अमरावती

अब दूल्हे को ही देना पड़ता है दहेज!

अमरावती/दि.16 – पहले वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को दहेज दिया जाता था. लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है. नौकरी करने वाले लड़कों की संख्या भी कम व बेरोजगार एवं व्यवसाय करने वालों की संख्या बढ़ गई है. अनेक युवक तो नाईलाज खेती कर रहे हैं. इन कारणों से दूल्हे राजा के भाव अपने आप कम हो गए हैं. कुछ समाज में तो लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या भी कम होने के कारण विवाह के लिए लड़की मिलना कठिन हो गया है. परिणामस्वरुप लड़के आंतरजातीय विवाह करने तैयार हो रहे हैं. इस कारण से एक समय देने वाला वधू पक्ष अब बदल गया है. अब वधू को ही दहेज देकर उसे घर लाने की नौबत आयी है.

किसान दूल्हा नहीं चाहिए

उम्र बढ़ने पर भी किसान लड़के को दूल्हन नहीं मिलती. युवक के शिक्षण का प्रमाण कम तुलना में युवती का शिक्षण अधिक ऐसे विसंगी होने से स्थिति बदल गई है.

मध्यस्थों के भाव बढ़े

अच्छे घराने की खोज में काफी घुमना पड़ता है. काफी जांच करनी पड़ती है. इस प्रक्रिया के लिए काफी पैसे खर्च होते हैं. अनेक मध्यस्थ इस जरुरतमंद उपवर लड़के व लड़कियों से आर्थिक लाभ वसुलते हैं.

युवक क्या कहते हैं?

– विवाह करने निकलने पर लड़की वाले नौकरी कर रहे हों क्या यह पूछते हैं. खेती है क्या? यह भी पूछते हैं. व्यवसाय में अच्छी इनकम होने पर भी नौकरी की उम्मीद करते हैं.
– एक युवक
– बेरोजारी के कारण अब उम्र बढ़ती जा रही है. इसलिए अब वधू पक्ष के लोग लड़की देते समय सोचते हैं. स्वयं ही बेरोजगार होने से आने वाली दूल्हन की जिम्मेदारी कैसे संभाले.
– एक युवक

पालक क्या कहते हैं..?

बेटी पर जान से अधिक प्यार किया. विवाह के बाद वह संसार सुखी रहे, ऐसी पिता को उम्मीद रहती है. बेरोजगार युवक कितना भी अच्छा हो फिर भी उपजीविका का साधन क्या है, यह देखना ही पड़ता है.
– एक पालक

– बेटी के लिए अच्छा दूल्हा ढूंढकर उसका विवाह करवा देना, यह पिता का कर्तव्य है. इस कारण लड़का सुसंस्कृत होने पर भी वह क्या कमाता है? यह तो देखना ही पड़ता है.
– एक पालक

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