अमरावती/दि.30 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में अत्यंत दुर्गम स्थानों पर वन कर्मचारी अपनी सेवा देते हुए जंगल का संरक्षण करते हैं. इनमें महिला वन कर्मचारियों का भी समावेश है. इन कर्मचारियों को रात के समय घने जंगल में मुकाम भी करना पड़ता है. ऐेेसे समय व्याघ्र संरक्षण कुटी यही स्थान कर्मचारियों के लिए घर के समान है. इस व्याघ्र संरक्षण कुटिया अब समयानुसार बदल रही है. बांस और लकड़ी से बनाई गई कुटियों की बजाय अब पक्की कुटियां बनाई जाती है. इनमें महिलाओं के लिए स्वतंत्र खोली व स्वच्छतागृह, बोरवेल और सोलर पंप का इस्तेमाल कर पानी की व्यवस्था, रात के लिये सोलर पर चलने वाले दिये व पक्की जाली की कूंपन दिया गया है. प्राथमिक उपचार किट व एलपीजी गैस कनेक्शन भी मूलभूत साहित्य सहित दिये गये हैं. ऐसे प्रकार के कुल 6 कुटिया मेलघाट वन्यजीव विभाग में बनाई गई है.
मेलघाट वन्यजीव विभाग के घाटांग परिक्षेत्र के मुंडा आम कुटिया का उदघाटन हाल ही में किया गया. इस समय प्रधान मुख्य वनसंरक्षक तथा वनबल प्रमुख साईप्रकाश गंटी, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक सुनील लिमये, मुख्य वनसंरक्षक तथा मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प क्षेत्र संचालक ज्योति बॅनर्जी, विभागीय वनाधिकारी पियुषा जगताप, इंद्रजीत निकम, दिनेश वालके, प्राची बिसेन एवं मेलघाट तथा अमरावती के सभी उपवनसंरक्षक उपस्थित थे. इस समय साईप्रकाश ने कहा कि ऐसा कैम्प निश्चित ही वनकर्मचारियों का खासतौर पर महिला वन कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने वाला है.
कुटियों में ऐसी है सुविधा
व्याघ्र संरक्षण कुटिया अब समयानुसार बदल रही है. कुटियों में महिलाओं के लिए बोअरवेल और सोलर पंप का इस्तेमाल कर पानी की व्यवस्था, रात के लिए सोलर पर चलने वाले दिये व पक्की जाली की कूंपन दिया गया है. प्रथम उपचार किट तथा गैस कनेक्शन आदि मूलभूत साहित्य सहित दिये गये हैं.