ने राज्य के पुलिस महासंचालक से की है.
इस पत्र में डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, नवाब मलिक को ईडी द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद उनसे नैतिक आधार पर इस्तीफा मांगे जाने की मांग को लेकर भाजपा के अमरावती शहराध्यक्ष किरण पातुरकर के नेतृत्व में भाजपा पदाधिकारियों द्वारा स्थानीय राजकमल चौराहे पर आंदोलन किया गया, तो सभी भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया. जिसमें खुद डॉ. अनिल बोंडे व भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर सहित तुषार भारतीय, जयंत डेहनकर, गजानन देशमुख, मंगेश खोंडे, राधा कुरील, सुरेखा लुंगारे, नितीन धांडे, संध्या टिकले, सुनील साहू, लता देशमुख, श्रध्दा गहलोत, सविता ठाकरे, छाया अंबाडकर, लवीना हर्षे, अजय सारस्कर, रश्मी नावंदर, रोशनी वाकडे, संगीता तोंडे, ललीत समदूरकर, योगेश वानखडे, प्रणित सोनी, सुभाष श्रीखंडे सहित अनेकों भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को धारा 135 व 188 के तहत गिरफ्तार किया गया और उन पर मामले दर्ज किये गये. वहीं नवाब मलिक की गिरफ्तारी का निषेध करते हुए महाविकास आघाडी सरकार के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, जलसंपदा मंत्री जयंत पाटील, गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील, ग्रामविकास मंत्री हसन मुश्रीफ, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, औषध आपूर्ति मंत्री डॉ. राजेंद्र शिंगणे, राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात, सार्वजनिक लोकनिर्माण मंत्री अशोक चव्हाण व उर्जा मंत्री नितीन राउत सहित बालासाहब पाटील, जीतेंद्र आव्हाड, अदिती तटकरे, संजय बनसोडे, विजय वडेट्टीवार, सुनील केदार, सतेज पाटील, के. सी. पाडवी, सुभाष देसाई एवं सांसद सुप्रिया सुले के साथ-साथ राकांपा के अनेकोें मंत्रियों, विधायकों और करीब 1 हजार कार्यकर्ताओं ने एक साथ आकर निषेध आंदोलन किया. लेकिन इनमें से किसी के भी खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया और किसी को गिरफ्तार भी नहीं किया गया. जबकि महाराष्ट्र में दोनों आंदोलनों का हेतु भले ही अलग था, लेकिन स्वरूप एक ही तरह का था. ऐसे में जिस तरह अमरावती में आंदोलन करने को लेकर भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई, तो उसी तरह मुंबई में हुए आंदोलन में सहभागी मंत्रियों व विधायकों के खिलाफ भी अपराध दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया जाना अपेक्षित था. किंतु मुंबई पुलिस आयुक्त ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की. जिससे पुलिस के दोहरे रवैय्ये को लेकर आम जनता के मन में संभ्रम पैदा हुआ है. अत: समान न्याय और समान कानून के तत्वानुसार जैसे भाजपाईयों पर अपराध दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया, वैसे ही सरकार के मंत्रियों व विधायकों के खिलाफ भी अपराध दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए.