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कोविड में पिता को खो चुके बच्चों की व्यथा
अमरावती/दि.4 – कोविड संक्रमण की वजह से अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के नाम पर एकमुश्त पांच लाख रूपयों का फिक्त डिपॉझिट किया जायेगा और बच्चे के सक्षम होने तक बाल संगोपन योजना के जरिये उसका खर्च उठाया जायेगा. ऐसा निर्णय राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया है. यह योजना व निर्णय दोनों अभिभावकों को खो चुके बच्चों के लिए है. किंतु जिन बच्चों ने कोविड संक्रमण काल के दौरान अपने पिता को खो दिया है, उन बच्चों और उनके परिवारों का क्या होगा, यह इस समय सबसे बडा सवाल है. घर का मुख्य कर्ता पुरूष रहनेवाले पिता के ही चले जाने से जिले में 62 बच्चों पर ‘मेरे पास सिर्फ मां है’ वाली स्थिति आन पडी है.
उल्लेखनीय है कि, आज भी कई किसान खेतीहर मजदूरी व निजी काम करनेवाले परिवारों में पिता ही कर्ता पुरूष व कमाउ सदस्य होता है. ऐसे में पितृछत्र खो चुके बच्चों व उनके परिवारों की ओर भी सरकार द्वारा ध्यान दिया जाना चाहिए, अन्यथा अपने बच्चों के पालन-पोषण हेतु उनकी मां को घर से बाहर निकलकर मेहनत-मजदूरी करनी पडेगी. बता दें कि, कोविड संक्रमण के चलते एक अभिभावक को खो देनेवाले बच्चों की संख्या राज्य में 5 हजार 96 के आसपास है.
मजदूरी के अलावा और कोई पर्याय नहीं
कोविड संक्रमण की वजह से पिता की मौत हो गई. उन पर पूरे परिवार का जिम्मा था. वे काम पर जाते थे, तो घर में चूल्हा जलता था. किंतु कोविड संक्रमण ने हमारी दूनिया ही बदल दी. अब हमारे सामने अपनी मां के साथ खेतों में जाकर मेहनत-मजदूरी करने के अलावा अन्य कोई पर्याय नहीं है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से खेतों में भी काम मिलना मुश्किल है. पिता नहीं रहने से हमारे पालन-पोषण की जिम्मेदारी अब हमारी मां पर आ गई है. ऐसे में सरकार ने हमारी भी मदद करनी चाहिए. ऐसी प्रतिक्रिया कोरोना की वजह से पिता को खो चुके एक बच्चे ने दी है.
आसमान ही फट पडा, अब कैसे संभाले
मेरे माता-पिता एकसाथ कोविड संक्रमण की चपेट में आये. दोनों का इलाज जारी रहते समय पिता की मौत हो गयी. उस समय मैं घर पर अकेला था और मां को अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने के बाद पिता के गुजर जाने की जानकारी दी गई. पिता के असमय निधन से हम पर आसमान टूट पडा है और हम तमाम संघर्षों का सामना करते हुए जिंदा रहने का प्रयास कर रहे है. यदि सरकार व प्रशासन द्वारा मदद की जाती है, तो जिंदगी कुछ आसान हो जायेगी. ऐसी आशा एक अन्य बच्चे द्वारा दी गई.
अब परिवार के साथ खेती करेंगे
कोविड संक्रमण की वजह से पिता के चले जाने के बाद अब अपनी मां के साथ हमारे पास रहनेवाली अत्यल्प खेत में किसानी करने के अलावा और कोई पर्याय नहीं है. पढने-लिखने की उम्र में अब मां और घर को संभालने की स्थिति आ गई है. कुछ सामाजिक संगठनों द्वारा सहायता का आश्वासन दिया गया है. किंतु यह आश्वासन कब पूर्ण होगा, यह पता नहीं है. ऐसे में फिलहाल दो वक्त के भोजन की व्यवस्था करने हेतु खेती-किसानी ही करनी होगी. सरकार ने अपने पिता को खो चुके बच्चों की भी सहायता करनी चाहिए.
7 बच्चों ने खोये दोनों अभिभावक
कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में सर्वाधिक मौतें हुई है और अब तक कोविड संक्रमण की वजह से माता-पिता की मौत हो जाने के चलते सात बच्चे अनाथ हो गये है. वहीं जिले में 62 बच्चों ने अपने पिता और 16 बच्चों ने अपनी मां को इस महामारी के दौरान खो दिया है.