अमरावती

अब अस्पतालो की साल में दो बार जांच करना होगा अनिवार्य

अधिनियम में किया गया संशोधन

  • प्रत्येक बेड के लिए 65 स्क्वे. फीट क्षेत्रफल रहना जरूरी

अमरावती प्रतिनिधि/दि.3 – भंडारा के सरकारी अस्पताल स्थित एनआयसीयू में घटित अग्निकांड को देखते हुए अब स्वास्थ्य महकमे की नींद खुली है और महाराष्ट्र सुश्रृषा गृह पंजीयन अधिनियम में संशोधन करने का फैसला लिया गया है. जिसके लिए सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई है. जिसके मुताबिक प्रत्येेक सुश्रृषा गृह को अब साल में दो बार अपना पंजीयन कराना अनिवार्य रहेगा. साथ ही इस अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि, प्रत्येक बेड के लिए कम से कम 65 स्क्वे. फीट का क्षेत्रफल रहना जरूरी होगा.
अस्पतालों के पंजीयन व नूतनीकरण हेतु अब बेड संख्या के आधार पर स्थानीय प्राधिकरण द्वारा शुल्क लगाया जायेगा. साथ ही शिकायत निवारण कक्ष की स्थापना करते हुए शिकायतो के निवारण हेतु वैद्यकीय अधिकारी को स्थानीय पर्यवेक्षिय प्राधिकारी के तौर पर नियुक्त करना होगा. शिकायत निवारण कक्ष का प्रमुख भी वैद्यकीय अथवा प्रशासकीय अधिकारी को ही बनाया जायेगा. जिन मरीजो का इलाज चल रहा है, उनके मामलो को लेकर 24 घंटे के भीतर सुनवाई करनी होगी. साथ ही निर्माण व सुविधाओं में बदलाव सहित संशोधित प्रारूप के संदर्भ में एक माह के भीतर प्राधिकारी को सूचित करना जरूरी रहेगा.

  • अतिदक्षता विभाग के लिए जरूरी बातें

प्रत्येक बेड के लिए 75 चौरस फीट जगह, सेंट्रलाईज्ड ऑक्सिजन सिस्टीम, प्रत्येक बेड के लिए स्वतंत्र ऑक्सिजन सिलेंडर व दो सक्शन मशीन, प्रत्येक बेड के पास परदे का पार्टीशन, प्रत्येक बेड के पास ईसीजी, एसपीओ-2, एनआयबीपी संनियंत्रण उपकरण, वेंटिलेटर, डीफीब्रिलेटर, आयसीयू कक्ष में पूरा समय एमबीबीएस डॉक्टर तथा ऑन कॉल फिजीशियन व सर्जन की उपलब्धता जरूरी रहेगी.

  • मृतदेहो को रोका नहीं जा सकेगा

कई बार यह होता है कि, किसी मरीज की मौत हो जाने के बाद उसके रिश्तेदारों व परिजनों द्वारा इलाज का बिल जमा नहीं कराये जाने पर अस्पतालों द्वारा शव उनके सुपुर्द उस समय तक नहीं किया जाता, जब तक वे अस्पताल का बिल अदा न कर दे. लेकिन अब अस्पतालों को ऐसा करने की अनुमति नहीं रहेगी, बल्कि अस्पतालों में किसी मरीज की मौत हो जाने के बाद तमाम कानूनी कारवाईयां पूर्ण करते हुए मृतक मरीज का शव उसके परिजनों के सुपुर्द करना अनिवार्य रहेगा.

  • प्रसूतिगृहो के लिए आवश्यक नियम

आपातकालीन प्रसूति के लिए फिन्टल डॉपलर, लेबर टेबल, नवजात बच्चों हेतु पुनुरूज्जीवन यंत्र, सक्शन मशीन, जनरेटर कनेक्शन, 8 बेड के लिए ऑक्सिजन सिलेंडर व एक अतिरिक्त ऑक्सिजन सिलेडर, एक इन्फेंटवॉर्मर तथा सीपीआर के लिए आवश्यक यंत्र सामग्री सहित ऑटोक्लेव्ह रहना बेहद जरूरी होगा.

  • ऐसी है नई मरीज अधिकार संहिता

  •  मरीज को अपनी बीमारी की जानकारी, स्वरूप, इलाज, अपेक्षित परिणाम तथा इलाज पर आनेवाले अपेक्षित खर्च के बारे में जानने का पूरा अधिकार है.
  • महिला मरीजो की जांच महिला चिकित्सक की उपस्थिति में ही करना अनिवार्य रहेगा.
  • एचआईवी संक्रमित मरीजो को भी इलाज व देखभाल का अधिकार.
  • स्वागतकक्ष में शिकायत पुस्तिका का रहना जरूरी, ताकि मरीज अपनी शिकायते दर्ज करा सके.
  • स्वागतकक्ष के दर्शनीय हिस्से में अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों की पदवी व पंजीयन क्रमांक की जानकारी स्पष्ट रूप से लिखी रहना अनिवार्य.
  • मरीज को सेकंड ओपिनियन लेने का अधिकार रहेगा. जिसके लिए उसे उसके वैद्यकीय दस्तावेज एवं छायांकित प्रतिलीपी उपलब्ध करानी होगी.
  • मरीज को डिस्चार्ज देते समय वैद्यकीय निष्कर्ष, टेस्ट रिपोर्ट, किये गये इलाज की जानकारी देने के साथ ही डिस्चार्ज देते वक्त मरीज की स्थिति एवं उसे आगे के लिए दी गई सलाह के बारे में जानकारी संबंधित तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराये जाने चाहिए.
  • अस्पताल में दी जानेवाली सेवाओं, इलाज संबंधी दरों की जानकारी अस्पताल के दर्शनी हिस्से में लगाया जाना जरूरी होगा.

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