अब कामचोरों के निशाने पर कुलगुरू डॉ. मालखेडे
कुलगुरू को बदनाम करने विद्यापीठ में बांटे गये आपत्तिजनक पत्रक
* किसी अन्जान ने किया कुलगुरू की प्रतिमा को मलिन करने का प्रयास
* डॉ. मालखेडे के कडक अनुशासन व कडी मेहनत से परेशान हैं कुछ लोग
अमरावती/दि.20- विगत तीन-चार दिनों से संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के कुछ विभागों में किसी अन्जान व्यक्ति द्वारा सादे कागज पर कंप्यूटर के जरिये छापे गये परिपत्रक बांटे जा रहे है. जिसमें विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे को लेकर बेहद आपत्तिजनक व स्तरहीन बाते लिखी हुई है. ऐसे में इस समय किसी अन्जान शख्स द्वारा बांटे जा रहे इन परिपत्रकों को लेकर विद्यापीठ में कई तरह की चर्चाएं चल रही है. साथ ही यह भी माना जा रहा है कि, किसी शरारती तत्व द्वारा कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे की प्रतिमा को मलीन करने और उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे को बेहद सख्त व कडे अनुशासनवाला व्यक्ति माना जाता है और वे कडी मेहनत करने में भी विश्वास रखते है. एक तरह से कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे को ‘वर्कोहोलिक’ व्यक्ति कहा जा सकता है, जो हर काम को जुनून की हद तक डूबकर करने में भरोसा रखते है. डॉ. दिलीप मालखेडे ने जब से संगाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरू पद का जिम्मा संभाला है, तब से वे अपने इसी स्वभाव व कार्यशैली की वजह से विद्यापीठ में पदस्थ रहनेवाले कुछ कामचोर किस्म के अधिकारियों व कर्मचारियों की आंखों में खटक रहे है, क्योंकि कई-कई बरसों से एक ही स्थान पर पांव पसारकर बडे आराम के साथ भारी-भरकम वेतन लेते हुए नौकरी करनेवाले इन लोगों को अब हकीकत में काम करना पड रहा है. जो कई अधिकारियोें व कर्मचारियों को बेहद नागवार गुजर रहा है. संभवत: इसी की वजह से ऐसे ही किसी व्यक्ति ने कुलगुरू डॉ. मालखेडे को बदनाम करने और उनकी प्रतिमा को मलिन करने का प्रयास शुरू किया है. जिसके तहत कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे का चरित्र हनन करने हेतु विद्यापीठ के विभिन्न विभागों मेें बेहद आपत्तिजनक बाते लिखे हुए परिपत्रक बांटे जा रहे है.
सुत्रों के मुताबिक इन परिपत्रकों में कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे के बंगले पर कथित रूप से आना-जाना करनेवाली एक महिला को विषय वस्तु बनाते हुए सवाल उपस्थित किया गया है कि, आखिर वह महिला कौन है और उसका कुलगुरू बंगले पर आना-जाना क्यों है? लेकिन संभवत: परिपत्रक बांटनेवाला व्यक्ति इस तथ्य की अनदेखी कर गया कि, कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे अपने कार्यालयीन कामकाज के अलावा भी अपना अधिकांश समय अपने कार्यालय में ही व्यतित करते है. यानी अधिकांश समय अपने कार्यालय में रहकर विद्यापीठ से संबंधित कामकाज करते है और कुलगुरू बंगले पर उनके कुछ पारिवारिक सदस्यों सहित निजी स्टाफ का भी रहना होता है. ऐसे में किसी महिला के आने-जाने को विषय बनाते हुए बांटे जा रहे इन पत्रकों से साफ है कि, कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे जिन लोगों की आंखोें में शुरू से खटकते आये है, वे अब कुलगुरू डॉ. मालखेडे को बदनाम करने के लिए ओछी हरकतों पर उतर आये है.
* दो माह से बीमार हैं कुलगुरू, चार दिन से अस्पताल में हैं भरती
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, हमेशा ही अपने अकादमिक कामकाज में जुटे रहनेवाले कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे विगत दो माह से अपनी एक पुरानी बीमारी से काफी त्रस्त चल रहे है और तीन-चार दिन पहले ही स्थिति बिगड जाने के चलते उन्हें स्थानीय बडनेरा रोड स्थित रिम्स् अस्पताल में इलाज के लिए भरती कराया गया है. रिम्स् अस्पताल के सुत्रों के मुताबिक कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे के शरीर में प्लेटलेटस् का प्रमाण काफी घट गया है और डॉक्टरों ने उन्हें किसी से बात करने से भी मना किया है. जिसके चलते कुलगुरू डॉ. मालखेडे के पास उनका फोन भी नहीं है. ऐसे में इस पूरे मामले को लेकर कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे से संपर्क नहीं हो पाया और उनकी कोई प्रतिक्रिया भी नहीं मिल पायी, लेकिन विद्यापीठ में जिन अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे के साथ कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाकर काम करने की तैयारी है, ऐसे सभी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा कुलगुरू को लेकर विद्यापीठ में अज्ञात शख्स द्वारा बांटे जा रहे इन परिपत्रकों का निषेध किया जा रहा है.