मुंबई दि.9– बनावट किटनाशकों का उत्पादन और विक्री करने वाली कंपनियों के साथ ही उनका प्रयोग करने वाले किसानों को भी अब कार्रवाई के दायरे में लिया जाएगा. जिसके चलते बनावटी किटनाशकों का प्रयोग करने वाले किसानों को अधिकतम 6 माह के कारावास और कम से कम 5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा का एक विधेयक में प्रावधान किया गया है. जिसकी वजह से अब राज्य मेें एक नया विवाद शुरु होने की पूरी संभावना है.
उल्लेखनीय है कि, राज्य में नकली खाद व बीज एवं बनावटी किटनाशकों का उत्पादन करने वाले कंपनियों की संख्या अच्छी खासी बढ गई है. जिनके द्बारा किसानों के साथ बडे पैमाने पर आर्थिक जालसाजी भी होती है. जिस पर प्रतिबंध लगाने हेतु कडा कानून बनाने की घोषणा कृषि मंत्री धनंजय मुंडे द्बारा की गई है. इससे पहले तत्कालीन कृषि मंत्री अब्दूल सत्तार ने भी इस तरह का कानून बनाए जाने की घोषणा की थी. जिसके चलते अब मिलावटी व अप्रमाणित खाद व बीज तथा नकली किटनाशक की विक्री व उत्पादन करते हुए किसानों के साथ जालसाजी करने वाले लोगों के खिलाफ राज्य विघातक कार्रवाई प्रतिबंधक कानून यानि एमपीडीए के तहत कठोर कार्रवाई करने के साथ ही किसानों को नुकसान भरपाई दिलवाने के प्रावधान रहने वाला विधेयक कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने विधान मंडल के वापसकालीन सत्र में रखा था. जिसमें नकली खाद व बीज एवं किटनाशकों की विक्री करते हुए किसानों के साथ जालसाजी करने वाले सभी अपराधों को गैरजमानती कर दिया गया है तथा दोषियों को सश्रम कारावास तथा 1 लाख रुपए तक जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही किसानों द्बारा शिकायत दर्ज कराने पर उन्हें संबंधित कंपनी से एक माह के भीतर नुकसान भरपाई दिलवाने का प्रावधान भी इस कानून में किया गया है.
किसानों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहने वाले विधेयक को पावससत्र के दौरान मंंजूर करने का मानस व्यक्त करने वाले सरकार ने सत्र के अंतिम दिन विधेयक को और अधिक विचार विनिमय करने हेतु संयुक्त चिकित्सा समिति के पास भेजने का निर्णय लिया है. किसानों के साथ जालसाजी को लेकर एक ही कानून बनाए जाने पर उसे केंद्र सरकार की मान्यता लेनी होती है. ऐसे में सरकार ने राज्य के मौजूदा विविध कानूनों में सुधार करते हुए कठोर प्रावधान करते समय किसानों को भी इस कानून के दायरे में लाया है. जिसके अनुसार मौजूदा किटनाशक अधिनियम में सुधार करते समय जहरीले, बनावटी व घाटक किटनाशकों का इंसानों अथवा जानवरों के लिए होने वाले खतरों को ध्यान में रखते हुए ऐसे बनावटी किटनाशकों की निर्मिति व विक्री करने वालों को पहले अपराध के लिए दो वर्ष के कारावास व 50 हजार रुपए तक दंड तथा इसके बाद प्रत्येक अपराध के लिए 3 वर्ष के कारावास व 75 हजार रुपए तक दंड का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही बनावटी व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहने वाले किटनाशकों का प्रयोग करने वाले के लिए भी 6 माह तक के कारावास व 5 हजार रुपए के दंड की सजा का प्रावधान है.
ज्ञात रहे कि, रोग एवं किटकों की वजह से फसलें नष्ट न हो, इस हेतु किसानों द्बारा फसलों पर किटनाशकों की फवारणी की जाती है. परंतु ऐसे किटनाशकों को बनावटी या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहने के बारे में कई बार किसानों को जानकारी ही नहीं होती. लेकिन इसके बावजूद इस कानून में किसानों पर भी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है.
* नकली बीज व खाद एवं किटनाशकों की विक्री व उत्पादन तथा किसानों के साथ आर्थिक जालसाजी के संदर्भ में कृषि विभाग द्बारा विधान मंडल में पेश किए गए पांचों विधेयकों पर व्यापक चर्चा होने की जरुरत है. जिसके चलते सभागृह की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इन विधेयकों को संयुक्त समिति के पास भेजा गया है. जहां पर विधेयकों को लेकर किसानों तथा उत्पादकों व विक्रेताओं का पक्ष भी सुना जाएगा. जिसके बाद पूरी तरह से किसानों के हित में रहने वाला कानून बनाया जाएगा.
– धनंजय मुंडे,
कृषि मंत्री.
* विसंगत प्रावधान किटनाशकों का सदोष प्रयोग करने को लेकर किसानों को अपराधी मानते हुए उनके लिए सजा का प्रावधान करना बेहद गलत व विसंगत है. किटनाशक कंपनियों और बनावटी किटनाशक वितरीत करने वालों को छूट देने हेतु और उनकी गलतियों से ध्यान विचलित करने हेतु यह पूरी उठापठक की जा रही है. इस आशय का आरोप अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सहसचिव अजित नवले द्बारा लगाया गया है.