अब मांत्रिकों को भी मिलेगा 100 रुपए का मानधन
प्रगतिशील महाराष्ट्र का स्वास्थ्य महकमा अब भुमकाओं के दरवाजे
* मेलघाट से सामने आया कटु सत्य, स्वास्थ्य सुविधाएं साबित हो रही नाकाम
अमरावती/दि.28 – प्रगतिशील कहे जाते महाराष्ट्र में आदिवासी मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने हेतु अब स्वास्थ्य महकमे को भुमका कहे जाते तांत्रिकों व मांत्रिकों की मदद लेनी पड रही है. चूंकि हर मरीज की जान बेशकीमती है. ऐसे में प्रत्येक मरीज को ओर उसे इलाज हेतु अस्पताल लाने के लिए स्वास्थ्य महकमे को मेलघाट में सीधे मांंत्रिकों के दरवाजे तक जाना पड रहा है. ऐसी सनसनीखेज जानकारी सामने आयी है. इन मांत्रिकों द्बारा किसी भी व्यक्ति को बीमार पडने पर अस्पताल में भर्ती करने हेतु अपने स्तर पर प्रयास किए जाए. इस हेतु मंगलवार से धारणी व चिखलदरा तहसील में मांत्रिकों के दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया है. साथ ही रुग्ण कल्याण समिति द्बारा इन मांत्रिकों को प्रति मरीज 100 रुपए का मानधन दिए जाने की पेशकश भी की गई है. ताकि वे दुर्गम पहाडी इलाकों वाले गांवों में रहने वाले और अंधश्रद्धा के चलते तंत्र-मंत्र पर विश्वास करने वाले आदिवासियों को बीमार पडने पर अस्पताल में भर्ती होने हेतु प्रोत्साहित करें.
उल्लेखनीय है कि, मेलघाट की धारणी व चिखलदरा तहसील में कुपोषण की समस्या से निपटने हेतु सरकार द्बारा प्रतिवर्ष करोडों रुपए का खर्च किया जाता है. लेकिन इसके बावजूद कुपोषण के साथ-साथ माता मृत्यु व बाल मृत्यु की स्थिति कायम है. 8 वर्ष पहले प्रशासन ने मेलघाट में भुमकाओं की सहायता लेकर आदिवासियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने का आवाहन किया था, लेकिन इसके लिए उन्हें किसी भी तरह का आर्थिक लाभ नहीं दिया जाता था. जिसके चलते उस आवाहन को भुमकाओं की ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिला था. ऐसे में अब मंगलवार से धारणी व चिखलदरा तहसील क्षेत्र में रहने वाले भुमकाओं को विशेषज्ञ डॉक्टरों द्बारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है. साथ ही उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि, यदि वे अपने क्षेत्र मेें बीमार रहने वाले मरीजों को इलाज हेतु सरकार अस्पताल मेें लाकर भर्ती कराते है, तो उन्हें इसकी ऐवज में प्रत्येक मरीज हेतु 100 रुपए का मानधन मिलेगा.
* भुमकाओं की संख्या 600 के आसपास
मेलघाट की धारणी तहसील में 395 तथा चिखलदरा तहसील मेें 286 ऐसे कुल 601 के आसपास भुमका है. आदिवासी बहुल गांवों में गांव के सभी लोगों पर भुमकाओं की अच्छी खासी पकड रहती है एवं दैवीय शक्तियों पर भरोसा रखने वाले भोले-भाले आदिवासी बीमार पडने पर इसे दैवीय प्रकोप मानते हुए सबसे पहले भुमकाओं के पास ही जाते है और स्थिति बिगडने पर अस्पताल पहुंचते है, लेकिन तब तक अच्छा खासा समय बीत जाता है और कई बार मरीजों की मौत हो जाती है. इसके अलावा कई बार इलाज के नाम पर छोटे बच्चों को लोहे की गर्म सलाख से दाग दिए जाने की घटनाएं भी सामने आई है.
* प्रसूति के लिए दायी को 400 रुपए
मेलघाट में कई गर्भवती महिलाओं की प्रसूति आज भी उनके घर में ही होती है. इसकी वजह से जच्चा व बच्चा का स्वास्थ्य व जीवन खतरे में आ जाता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को प्रसूति के लिए अस्पताल में लाने हेतु दायी को 400 रुपए का मानधन दिया जाता है. इसी तर्ज पर अब मांत्रिकों को भी प्रति मरीज 100 रुपए का मानधन दिया जाएगा.
मेलघाट में रहने वाले प्रत्येक आदिवासी व्यक्ति की जान भी हम सभी की तरह बेशकीमती है और यदि किसी मांत्रिक को 100 रुपए का मानधन देते हुए हम एक भी मरीज की जान बचाने में कामयाब रहे, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. इसी बेहतरीन उद्देश्य को सामने रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्बारा भुमकाओं हेतु दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया और उन्हें मरीजों को इलाज हेतु अस्पताल में लाकर भर्ती कराने हेतु उत्साहित करने के लिए 100 रुपए की प्रोत्साहन राशि देने की घोषण की गई.
– डॉ. दिलीप रणमले,
जिला स्वास्थ्य अधिकारी