अब अपनी लॉ फर्म बनाकर हाईकोर्ट स्तर पर प्रैक्टिस करूंगी
पूर्व जस्टिस पुष्पा गणेडीवाला ने दी जानकारी
* एक दिन पहले ही हाईकोर्ट जस्टीस पद से दिया इस्तीफा
* विशेष साक्षात्कार में बताई इस्तीफे की वजह
* अपने कार्यकाल व कामकाज को लेकर जताया संतोष
अमरावती/दि.12– एक हाईकोर्ट जस्टीस के तौर पर अपने ज्ञान व कौशल्य का उपयोग करते हुए मैने पूरी निष्पक्षता के साथ अपना काम करने का पूरा प्रयास किया और मैं अपने कामकाज को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट व समाधानी भी हूं. मुझे पूरी उम्मीद थी कि, तीन साल तक हाईकोर्ट के एडिशनल जस्टीस के तौर पर काम करने के बाद मुझे बतौर जस्टीस परमनंट जजशीप की स्थायी व नियमित सेवा में लिया जायेगा, किंतु किन्हीं कारणों के चलते ऐसा नहीं हो पाया. ऐसे में दोबारा जिला व सत्र न्यायालय स्तर पर जाकर काम करने की बजाय मैने इस्तीफा देना ज्यादा बेहतर समझा और अब मैं अपनी खुद की लॉ फर्म बनाते हुए हाईकोर्ट लेवल पर अपनी प्रैक्टिस करूंगी. इस आशय का प्रतिपादन एक दिन पूर्व ही हाईकोर्ट जस्टीस पद से इस्तीफा देनेवाली न्या. पुष्पा गणेडीवाला द्वारा किया गया.
बता दें कि, न्या. पुष्पा गणेडीवाला मूलत: परतवाडा की निवासी है और उनकी ससुराल अमरावती शहर में स्थित है. ऐसे में अमरावती शहर व जिले से उनके काफी अच्छे व गहरे संबंध है. गत रोज जैसे ही न्या. पुष्पा गणेडीवाला द्वारा अपने पद से इस्तीफा दिये जाने की खबर सामने आयी, तो दैनिक अमरावती मंडल द्वारा उनसे टेलीफोनिक वार्तालाप करते हुए उनके द्वारा अकस्मात उठाये गये इस कदम के बारे में बातचीत की गई. इस बातचीत के दौरान न्या. पुष्पा गणेडीवाला ने अपने कामकाज के साथ ही ज्युडिशियरी क्षेत्र से संबंधित कई विषयों को लेकर अपने विचार रखे.
* 15 साल का रहा शानदार करीयर
न्या. पुष्पा गणेडीवाला ने बताया कि, बतौर जज उनका कार्यकाल करीब 15 वर्ष का रहा. जिसमें से तीन वर्ष उन्होंने हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायमूर्ति के तौर पर काम किया. उनका पूरा कार्यकाल बेहद शानदार रहा और उन्हें काफी अच्छे अनुभव भी मिले. पूरे कार्यकाल के दौरान उन्हें किसी बात को लेकर कोई मलाल नहीं है. हालांकि उनके द्वारा सुनाये गये कुछ फैसलों को लेकर मीडिया में कुछ बातें जरूर उछली, लेकिन ज्युडिशियरी में वरिष्ठ स्तर पर उनके फैसलों को सराहा गया. ऐसे में उन्हें अब उन फैसलोें को लेकर कुछ नहीं कहना है.
* कंटीन्यु होने को लेकर थी उम्मीद
इस बातचीत के दौरान न्या. पुष्पा गणेडीवाला ने कहा कि, चूंकि उनका कार्यकाल और कामकाज शानदार रहा. अत: उन्हें पूरी उम्मीद थी कि, उन्हें हाईकोर्ट में परमानंट जजशिप के लिए कंटीन्यू किया जायेगा, किंतु किन्ही कारणों के चलते ऐसा नहीं हो पाया और जब कल 11 फरवरी तक उन्हेें ऐस कोई कन्फरमेशन नहीं मिला, तो दोबारा जिला स्तर पर जाने से बेहतर उन्होंने इस्तीफा देना ही ठीक समझा. अपने फैसले को पूरी तरह से सही बताते हुए न्या. पुष्पा गणेडीवाला ने कहा कि, इससे पहले भी हाईकोर्ट के कई न्यायमूर्तियों ने बेहतर पर्यायों व विकल्पों को ध्यान में रखते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है. अत: इसमें कोई नई बात नहीं है.
* जजशिप भी सामाजिक कार्य करने का एक बडा जरिया
ज्युडिशियरी में आने को अपने जीवन का सबसे बडा महत्वपूर्ण फैसला व मोड बताते हुए न्या. पुष्पा गणेडीवाला ने कहा कि, जज बनना नौकरी के अलावा की बजाय एक बहुत बडी सामाजिक जिम्मेदारी है तथा इस पद पर रहते हुए हम एक तरह से बहुत बडी समाजसेवा ही करते है. क्योेंकि लोग हमारी ओर न्याय व इन्साफ मिलने को लेकर बडी उम्मीद देखते है और हम भी निष्पक्ष भाव से फैसले सुनाते हुए आम नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने का काम करते है. आप दूसरों के अधिकारों पर तभी सुरक्षित रख पायेंगे, जब खुद अधिकारों को लेकर जागरूक रहेंगे और अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करेंगे. ऐसे में हाईकोर्ट में तीन साल की जजशिप के बाद उन्होंने काफी सोच विचार कर ज्युडिशियरी को छोडने का फैसला किया है.
*व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन में संतुलन जरूरी
एक न्यायमूर्ति का व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन उसके कार्यों या पेशे की वजह से कहां तक प्रभावित होता है, यह सवाल पूछे जाने पर न्या. पुष्पा गणेडीवाला ने बताया कि, सबसे अव्वल तो इस पेशे में आना आपका अपना फैसला होता है. अत: अब इस पेशे से जुडी चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार रहते है. इसके बावजूद अपने पेशे व काम की वजह से अपने व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन को कहां तक प्रभावित होने देना है और काम व निजी जीवन के बीच कैसे संतुलन बनाये रखना है, यह खुद हम पर निर्भर करता है. न्या. गणेडीवाला के मुताबिक उन्होेंने हमेशा अपने निजी जीवन व कामकाजी जीवन को एक-दूसरे से अलग रखा तथा दोनों के बीच बेहतर संतुलन बनाये रखा. साथ ही अब उन्होंने अपने जीवन में आगे बेहतरीन विकल्पों व पर्यायों को खोजने के लिए ज्युडिशियरी से इस्तीफा दे दिया है तथा अब वे अपनी लॉ फर्म स्थापित करते हुए हाईकोर्ट के स्तर पर अपनी निजी प्रैक्टिस करेगी.