अमरावती/प्रतिनिधि दि.4 – वन अधिनियमों कडे होने के बावजूद भी वन अपराध को अंजाम देने वाले आरोपियों को सजा देने का प्रमाण काफी कम है. इसलिए पुलिस विभाग की तर्ज पर वन अपराध के अपराधियों की जांच की जाएगी. इसके लिए स्वतंत्र समिति गठित की जा रही है. यह समिति न्यायालय में दोषारोप पत्र दाखिल करेगी. यह प्रावधान भी रखा गया है.
भारतीय वन अधिनियम 1927, वन्यजीव अधिनियम 1972, वनसंवर्धन अधिनियम 1980 और जैव विविधता अधिनियम 2002 जेैसे 4 प्रकार के वन संवर्धन, वन्यजीव सुरक्षा के कानून वन अधिनियम काफी कठोर होने की बात अनेक मामलों से सामने आयी है. हालांकि राज्य में बाघ, तेंदुआ, हिरन, निलगाय, घोरपड आदि वन्य जीवों की शिकार मामले में शिकारियों को कडी सजा नहीं सुनाई गई है. गवाह पलट जाने से सबूतों के अभाव में मामले न्यायालय में ठिक नहीं पा रहे है, इसलिए वन अपराधों के 90 फीसदी आरोपी निर्दोष बरी साबित होते है. यह निष्कर्ष संशोधन समिति ने निकाला है. समिति का कहना हेै कि वन अपराधों की योग्य ढंग से जांच भी नहीं की जा रही है. इसलिए अब वन अपराधों को गहराई से जांचने और न्यायालय में मामलों को बरकरार रखा जा सके, इसलिए जांच को गति देनी चाहिए.
-
वन परिक्षेत्र अधिकारी पर जांच का जिम्मा
वन अपराध की जांच की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के वन परिक्षेत्र अधिकारी पर रहेगी. संबंधित जांच की गति, सबूत, आरोपियों के पास से सामग्री जब्त आदि पहलुओं पर उपवन संरक्षक, सहायक वन संरक्षक मार्गदर्शन करेंगे. किसी भी क्लिस्ट मामले में सरकारी वकील की सलाह ली जा सकेगी. वन अपराधों के दोषारोप न्यायालय में प्रस्तुत करने से पहले वह परिपूर्ण होने चाहिए, इसका पुलिस की तरह चरणबध्द निर्धारित किये गये है.
-
वन अपराध की सामग्री हुई भंगार
वन अपराध में आरोपियों की ओर से जब्त की गई विविध सामग्री, वाहन हाल की घडी में वन विभाग में भंगार के रुप में जमा है. सालो साल मामलों का निपटारा नहीं होता. किसी एखादे मामलों का परिणाम आने पर जब्त सामग्री, वाहनों का निपटारा करने के लिए वनाधिकारी कदम नहीं बढाते है. वन विभाग में जब्त माल की पहचान कर उसकी बिक्री कर सरकारी तिजोरी में रकम जमा करना अनिवार्य है, लेकिन वरिष्ठ वनाधिकारी इसके लिए प्रयासरत नहीं है.
वन अथवा वन्यजीव अपराधों का पंजीयन होने पर इस बारे में वरिष्ठों को 24 घंटे में जानकारी देनी पडती है. उपवन संरक्षक, सहायक वन संरक्षक संबंधित अपराधों को जानकारी देकर मामले को लेकर मार्गदर्शन लेकर जांच करनी पडती है.
– कैलास भुंबर,
वन परिक्षेत्र अधिकारी, वडाली