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दुर्घटना टालने के लिए अब मोबाइल अ‍ॅप की मदत

यवतमाल समेत राज्य के 10 शहरों में पथदर्शी प्रकल्प

तीन विभागों का समन्वय
अमरावती/दि.15- तमिलनाडू की तर्ज पर राज्य के 10 शहरों में द्गआय रेडद्घ इस मोबाइल अ‍ॅप की मदत से दुर्घटना नियंत्रण का महत्वपूर्ण पथदर्शी प्रकल्प केंद्रीय सडक व महामार्ग मंत्रालय व्दारा अमल में लाया जाएगा. यह प्रकल्प राज्य के यवतमाल, नागपुर, औरंगाबाद, बीड, पालघर, पुणे, नाशिक, सोलापुर, जलगांव, अहमदनगर शहरों में अमल में लाया जाएगा.
द्गआय रेडद्घ यह अ‍ॅप आईआईटी चेनैई इस संस्था ने विकसित किया है. फिलहाल वह तमिलनाडू में इस्तेमाल किया जाता है. जिससे वहां दुर्घटना में कमी आने का दावा किया गया है. इस बात को ध्यान में रखकर यह प्रकल्प महाराष्ट्र के 10 शहरों के प्रति 5 पुलिस थाना क्षेत्र में अमल में लाना निश्चित किया है. इसमें सफलता मिली तो यह प्रकल्प राज्यभर में अमल में लाया जाएगा. इस प्रकल्प की कुछ पुलिस थाना क्षेत्र में जांच भी हुई है. उसके लिए कुछ पुलिस, आरटीओ कर्मचारी व पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का प्रशिक्षण भी हुआ है. दुर्घटना होते ही वहां प्रथम पहुंचने वाले पुलिस को तत्काल अ‍ॅप में इस स्थल का फोटो और वीडियों अपलोड करने पडेंगे, इस जानकारी में स्थल के अक्षांस, रेखांश समेत दुर्घटना में कितने वाहनों का नुकसान हुआ है, इसकी जानकारी अपलोड करनी पडेगी. अ‍ॅप की मदत से यह जानकारी तत्काल प्रादेशिक परिवहन विभाग समेत पीडब्ल्यूडी विभाग के पास जाएगी. पश्चात तत्काल आरटीओ के मोटर वाहन निरीक्षण दल घटनास्थल का मुआयना करते समय वाहनों समेत अन्य दोष तलाशेंगे. आरटीओ के अधिकारियों को इस अ‍ॅप में ही उनके मत नोंद करने पडेंगे, उसके बाद पीडब्ल्यूडी के अभियंता वहा आकर उस दुर्घटना के कारण क्या है वह इसमें स्पष्ट करेंगे. जिससे यह सभी जानकारी समय-समय पर राज्य के रस्ता सुरक्षा विभाग के पास जमा होगी. जिससे तत्काल इस क्षेत्र में दुर्घटना न हो इसके उपाय किये जाएंगे. दुर्घटना में कौनसे वाहनों का दोष है, यह भी स्पष्ट होगा. अपलोड की जाने वाली जानकारी में पुलिस में दर्ज अपराध की प्रत भी जोडनी पडेगी. इस अ‍ॅप का यूजर आयडी व पासवर्ड तीनों विभाग के संबंधित अधिकारी के पास रहेगा. इस प्रकल्प के लिए नैशनल इंफार्मेटीक सेंटर की ओर से तकनीकी मदत की जाती है.
क्या है संकल्पना
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (आरटीओ), सार्वजनिक बांधकाम विभाग (पीडब्ल्यूडी) से जोडे जाएंगे. दुर्घटना होते ही घटनास्थल पर प्रथम पहुंचने वाले पुलिस को दुर्घटना की जानकारी वहीं पर इस अ‍ॅप में अपलोड करनी पडेगी. जिससे दुर्घटना के दोष समय पर सामने आयेंगे और उससे वह दोष दूर भी करते आयेंगे. परिणाम स्वरुप दुर्घटना कम होगी, ऐसी कल्पना इस अ‍ॅप निर्मिती के पीछे है.

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