अब बिजली हादसों से बचने खोज परियोजना
हव्याप्रमं इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट को अमरावती विद्यापीठ ने दी मंजूरी
अमरावती/दि.18– बिजली सबकी और हर क्षेत्र की जरूरत है. मुख्य रूप से घरेलू और कृषि क्षेत्र में बिजली की खपत अधिक होती है. बिजली वितरण कंपनी बिजली के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देती है. उसके लिए विशेष उपकरण और बिजली की फिटिंग बनाई जाती है. हालांकि सर्वेक्षण में देश में हर दिन करंट लगने से 30 नागरिकों की मौत होती रहने की जानकारी प्रकाश में आई है. मानसून और गर्मी में ऐसी घटनाओं में इजाफा होता है. इसलिए सभी को बिजली से बचाने की जागरुकता के साथ हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज ने यह पहल की है. एक साल के भीतर पूरी होने वाली इस महत्वाकांक्षी शोध (खोज) परियोजना से घरों और कृषि में बिजली दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी.
समाज के लाभ के लिए इस अवधारणा के साथ हव्याप्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने बिजली करंट दुर्घटनाओं की सामाजिक समस्या पर ध्यान केंद्रित किया. प्रौद्योगिकी इस तरह की घटनाओं को कैसे रोक सकती है, इस पर विचार करते हुए, कॉलेज ने ‘डिझाईन अँड फॅब्रिकेशन ऑफ इन्सुलेशन फेलीअर डिटेक्शन सिस्टीम फॉर अॅग्रीकल्चर पंप अँड डोमेस्टीक अप्लाएन्सेस वीथ मेटॅलीक इनक्लोजर’ परियोजना को लागू करने की पहल की. प्रोजेक्ट हेड डॉ. सारंग खोंड और प्रो. प्रणव पत्तेवार इस परियोजना पर काम करेंगे. इस संबंध में अमरावती विश्वविद्यालय और राजीव गांधी विज्ञान व प्रौद्योगिकी आयोग महाराष्ट्र राज्य को एक योजना प्रस्तुत की गई थी. पुनरीक्षण प्रक्रिया में 117 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए. इनमें से 17 शोध परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिनमें हव्याप्र इंजीनियरिंग की ’फेलीवर डिटेक्शन सिस्टम’ परियोजना को प्राथमिकता दी गई. प्रोजेक्ट हेड डॉ. सारंग खोंड, प्रकल्प सहायक प्रणव पत्तेवार का मानना है कि, उक्त प्रोजेक्ट एक साल के भीतर पूरा हो जाएगा और इसका फायदा आम लोगों को ’जीवनदायनी’ होगा.
सुरक्षित समाज का लक्ष्य
बिजली दुर्घटनाओं की घटनाएं घर और खेत दोनों प्रणालियों में चिंताजनक हैं. चूंकि प्रौद्योगिकी हर समस्या का समाधान है, ऐसे ज्वलंत मुद्दों पर पहल करना एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में एक सामाजिक कर्तव्य के रूप में स्वीकार किया गया है. समाज के लिए उपयोगी बनाने के लिए इस खोज को ’इलेक्ट्रिक मोशन डिटेक्शन सिस्टम’ बनाया जाएगा. इससे बिजली के करंट से होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी. ऐसा विश्वास प्रोजेक्ट हेड डॉ. सारंग खोंड, प्रकल्प सहायक प्रा. प्रणव पत्तेवार ने व्यक्त किया.