अमरावती

अब सडक पर घुमते आवारा कुत्तों को दिया जा सकेगा खाना

हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे

नागपुर/दि.17 – रास्तों व बगीचों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर घुमने वाले बेसहारा व आवारा कुत्तों को कुछ भी खिलाने-पिलाने से मना करने के संदर्भ में नागपुर हाईकोर्ट द्बारा दिये गये विवादास्पद फैसलें पर सुप्रीम कोर्ट ने कल अंतरीम स्थगनादेश दिया. साथ ही मौखिक रुप से आदेश जारी करते हुए कहा कि, खुद भी खिलाने-पिलाने के लिए आवारा कुत्तों को दत्तक लेेने का बंधन पशुप्रेमियों पर नहीं लादा जा सकता.
बता दें कि, विजय तालेवार सहित अन्य कुछ लोगों द्बारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुरी खंडपीेठ में विगत 22 अक्तूबर को आदेश जारी करते हुए कहा था कि, सडकों पर आवारा घुमने वाले कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर कुछ भी खाने-पीने की वस्तुएं न दी जाए और जो लोग ऐसा करना चाहते है, वे ऐसे कुत्तों को दत्तक लें. या उन्हें अपने घर ले जाए अथवा किसी अच्छे आश्रय गृह में रखते हुए उनका मनपा में नियमानुसार पंजीयन कराए. इस आदेश को विवादास्पद मानते हुए नागपुर की स्वाती चैटर्जी व मुदृला गोडबोले सहित अन्य कुछ लोगों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. जहां पर न्या. संजीव खन्ना व न्या. जे. के. माहेश्वरी की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसलें पर अंतरिम स्थगनादेश जारी करने के साथ ही महानगरपालिका को निर्देश दिया कि, आवारा घुमने वालों कुत्तों को खाने-पीने की वस्तु देने हेतु शहर में कुछ स्थान निर्धारित किये जाए. साथ ही ऐसे स्थान निर्धारित होने पर सार्वजनिक रुप से उत्पाथ मचाने वाले आवारा कुत्तों का कानून के दायरे के भीतर रहते हुए बंदोबस्त किया जाए. इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाने-पीने की कोई भी वस्तु देते समय सार्वजनिक स्तर पर उपद्रव की स्थिति पैदा न हो, इस बात का ध्यान पशु प्रेमियों द्वारा रखा जाये और जिन पशु प्रेमियों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता, उनके नाम मनपा प्रशासन द्वारा दर्ज किये जाए. परन्तु उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाये,ऐसा भी सर्वोच्च न्यायालय ने कहा. अब इस मामले में अगली सुनवाई फरवरी 2023 में की जाएगी.

याचिकाकर्ताओं का पक्ष
सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना रहा कि उच्च न्यायालय के विवादास्पद आदेश की वजह से आवारा घुमने वाले कुत्तों और उनकी फिक्र करने वाले नागरिकों के अधिकार बाधित हुए हैं. इसके साथ ही इस फैसले की वजह से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का भी उल्लंघन हुआ है. हाईकोर्ट द्वारा दिए गए विवादास्पद फैसले के बाद महानगरपालिका ने आवारा कुत्तों की धरपकड़ करनी शुरु कर दी है. यह कार्रवाई करते समय भारतीय प्राणी कल्याण मंडल के मार्गदर्शक निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खाने-पीने की वस्तुएं देने से मना करने वाला कोई कानून अस्तित्व में नहीं है. याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. अभय अंतुरकर तथा विजय तालेवार की ओर से एड. शकुल घाटोले ने युक्तिवाद किया.

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